इफ्तिखार अली खान पटौदी: इंग्लैंड और भारत दोनों के लिए खेलने वाले अकेले टेस्ट क्रिकेटर

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हरियाणा के गुरुग्राम (गुड़गांव) से 26 किलोमीटर दूर अरावली की पहाड़ियों में बसे पटौदी रियासत का इतिहास करीब 200 साल पुराना है। पटौदी रियासत की स्थापना सन् 1804 में हुई, जिसके पहले नवाब सैफ अली खान के पूर्वज फैज तलब खान थे। पटौदी रियासत के 8वें नवाब इफ्तिखार अली खान हुए। वह भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मंसूर अली खान उर्फ टाइगर पटौदी के पिता थे। इफ्तिखार अली खान एकमात्र ऐसे टेस्ट क्रिकेटर हैं, जिन्होंने इंग्लैंड और भारत दोनों के लिए खेला है।

लाहौर के एचिसन कॉलेज और बॉलिओल कॉलेज, ऑक्सफोर्ड से पढ़ाई करने वाले इफ्तिखार अली खान ने 1932-33 बॉडीलाइन श्रृंखला के लिए इंग्लैंड की टीम तैयार की। पटौदी ने रणजी और दलीप ट्रॉफी के नक्शेकदम पर चलते हुए एससीजी में अपने एशेज डेब्यू (जो उनका टेस्ट डेब्यू भी था) पर शतक बनाया। हालांकि, उन्हें अगले टेस्ट के बाद हटा दिया गया था। क्योंकि वह इंग्लैंड टीम के कप्तान डगलस जार्डिन की रणनीति से असहमत थे। इसलिए, दौरा खत्म होने से पहले ही उन्हें घर लौटना पड़ा। 1933-1934 के काउंटी सत्र में वोरसेस्टरशायर के लिए जबरदस्त फॉर्म दिखाने के कारण उन्हें 1934 में आस्ट्रेलियाई दौरे के लिए टेस्ट टीम में वापस बुला लिया गया।

1936 में इंग्लैंड के दौरे से कुछ महीने पहले इफ्तिखार अली खान पटौदी को भारतीय कप्तान नियुक्त किया गया था। वह जैक राइडर की अगुवाई वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम के खिलाफ श्रृंखला के लिए भारतीय खिलाड़ियों को तैयार करने की जिम्मेदारी मिली। हालाँकि, पटौदी ने फिटनेस का हवाला देकर अपना नाम वापस ले लिया।

आखिरकार दस साल बाद उन्होंने इंग्लैंड दौरे के लिए भारतीय क्रिकेट टीम का नेतृत्व किया। लेकिन पटौदी के लिए यह दौरा कुछ अच्छा नहीं गुजरा। तब वह 36 वर्ष के थे और उनका खेल ढलान पर था। इसके अलावा पूर्व में उन्होंने प्रथम श्रेणी क्रिकेट भी कम ही खेला था। उन्होंने इस दौरे पर एक हजार रन बनाए और अभ्यास मैचों में नॉटिंघमशायर और ससेक्स के खिलाफ शतक जड़कर अपने बैटिंग हुनर की कुछ झलक दिखाई। लेकिन श्रृंखला में उनका औसत महज 11 का रहा। जिसे भारत ने 1-0 से गंवा दिया। खराब स्वास्थ्य ने उन्हें जल्द ही रिटायर होने के लिए मजबूर कर दिया। रिटायर होने के पांच साल बाद, पोलो खेलते हुए बेटे मंसूर अली खान के जन्मदिन पर ही उनकी मृत्यु हो गई।

मुगलों से तोहफे में मिली थी दिल्ली व राजस्थान की जमीनें

इफ्तिखार अली खान के पुरखे सलामत खान सन् 1408 में अफगानिस्तान से भारत आए थे। सलामत के पोते अल्फ खान ने मुगलों का कई लड़ाइयों में साथ दिया था। उसी के चलते अल्फ खान को राजस्थान और दिल्ली में तोहफे के रूप में जमीनें मिलीं। 1917 से 1952 इफ्तिखार अली हुसैन सिद्दिकी, पटौदी रियासत के आठवें नवाब बने थे।

This post was last modified on March 15, 2019 10:02 PM

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