Happy Friendship Day 2020: दोस्ती एक प्यारा सा रिश्ता है, एक सुखद एहसास, जिसे अल्फ़ाज़ों में बयां कर पाना मुश्किल है। एक दोस्त ही तो ऐसा शख्स है, जिसके साथ अपनी जिंदगी का हर सुख-दुःख बिना किसी हिचक या संकोच के शेयर कर सकते हैं। इस प्यारे से रिश्ते को बॉलीवुड फिल्ममेकर्स ने भी बहुत अच्छे से भुनाया है। हिंदी फिल्मों में दोस्ती हमेशा ही एक हिट फॉर्मूला रहा है। दोस्ती पर बनी इन फिल्मों ने दर्शकों के दिलोदिमाग में गहरी पैठ बनाने के साथ बॉक्स आफिस पर भी सफलता के झंडे गाड़े। आज 29 जुलाई को फ्रेंडशिप डे (Happy Friendship Day 2020) के मौके पर हम बता रहे हैं ऐसी ही कुछ फिल्मों के बारे में जिनमें दोस्ती को अलग-अलग अंदाज में परिभाषित किया गया।
हम शोले और दोस्ती जैसी सदाबहार फिल्मों के बारे में तो जानते ही हैं। इसलिए हम समय के पन्ने को ज्यादा पीछे नहीं पलटेंगे। हम सिर्फ 21वीं सदी की उन बेहतरीन छह फिल्मों के बारे में बात करेंगे जिनकी कहानी दोस्ती के ताने-बाने पर बुनी गई हैं और खूब सफल हुईं। चलिए बात करते हैं दोस्ती पर बनीं और सफल रहीं फिल्मों के बारे में…
21वीं सदी के शुरुआत के साथ साल 2001 में रिलीज हुई फिल्म ‘दिल चाहता है’ अपने समय से आगे की फिल्म माने जाती है। फरहान अख्तर निर्देशित इस फिल्म का कैनवास दोस्तों के सपनों के साथ उनके आंतरिक टकरावों को भी ख़ूबसूरती से रेखांकित करता है। फिल्म दिखाती है कि विचारों में अंतर होने के बाद भी यह दोस्त एक-दूसरे का नजरिया समझने का प्रयास करते हैं। इस फिल्म में तीन दोस्तों की भूमिका आमिर खान, सैफ अली खान और अक्षय खन्ना ने निभायी थी।
राकेश ओमप्रकाश मेहरा निर्देशित यह फिल्म दोस्ती और देशभक्ति का शानदार कॉकटेल है। फिल्म में दिल्ली यूनिवर्सिटी के पांच छात्र आजादी के नायकों का किरदार निभाते हुए अपनी सामाजिक जवाबदेही समझते हैं और किस तरह से देश की सुर्खियों बन जाते हैं यह फिल्म इसी विषय पर फोकस करती है। अलग-अलग सामाजिक और आर्थिक वर्ग से आने वाले यह दोस्त एक सपने के साथ आगे बढ़ते हैं और टीम बनाकर उसे पूरा करते हैं। आमिर खान की मुख्य भूमिका वाली इस फिल्म में शरमन जोशी, माधवन, सिद्धार्थ और अतुल कुलकर्णी अहम रोल में हैं।
थ्री इडियट्स,दोस्ती को केंद्र में रखकर समाज को बदलाव की राह दिखाती फिल्म है। राजकुमार हिरानी निर्देशित इस फिल्म में एक बार फिर आमिर लीड रोल में हैं। उनके साथ काम करने वाले कलाकारों की जोड़ी भी ‘रंग दे बसंती’ वाली होती है। देश के इंजीनियरिंग कॉलेज और एजुकेशन सिस्टम की पृष्ठभूमि पर बनीं यह फिल्म समाज के नज़रिये में बदलाव लाने की वकालत करती है। इस फिल्म में तीन दोस्त तीन अलग-अलग तरह की मानसिकताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। उनकी विचारधारा को शिक्षा और रोजगार से जोड़कर देखा जाता है।
फिल्म जिंदगी मिलेगी न दोबारा, दोस्ती की कहानी कुछ अलग ढंग से कहती है। कहीं-कहीं दार्शनिक हो गई यह फिल्म जीवन में दोस्ती के महत्व को अंडरलाइन करती हुई चलती है। यह फिल्म बताती है कि जीवन में खुद से बात से करना, अपने सपनों से बात करना और अपने दोस्तों से बात करना कितना जरूरी है। फिल्म में फरहान अख्तर, ऋतिक रोशन और अभय देओल ने मुख्य भूमिका है।
दोस्ती की फिल्मों में अभिषेक कपूर निर्देशित काई पो चे दोस्ती में सपनों के साथ उनके टकरावों की कहानी भी कहती है। लेकिन यह टकराव कही भी इतने बड़े नहीं होते कि वह पूरी दोस्ती को प्रभावित कर दें। यहां तीन दोस्त अलग-अलग सोच वाले होते हैँ बावजूद इसके वह एक-दूसरे से ज्यादा खुद को ज्यादा पसंद करते हैं। सुशांत सिंह राजपूत की यह पहली फिल्म थी और राजकुमार यादव भी लीड रोल में हैं।
बॉलीवुड में हीरो की दोस्ती पर तो कई फिल्में बनी हैं। लेकिन वीरे दे वेडिंग से पहले शायद फीमेल बॉन्डिंग पर ऐसी फिल्म बनी हो। करीना कपूर खान, स्वरा भास्कर, सोनम कपूर, शिखा तल्सानिया के अनोखे रिश्ते ने देशभर की कई सारी ‘वीरे’ को दोस्ती के मायने सिखाती है।
This post was last modified on July 29, 2020 10:57 PM
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