इंदौर के गौतमपुरा में बरसे आग के गोले, 19 घायल (लीड-1)

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इंदौर, 28 अक्टूबर (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश की व्यावसायिक नगरी इंदौर के गौतमपुरा में वषरें से चली आ रही परंपरा के मुताबिक, दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा के मौके पर हिंगोट युद्घ आयोजित किया गया। आसमान पर उड़ते हुए आग के गोले दो दलों ने एक-दूसरे पर बरसाए। इस युद्घ में कुल 19 लोग घायल हुए, जिन्हें प्राथमिक उपचार के बाद घरों को रवाना कर दिया गया। जिला मुख्यालय से 55 किलोमीटर दूर स्थित गौतमपुरा में दीपावली के अगले दिन और भाईदूज की पूर्व संध्या पर दो दल जमा हुए, जिनमें से एक दल गौतमपुरा का ‘तुर्रा’ दूसरा रुणजी गांव का ‘कलंगी’ दल था। दोनों दलों के सदस्यों ने एक-दूसरे पर हिंगोट से हमला किया।

देपालपुर क्षेत्र के अनुविभागीय अधिकारी, पुलिस (एसडीओ-पी) रामकुमार राय ने आईएएनएस को बताया, “हिंगोट युद्घ में दोनों ओर से चले हिंगोट से किसी भी व्यक्ति को गंभीर चोट नहीं आई है। कुल 19 लोगों को मामूली चोटें लगीं, जिन्हें प्रारंभिक उपचार के बाद घर भेज दिया गया है।”

उन्होंने प्रशासन की ओर से की गई तैयारियों का ब्यौरा देते हुए बताया, “पुलिस और प्रशासन ने हिंगोट युद्घ में किसी तरह का हादसा न हो, इसके पुख्ता इंतजाम किए थे। मैदान के चारों ओर जाली लगाई गई थी, जिससे हिंगोट बाहर नहीं आ सकता। बीते साल से दोगुना पुलिस बल की तैनाती की गई थी।”

गौतमपुरा में हिंगोट युद्घ की यह परंपरा कई वर्षो से चली आ रही है। हिंगोट एक फल है। यहां के लेाग लगभग एक माह पहले से कंटीली झाड़ियों में लगने वाले हिंगोट को जमा करते हैं, उसके अंदर के गूदे को अलग कर दिया जाता है, और उसके कठोर बाहरी आवरण को धूप में सुखाने के बाद उसके भीतर बारूद, कंकड़-पत्थर भरे जाते हैं।

बारूद भरे जाने के बाद यह हिंगोट बम का रूप ले लेता है। उसके एक सिरे पर लकड़ी बांधी जाती है, जिससे वह राकेट की तरह आगे जा सके। एक हिस्से में आग लगाने पर हिंगोट राकेट की तरह घूमता हुआ दूसरे दल की ओर बढ़ता है। दोनों ओर से चलने वाले हिंगोट के कारण गौतमपुरा का भगवान देवनारायण के मंदिर का मैदान जलते हुए गोलों की बारिश के मैदान में बदल गया। देानों दलों के योद्घाओं ने एक-दूसरे पर जमकर हिंगोट चलाए, जिसमें 19 लोगों को चोटें आईं।

आखिर हिंगोट युद्घ की शुरुआत कैसे, क्यों और कब हुई, इसका कहीं भी उल्लेख नहीं मिलता है। लेकिन किंवदंती है कि रियासतकाल में गौतमपुरा क्षेत्र की सीमाओं की रक्षा के लिए तैनात जवान दूसरे आक्रमणकारियों पर हिंगोट से हमले करते थे।

स्थानीय लोगों के मुताबिक, हिंगोट युद्घ एक किस्म के अभ्यास के रूप में शुरू हुआ था और उसके बाद इसके साथ धार्मिक मान्यताएं जुड़ती चली गईं।

इंदौर मुख्यालय से लगभग 55 किलोमीटर दूर बसे गौतमपुरा में इस आयोजन को लेकर खासा उत्साह रहा और हिंगोट युद्घ शुरू होने से पहले ही लोगों का हुजूम मौके पर पहुंचने लगा था। एक तरफ जहां सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे, वहीं दूसरी ओर स्वास्थ्य कर्मियों की तैनाती की गई थी। एंबुलेंस भी थे, ताकि इस युद्घ के दौरान घायल होने वालों को जल्दी उपचार मिल सके।

 

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