आज भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरभ गांगुली (Sourav Ganguly) का 48वां जन्मदिन है। ‘प्रिंस ऑफ कोलकाता’ और ‘रॉयल बंगाल टाइगर’ के नाम से मशहूर सौरभ गांगुली ने अपने करियर में कई उपलब्धियां हासिल कीं। गांगुली को दुनिया के बाएं हाथ के सबसे आकर्षक खिलाड़ियों में शुमार किया जाता है।
गांगुली ने टीम इंडिया को विदेशी सरजमीं पर जीतना सिखाया। उनकी कप्तानी में टीम ने कई अहम उपलब्धियां हासिल की। इसके साथ ही भारतीय क्रिकेट के भविष्य को संवारने का श्रेय भी गांगुली को ही जाता है। ये गांगुली की ही देन है कि उन्होंने धोनी, युवराज और कैफ जैसी कई प्रतिभाओं को तराशा।
कई विशेषज्ञों का कहना है कि भारत ने भले ही विश्वकप धोनी की कप्तानी में जीता हो लेकिन उनकी टीम में जो खिलाड़ी शामिल थे उन सबके हुनर को गांगुली ने ही पहचाना और उन्हें अपनी काबिलियत साबित करने के लिए मंच प्रदान किया। गांगुली की कप्तानी और बल्लेबाजी स्टाइल को आज भी याद किया जाता है। भारतीय क्रिकेट को नई पहचान दिलाने में गांगुली की अहम भूमिका है।
साल 2000 में मैच फिक्सिंग प्रकरण के बाद जब भारतीय क्रिकेट सबसे मुश्किल दौर से गुजर रहा था। इसके बावजूद ऐसी विपरीत परिस्थितियों में गांगुली ने टीम की कमान संभाली और टीम को संभाला। जब वह कप्तान बने भारत की टेस्ट रैंकिंग 8 थी। जब वह कप्तानी से रिटायर हुए तो भारत दूसरे पायदान पर था।
2000 में केन्या में खेला गया आईसीसी नॉकआउट कप गांगुली की कप्तानी में पहला बड़ा टूर्नामेंट था। इसके फाइनल में क्रिस क्रेन्स की शानदार पारी के दम पर भारत को हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद 2002 में भारत ने श्रीलंका में आयोजित आईसीसी चैंपियंस ट्रोफी का संयुक्त खिताब जीतकर गांगुली की कप्तानी में पहला आईसीसी खिताब जीता।
गांगुली की कप्तानी में भारत ने साल 2003 में विश्वकप के फाइनल में जगह बनाई थी। जहां भारतीय टीम को ऑस्ट्रेलिया के हाथों शिकस्त झेलनी पड़ी थी। इस पूरे विश्वकप टूर्नामेंट में गांगली की अगुवाई में भारतीय क्रिकेट टीम ने शानदार प्रदर्शन किया था।
बात 13 जुलाई 2002 की है जगह इंग्लैंड का ऐतिहासिक लॉर्ड्स मैदान। इस दिन पूरा स्टेडियम खचाखच भरा हुआ था। नेटवेस्ट ट्रॉफ़ी के निर्णायक मुकाबले में भारत और इंग्लैंड आमने-सामने थे। इंग्लैंड ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी करने का फ़ैसला किया। इंग्लैंड के सलामी बल्लेबाज़ मार्कस ट्रेसकोथिक (109) और कप्तान नासिर हुसैन (115) की शतकीय पारी के दम पर इंग्लैंड ने 325 रन का विशाल स्कोर खड़ा किया।
इस जमाने में इतने विशाल स्कोर का पीछा करना उन दिनों बड़ी बात मानी जाती थी। लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम के लिए डेरेन गफ, एलेक्स टूडर और एंड्रयू फ्लिंटॉफ जैसे गेंदबाज़ों के सामने ये लक्ष्य असंभव लग रहा था। भारतीय सलामी बल्लेबाज़ विरेंद्र सहवाग और कप्तान सौरव गांगुली ने पारी की शुरुआत की।
दोनों बल्लेबाज़ों ने पहले विकेट के लिए 106 रनों की साझेदारी की जिसके बाद लगने लगा कि भारत इस लक्ष्य तक पहुंच सकता है। लेकिन 14वें ओवर की तीसरी गेंद पर 106 रन के स्कोर पर भारत ने सौरव गांगुली (60) के तौर पर अपना पहला विकेट गंवा दिया। इसके बाद भारत वीरेंद्र सहवाग 45 रन बनाकर पवेलियन लौट गए।
इसके बाद इंग्लैंड के गेंदबाज़ों ने मोंगिया (9), सचिन तेंदुलकर (14) और राहुल द्रविड़ (5) को सस्ते में आउट कर पवेलियन का रास्ता दिखाया। मैच में फिर एक मोड़ आया जब भारत ने 146 रन पर ही 5 विकेट गवां दिए और यहां से भारत के जीत की राह मुश्किल लगने लगी।
लेकिन इसके बाद क्रीज़ पर आए युवराज सिंह और मोहम्मद कैफ ने जो किया वो क्रिकेट में इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज हो गया। इन दोनों ने 121 रनों की शतकीय साझेदारी कर भारत की उम्मीदें एक बार फिर जागी। लेकिन 267 रन के स्कोर पर कॉलिंगवुड ने युवराज (69) को आउट कर चलता किया।
अब एक फिर भारतीय खेमे में सन्नाटा पसर गया। लेकिन कैफ अभी भी क्रीज़ पर मौजूद थे। कैफ का साथ देने आए हरभजन सिंह और दोनों के बीच अर्धशतकीय साझेदारी हुई। लेकिन 48वें ओवर में फिंल्टॉफ ने हरभजन (15) और कुंबले को आउट कर मैच को फिर से इंग्लैंड की ओर मोड़ दिया। अब भारत को 13 गेंदों पर 12 रन की दरकार थी।
अब सारी बोझ कैफ के कंधों पर ही था, उनका साथ देने ज़हीर ख़ान आए। इन दोनों ही मैदान से तभी लौटे जब भारत ने लक्ष्य हासिल कर मैच जीत लिया। मोहम्मद कैफ इस मैच के मैन ऑफ द मैच रहे। उन्होंने 75 गेंदों में 6 चौके और 2 छक्कों की मदद से 87 रन की नाबाद पारी खेल कर इंग्लैंड के जबड़े से जीत छीन ली।
इस मैच में जीत मिलते ही भारतीय टीम के कप्तान सौरव गागुंली लॉर्ड्स की बालकनी में अपनी जर्सी लहराने लगे। सौरव गांगुली का वो जर्सी लहराना सिर्फ भारत की जीत का जश्न ही नहीं बल्कि ये वानखेड़े दरअसल 3 फरवरी 2002 को मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में भारत और इंग्लैंड के बीच एक मैच में इंग्लैंड ने पहले बल्लेबाज़ी करते हुए सभी विकेट खोकर 255 रन बनाए थे।
जवाब में लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम 250 पर ही ऑलआउट हो गई थी और इंग्लैंड ने मैच जीत लिया। इस जीत के बाद इंग्लैंड के एंड्रयू फ्लिंटॉफ जर्सी उतारकर वानखेड़े मैदान में लहराने लगे। उस वक़्त फिंल्टॉफ ने इंग्लैंड की जीत का जश्न कुछ ऐसे मनाया था।
सौरव गांगुली ने अपने दौर में कई युवा खिलाड़ियों को तराश कर एक बेहतरीन टीम तैयार की। उन्होंने हरभजन सिंह, ज़हीर ख़ान, आशीष नेहरा, वीरेंद्र सहवाग युवराज सिंह, मोहम्मद कैफ जैसे युवा खिलाड़ियों को तैयार कर के एक ऐसी टीम बनाई जिसने भारत के बाहर भी दिखाया कि उनकी टीम दुनिया के किसी भी मैदान में जीत हासिल कर सकती है।
सौरव गांगुली में जबरदस्त लीडरशिप स्किल थी। गांगुली ने ही वीरेंद्र सहवाग से ओपनिंग कराने का फ़ैसला किया। शुरुआती कुछ मैचों में फेल होने वाले एमएस धोनी को अपनी जगह तीसरे नंबर पर खेलने का मौका दिया। सौरव गांगुली के ऐसे बहुत से किस्से हैं जो उनको सिर्फ और सिर्फ एक जूनूनी क्रिकेटर साबित करता है।
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