कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) से उपजे हालातों के बीच दिल्ली स्थित हमदर्द यूनिवर्सिटी (Hamdard University) के अंदर बने हकीम अब्दुल हमीद सेंटेनरी हॉस्पिटल (HAHC Hospital) ने अपने 84 कॉन्ट्रैक्ट नर्सों को बिना किसी पूर्व सूचना के हटा दिया है। नर्सों को यह जानकारी उनके ऑफिस के व्हाट्सएप ग्रुप पर दी गई।
जानकरी के मुताबिक, हटाई गईं 84 नर्सों में एक ऐसी नर्स भी शामिल है जो इसी अस्पताल में कोरोना पीड़ित मरीजों की देखभाल के दौरान ख़ुद भी संक्रमित हो गई थी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अस्पताल पर आरोप है कि उसने अपनी नर्स का कोरोना टेस्ट तक नहीं कराया। इस समय वह अपने घर पर होम क्वांरटीन में रहकर कोरोना से जूझ रही है। इसी तरह एक और नर्स इस समय मैटर्निटी लीव पर चल रही हैं। अस्पताल ने उन्हें भी बिना किसी पूर्व सूचना के हटा दिया है।
ज्ञात हो कि नर्सों को हटाने के पहले न्यूनतम एक महीने का समय दिया जाना चाहिए था, लेकिन इस मामले में ऐसा कोई नोटिस नहीं दिया गया है। वहीं इस मामले में अस्पताल की कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
अमर उजाला में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, अस्पताल की एक नर्स सोफिया ने बताया कि वे यहां एक साल से काम कर रही हैं। कोरोना की आपात स्थिति को देखते हुए लगभग एक महीने पहले दो जून को एक आधिकारिक पत्र में उन जैसी सभी नर्सों-कर्मचारियों को आदेश दिया गया था कि इस दौरान कोई भी नर्स छुट्टी पर नहीं जाएगी और किसी का इस्तीफा भी स्वीकार नहीं किया जाएगा। लेकिन दो दिन पहले शनिवार 11 जुलाई को व्हाट्सएप पर यह मैसेज मिला कि उनकी सेवाएं समाप्त की जा रही हैं।
अस्पताल ने अपने आदेश में कहा है कि इन 84 नर्सों का सेवा विस्तार किया जाना था, लेकिन कोरोना की आपात स्थिति के कारण ऐसा नहीं किया जा सका। लिहाजा उन्हें सेवा से हटाया जा रहा है। हालांकि, अस्पताल ने जल्दी ही साक्षात्कार के जरिए फ्रेश अपॉइंटमेंट करने की भी बात कही है जिसमें ये नर्सें भी अप्लाई कर सकेंगी। आरोप है कि इस कोविड अस्पताल में एक-एक नर्स से 20 से 40 तक मरीजों की देखभाल करवाई जा रही है जो नियमों के बिल्कुल खिलाफ है।
द वायर में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, अस्पताल के इस फैसले के विरोध में नर्स प्रदर्शन कर रही हैं। वहीं, इंडियन प्रोफेशनल नर्सेज एसोसिएशन ने भी इस मामले में एचएएचसी अस्पताल के मेडिकल अधीक्षक डॉ. सुनील कोहली को पत्र लिखा है।
पत्र में कहा गया है, “आपके अस्पताल से 84 अस्थाई स्वास्थ्यकर्मियों को बिना उचित नोटिस अवधि के निकालना बिल्कुल निंदनीय है। आपको वैध कारण बताते हुए यह स्पष्ट करने की जरूरत है कि इस तरह की स्थिति में कोरोना वायरस से निपटने में फ्रंटलाइन वर्कर्स के तौर पर काम कर रही इन नर्सों को अचानक नौकरी से क्यों निकाला गया? ऐसे समय में स्वास्थ्यकर्मियों को काम से नहीं निकालने के सरकार के आदेश के बावजूद आपने इस तरह का फैसला क्यों लिया?”
पत्र में आगे कहा गया, “हम नर्सों को नौकरी से हटाने के अस्पाल की ओर से जारी किए गए आदेश के तर्क को समझ नहीं पा रहे हैं। जो नर्सें काम करती आ रही थीं, उन्हें नौकरी से हटाकर इन पदों पर तुरंत भर्तियां करना क्यों जरूरी है, वह भी ऐसे समय में जब सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर नियम कायदे बने हुए हैं। हमें जवाब चाहिए।”
इसके अलावा सीपीआई के सांसद बिनॉय विस्वाम ने भी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर एचएएचसी अस्पताल से नर्सों को नौकरी से हटाए जाने के मामले में उनसे हस्तक्षेप की मांग की है।
विस्वाम ने सीएम केजरीवाल को पत्र लिखकर कहा, ‘मेरे संज्ञान में आया है कि एचएएचसी अस्पताल से 84 नर्सों को मनमाने और अनुचित तरीके से नौकरी से निकाल दिया गया है। इन नर्सों को नियमों के अनुसार निकालने से पहले कोई नोटिस नहीं दिया गया। इनका निष्कासन अस्पताल प्रबंधन की तरफ से प्रतिशोधपूर्ण कार्रवाई का नतीजा प्रतीत हो रहा है।’
बता दें कि यह अस्पताल हमदर्द इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च (एचआईएमएसआर) के अंतर्गत आता है। दिल्ली सरकार ने इस अस्पताल को कोविड अस्पताल घोषित कर रखा है। इस समय यहां कोविड मरीजों के लिए 200 बेड्स की व्यवस्था है।
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