राजस्‍थान: पहले अस्पताल में देखी जाती है मरीजों की कुंडली, फिर किया जाता है इलाज

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विज्ञान और ज्योतिष को आपस में जोड़ कर देख पाना किसी के लिए भी मुश्किल है। विज्ञान पर भरोसा रखने वाले ज्योतिष को अंधविश्वास और पिछड़ेपन की निशानी मानते हैं। इलाज या उपाय के लिए ज्योतिष अपनाने वालों विज्ञान पर चलने की सलाह दी जाती है। लेकिन तब क्या हो जब विज्ञान के माध्यम से इलाज करने वाले भी ज्योतिष का सहारा लेने लगें?

राजस्थान के जयपुर से कुछ ऐसी ही चौकाने वाली जानकारी सामने आ रही है, जिसमें विज्ञान के ज्ञाता ज्योतिष विद्या का सहारा ले रहे हैं। दरअसल, जयपुर के एक अस्पताल में मरीजों की बीमारी का पता लगाने के लिए खुद डॉक्टर्स ही ज्योतिष विद्या का सहारा ले रहे हैं और ज्योतिषों द्वारा किये गए निष्कर्षों के आधार पर ही इलाज कर रहे हैं।

यह घटना जयपुर के ‘यूनिक संगीता मेमोरियल अस्‍पताल’ की है, जिसका उद्धघाटन इसी साल फरवरी में पूर्व मुख्‍यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया द्वारा किया गया था। इस अस्पताल में आयुर्वेद, योग, ज्योतिष और एलोपैथी हर तरह की सुविधाएं हैं। इस अस्पताल में ही मरीजों के इलाज से पहले उनकी कुंडली देखी जाती है। इस पर अस्पताल प्रबंधन का दावा है कि ऐसा करने के पीछे कारण है कि कुंडली देखकर जब वे बीमारियों के बारे में पता लगाते हैं और इस दिशा में इलाज शुरू करते हैं, तो मरीजों को भी संतोष होता है। इसके लिए बाकायदा ज्योतिष काउंटर खोला गया है।

इलाज से पहले इस अस्पताल के सचिव पंडित अखिलेश शर्मा रोजाना करीब 25-30 मरीजों की कुंडली देखते हैं उनका कहना है कि ‘मैं रोजाना 25-30 कुंडली देखता हूं। हम केवल बीमारी का पता लगाने के लिए ज्‍योतिष का सहारा लेते हैं। इलाज के लिए हम मेडिकल साइंस का रुख करते हैं। हम ऐसा इसलिए करते हैं ताकि बीमारी के बारे में सही-सही जानकारी जुटाई जा सके और इसमें समय जाया न हो।’

इस पूरे मामले पर अस्पताल के डॉक्टर्स का कहना है कि इलाज के लिए बेस्ट तकनीकों का प्रयोग किया जाता है। साथ ही ज्योतिष विद्या का सहारा लिया जाता है। इन सब का कारण देते हुए उन्होंने कहा कि ऐसा करने से मरीजों को संतुष्टि मिलती है। अपने बयान में उन्होंने कहा , ‘जब कोई मरीज यहां आता है तो उसका ज्‍योतिष मूल्‍यांकन किया जाता है और इसी आधार पर उसकी बीमारी के बारे में पता लगाया जाता है। इसके बाद मेडिकल और ज्‍योतिषीय उपचारों की तुलना की जाती है। उपचार उन्‍नत प्रौद्योगिकी के जरिये किया जाता है, लेकिन बीमारी का पता लगाने के लिए हम ज्‍योतिष का सहारा लेते हैं। इस तरह से मरीज भी संतुष्‍ट होते हैं।’

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