हाईकोर्ट का आर्मी अफसर को अनोखा फरमान, कहा- फेसबुक इस्तेमाल करना इतना ज्यादा पसंद तो नौकरी छोड़ दे

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दिल्ली हाई कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में तैनात लेफ्टिनेंट कर्नल पीके चौधरी की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने फेसबुक व इंस्टाग्राम जैसे 87 सोशल मीडिया प्लेटफार्म का भारतीय सेना के सदस्यों द्वारा इस्तेमाल प्रतिबंधित किए जाने की नीति को चुनौती दी थी। दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडलॉ व न्यायमूर्ति आशा मेनन की पीठ ने कहा कि अगर फेसबुक से इतना ही प्यार है तो वह सेना से इस्तीफा दे दें।

इसके साथ ही पीठ ने कहा कि जब मामला पूरे देश की सुरक्षा से जुड़ा हो तब ऐसी याचिका पर विचार करने का कोई औचित्य नहीं बनता। पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि प्रतिबंध की नीति के तहत वह अपना फेसबुक अकाउंट डिलीट करें। पीठ ने कहा कि वह दोबारा अपना फेसबुक अकाउंट बना सकते हैं। इस मामले में अगली सुनवाई 21 जुलाई को होगी और बेंच ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा को पॉलिसी के दस्तावेज सीलबंद लिफाफे में कोर्ट के सामने पेश को कहा है।

बेंच ने अफसर से कहा- आप ये फैसला कीजिए। पॉलिसी यह है कि आर्मी में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल बैन है। यह फैसला राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए किया गया है इसलिए आपको फेसबुक अकाउंट डिलीट करना होगा। ऐसे में जब बात देश की सुरक्षा की हो तो ऐसे मामले में किसी तरह की अंतरिम राहत दिए जाने का सवाल ही नहीं उठता है। प्लीज! आप अपना अकाउंट डिलीट कर दीजिए। आप रोज कुछ नया ले आते हैं। यह इस तरह से नहीं चल सकता है।

याचिकाकर्ता ले. कर्नल ने मिलिट्री इंटेलिजेंस महानिदेशक द्वारा 6 जून को जारी आदेश को वापस लेने का निर्देश देने की मांग की थी। दरअसल इस आदेश के तहत सभी सैन्य अफसरों एवं सैनिकों को फेसबुक-इंस्टाग्राम समेत 87 एप डिलीट करने का निर्देश दिया गया था। याचिकाकर्ता ने कहा कि यह नीति अभिव्यक्ति की आजादी, निजता का उल्लंघन जैसे मौलिक अधिकारों का हनन है। ऐसे में उनके इन अधिकारों का हनन नहीं होना चाहिए।

ले. कर्नल ने अधिवक्ता शिवांक प्रताप सिंह व सनिंदिका प्रताप सह के माध्यम से दायर याचिका में कहा कि वह सोशल मीडिया का इस्तेमाल विदेश में रहने वाली अपनी बड़ी बेटी समेत अपने दोस्तों व परिवार के सदस्यों से जुड़े रहने के लिए भी करते हैं। याचिका के अनुसार ले. कर्नल चौधरी को इस संबंध में नौ जुलाई को अखबार के माध्यम से सूचना मिली और फिर 10 जुलाई को उन्हें इस संबंध में एक आधिकारिक पत्र भी मिला।

ले. कर्नल चौधरी ने अपना तर्क देते हुए कहा था कि ज्यादातर सैनिकों की तैनाती रिमोट एरिया में होती है और हर समय उन्हें दुश्मन से खतरा होता है, ऐसे में सोशल मीडिया ही उनके परिवार से जुड़े रहने का एकमात्र जरिया है। घर से दूर रह कर सैनिक अपने परिवार में होने वाले बर्थ-डे, शादी समेत अन्य कार्यक्रमों की फोटो व वीडियो सोशल मीडिया से हासिल कर पाता है।लेकिन सोशल मीडिया को प्रतिबंधित करना स्पष्ट रूप से व्यक्ति के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।

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