कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया में जमकर कहर बरपाया हुआ है। देश में भले ही कोरोना संक्रमण की रफ्तार पहले से कम हुई है, लेकिन कोरोना के अलावा भी कई बीमारियों से इस मौसम में दस्तक दे चुकी है। बारिश के मौसम की शुरूआत होते ही डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया के मामले भी सामने आ रहे हैं, वहीं स्वाइन फ्लू का संक्रमण भी देखने को मिला हैं।
इन खतरनाक बीमारियों के प्रति सावधान रहना बहुत जरूरी है, क्योंकि जरा से जोखिम की वजह से मरीज की मौत भी हो सकती है। इसलिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से समय-समय पर लोगों को जागरूक किया जाता है। आइए जानते हैं कि इन जानलेवा बीमारियों के लक्षण क्या हैं और इनसे कैसे बचा जा सकता हैः
कोरोना वायरस ने पिछले छह महीने में सबसे ज्यादा तबाही मचाई है। इससे दुनियाभर में संक्रमण का आंकड़ा 2.20 करोड़ पार कर चुका है, वहीं 7.77 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। देश की राजधानी दिल्ली में डेढ़ लाख से ज्यादा कोरोना के मामले सामने आ चुके हैं, बाकि राज्यों में भी हालत बिगड़ते ही जा रहे है।
कोरोना के लक्षण और प्रभाव-
ये खतरनाक वायरस इंसान के श्वसन तंत्र पर सीधे असर करता है। इसके लक्षणों में लक्षण बुखार, थकान, सूखी खांसी, सिरदर्द, बदन दर्द, सांस लेने में तकलीफ, डायरिया, गंध और स्वाद खोना आदि शामिल हैं। वहीं कई मरीजों में बेहद ही मामली से लक्षण दिखाई देते हैं। बुजुर्गों और गंभीर बीमारियों से ग्रस्त लोगों को इस वायरस से ज्यादा खतरा रहता है।
सावधानी और बचाव-
– घर से बाहर निकलने पर मास्क का इस्तेमाल करें और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें।
-साफ सफाई का खास ध्यान रखें।
-बार-बार हाथ धोते रहें।
-संक्रमित सतहों दूरी बनाकर रखें।
-अपने हाथों से आंख, नाक और मुंह छूने से बचें।
-सांस लेने में तकलीफ बढ़ने पर बिना देर किए डॉक्टर से तुरंत सलाह ले।
स्वाइन फ्लू–
यह वायरस ज्यादातर सुअर में पाया जाता है। नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के अनुसार, दिल्ली में H1N1 मरीजों की संख्या 31 जुलाई तक 412 है, जिनमें से किसी की मौत नहीं हुई है। साल 2010 में पहली बार सामने आए इस वायरस ने 2700 से ज्यादा लोगों की जान ली थी।
स्वाइन फ्लू के लक्षण और प्रभाव-
स्वाइन फ्लू होने पर बुखार, नाक बहना, गले में सूजन, छाती जाम और सांस में तकलीफ इसके लक्षणों में शामिल हैं। ज्यादातर लोगों को यह वायरस थोड़ा ही बीमार करता है। अगर आपको तीन दिन से ज्यादा बुखार हो, सांस में तकलीफ, थकान, भूख में कमी और उल्टी जैसी शिकायत पर डॉक्टर से मिलना जरूरी है।
स्वाइन फ्लू से बचाव और उपाय-
अस्पताल या अन्य किसी सार्वजनिक स्थान पर किसी भी व्यक्ति के पास जाना जरूरी हो तो मास्क के साथ-साथ दस्ताना भी पहनना चाहिए। लक्षण सामने आने के दो दिनों के अंदर ही डॉक्टर एंटी-वायरल ड्रग देते हैं। इससे बीमारी का पता जितनी जल्दी चलता है उतने ही जल्दी इसके खतरे को कम किया जा सकता है।
डेंगू-
तेज बुखार, सिर और मांसपेशियों में दर्द, कमजोरी, भूख न लगना, जी मिचलाना, स्वाद नहीं आना, आंखों के पिछले हिस्से में दर्द, जोड़ों में हड्डीतोड़ दर्द आदि इसके प्रमुख लक्षण हैं। सामान्यत: डेंगू 5-7 दिन के इलाज से ठीक हो जाता है। लेकिन डेंगू शॉक सिंड्रोम और हेमरेजिक फीवर खतरनाक होता है।
बरतें खास सावधानी-
मच्छरों से बचने के लिए पूरी बाजू के कपड़े पहने। खुले में पानी जमा न होनें दें। जगहों पर हफ्ते में एक बार मच्छरनाशक रसायन का छिड़काव जरूर करें। मच्छरों के काटने से खुद को बचाएं। किसी भी तरह का बुखार होने पर कोई लापरवाही न बरतें तुरंत नजदीकी डॉक्टर से सम्पर्क करें।
मलेरिया-
गंदे पानी में पनपने वाली मादा ‘एनाफिलीज’ मच्छर के काटने के बाद ‘प्लाज्मोडियम’ नाम के पैरासाइट से यह बीमारी होती है। मलेरिया में आमतौर पर एक दिन छोड़कर बुखार आता है। कंपकंपी, अचानक ठंड के साथ तेज बुखार, फिर गर्मी के साथ तेज बुखार, कमजोरी आदि इसके प्रमुख लक्षणों में शामिल हैं।
सावधानी बरतना जरूरी-
घर में मच्छर ना होने दें। खिड़कियों और दरवाजों पर महीन जाली लगवाएं। घर के आसपास पानी जमा न होने दें। मच्छरों से बचने के लिए, उन्हें भगाने के लिए क्रीम, स्प्रे, कॉइल आदि का इस्तेमाल करें। पीने के पानी में क्लोरीन की गोली मिलाकर पानी का इस्तेमाल करें।
चिकनगुनिया-
बारिश के मौसम में चिकनगुनिया तेजी से फैलता है। चिकनगुनिया में मरीज को जोड़ों में तेज दर्द होता है। मरीज को तेज बुखार भी रहता है। सिरदर्द, शरीर में दर्द, शरीर पर रैशेज यानी चकत्ते होना इसके लक्षणों में से हैं। इस बीमारी में शरीर में पानी की कमी हो जाती है जो खतरनाक साबित होती है।
क्या सावधानियां जरूरी-
चिकनगुनिया से बचने का सबसे कारगर उपाय यहीं है कि खुद को मच्छरों के काटने से बचाएं और आसपास मच्छरों को फैलने न दें। कहीं पानी जमने न दें। घर में मच्छर हों तो मच्छरदानी लगाकर ही सोएं। पूरी बांह के कपड़ो का ही इस्तेमाल करें।
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