Hasrat Jaipuri Death anniversary: गीतकार हसरत जयपुरी को ‘दुनियाँ बनाने’ वाले से बड़ी शिकायत थी

Follow न्यूज्ड On  

Hasrat Jaipuri Death anniversary:  ‘दुनियाँ बनाने वाले क्या तेरे मन में समाई, काहे को दुनियाँ बनाई’। इस गीत को लिखा है जाने माने फ़िल्म गीतकार हसरत जयपुरी (Hasrat Jaipuri) ने। हसरत जयपुरी की ज़िदंगी काफी उठा पटक से भरी थी। बचपन में वो एक राधा नाम की लड़की से बेहद प्रेम किया करते थे लेकिन उनका यह प्रेम मुकम्मल न हो सका था। हसरत साहब का हमेशा से मानना था कि प्रेम उच, नीच, जात, पात और धर्म नहीं देखता।

हसरत साहब का असली नाम इकबाल हुसैन था। हसरत साहब का जन्म 15 अप्रैल 1922 को जयपुर में हुआ था। वो कम उम्र में ही मुम्बई आ गए। मुंबई आते ही उन्हें काम की जरूरत पड़ी। काम नहीं था तो उन्होंने बस में कंडक्टर के तौर पर काम किया। कई सालों तक वो ये काम करते रहे। फिर कुछ दिनों तक सिग्नल पर मिट्टी के बने खिलौने भी बेचे उन्होंने।

हसरत साहब को फिल्मों में काम तब मिला जब पृथ्वी राज कपूर (Prithvi Raj Kapoor) ने उन्हें एक मुशायरे में सुना और उनसे कहा कि वो उनके बेटे राज कपूर से जाकर मिलें। इसके बाद राज कपूर (Raj Kapoor) ने उन्हें अपनी फ़िल्म ‘बरसात’ (Barsaat) में गीत लिखने का मौका दिया और उन्होंने ‘जिया बेकरार है’ गीत लिखा। इसके अलावा भी उन्होंने एक से बढ़ कर एक गाने लिखे।

बदन पे सितारे लपेटे हुए, बहारों फूल बरसाओ, जाने कहाँ गए वो दिन, ज़िन्दगी एक सफर है सुहाना, दुनियाँ बनाने वाले क्या तेरे मन में समाई, तुम मुझे यूं भुला न पाओगे जैसे कुछ सदाबहार गानें हसरत साहब की कलम से निकले हैं। बहारों फूल बरसाओ के लिए तो उन्हें फ़िल्मफ़ेअर सर्वश्रेष्ठ गीतकार के पुरस्कार से भी नवाजा गया था।

हसरत सहाब का राज कपूर से बेहद करीबी रिश्ता था। राज कपूर के मौत बाद वो काफी अकेले पड़ गए थे और लोगों से मिलना जुलना कम कर दिया था। हसरत साहब ने अपने फिल्मी करियर में लगभग 2000 गानें लिखे थे। 17 सितंबर 1999 को मुम्बई में उन्होंने आखिरी सांस ली थी।

हसरत जयपुरी के कुछ बेहतरीन शेर –

वो सबा महकी महकी

ख़ुदा जाने किस-किस की ये जान लेगी
वो क़ातिल अदा वो सबा महकी महकी

हम रातों को उठ उठ के जिन के लिए रोते हैं
वो ग़ैर की बांहों में आराम से सोते हैं

थाम तो लो मैं नशे में हूं

उस मैकदे की राह मे गिर जाऊं न कहीं
अब मेरा हाथ थाम तो लो मैं नशे में हूं

प्यार सच्चा हो तो राहें भी निकल आती हैं
बिजलियां अर्श से ख़ुद रास्ता दिखलाती हैं

नज़र से बचा कर चले गए

कहने को वो हसीन थे आंखें थीं बेवफ़ा
दामन मेरी नज़र से बचा कर चले गए

जाने क्यों तेज़ हुई जाती है दिल की धड़कन
चुटकियां लेती है क्यों सीने में मीठी सी चुभन

किस वास्ते लिक्खा है हथेली पे मेरा नाम
मैं हर्फ़-ए-ग़लत हूँ तो मिटा क्यूं नहीं देते

किस वास्ते लिक्खा है

हम अश्क़ जुदाई के गिरने ही नहीं देते
बेचैन सी पलकों में मोती से पिरोते हैं

किस वास्ते लिक्खा है हथेली पे मिरा नाम
मैं हर्फ़-ए-ग़लत हूँ तो मिटा क्यूँ नहीं देते

This post was last modified on September 16, 2020 4:11 PM

Share
Published by

Recent Posts

जीआईटीएम गुरुग्राम ने उत्तर भारत में शीर्ष प्लेसमेंट अवार्ड अपने नाम किया

नवीन शिक्षण पद्धतियों, अत्याधुनिक उद्यम व कौशल पाठ्यक्रम के माध्यम से, संस्थान ने अनगिनत छात्रों…

March 19, 2024

बिहार के नींव डालने वाले महापुरुषों के विचारों पर चल कर पुनर्स्थापित होगा मगध साम्राज्य।

इतिहासकार प्रोफ़ेसर इम्तियाज़ अहमद ने बिहार के इतिहास पर रौशनी डालते हुए बताया कि बिहार…

March 12, 2024

BPSC : शिक्षक भर्ती का आवेदन अब 19 तक, बिहार लोक सेवा आयोग ने 22 तक का दिया विकल्प

अब आवेदन की तारीख 15 जुलाई से 19 जुलाई तक बढ़ा दी गई है।

July 17, 2023

जियो ने दिल्ली के बाद नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम और फरीदाबाद में ट्रू5जी सर्विस शुरु की

पूरे दिल्ली-NCR में सर्विस शुरु करने वाला पहला ऑपरेटर बना

November 18, 2022

KBC 14: भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान कौन थे, जिन्होंने इंग्लैंड में भारत को अंतिम बार एक टेस्ट सीरीज जिताया था?

राहुल द्रविड़ की अगुवाई में टीम इंडिया ने 1-0 से 2007 में सीरीज़ अपने नाम…

September 23, 2022