सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारियों ने ‘मुस्लिम रेजीमेंट’ और उसको लेकर फैलाई जा रही गलत खबरों को लेकर राष्ट्रपति को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में सैन्य अधिकारियों ने पाकिस्तान के खिलाफ 1965 में युद्ध लड़ने से इनकार करने वाले एक गैर-मौजूद “मुस्लिम रेजिमेंट” के बारे में सोशल मीडिया पर “फर्जी खबर” फैलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का अनुरोध किया है।
दरअसल भारत के पास किसी तरह की कोई मुस्लिम रेजिमेंट नहीं है। ऐसे झूठ जो मई 2013 में शुरू हुए थे, अभी भी सोशल मीडिया पर ऐसे समय में व्यापक रूप से फैले हुए हैं जब देश पाकिस्तान और चीन दोनों के साथ सैन्य तनाव से जूझ रहा है। पत्र पर पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल एल रामदास और सशस्त्र बलों के 24 दो स्टार और तीन-स्टार जनरलों सहित 120 दिग्गजों ने हस्ताक्षकर किए।
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित खबर के मुताबिक लेफ्टिनेंट जनरल एस. ए. हसनैन (रिटायर्ड)के हवाले से अंदेशा जताया है कि मुस्लिम रेजिमेंट के 1965 की लड़ाई में भाग लेने से इनकार करने की अफवाह पाकिस्तान की आईएसआई की तरफ से फैलाई जा रही है।
सोशल मीडिया पर मुस्लिम रेजिमेंट ’जैसी पोस्ट हमारे सशस्त्र बलों के मनोबल पर एक घातक हमले की तरह है। यह जनता के मन में मुस्लिम सैनिकों पर भरोसा नहीं किया जा सकता जैसे संदेह पैदा करता है। यह भारत में रह रहे समुदायों के बीच अविश्वास और नफरत को बढ़ाता है।
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