करुणानिधि: साउथ का वो राजनेता जो कभी चुनाव नहीं हारा, जानें उनसे जुड़ी रोचक बातें

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भारत के इतिहास में 3 जून का दिन दक्षिण की राजनीति के स्तंभ कहे जाने वाले करुणानिधि के जन्मदिन के लिए भी याद किया जाता है। करुणानिधि का जन्म 3 जून 1924 को हुआ था। 1969 में उन्होंने पहली बार राज्य के सीएम का पद संभाला था। इसके बाद वो पांच बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रहे। करुणानिधि ने 94 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह दिया।

आइए जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ खास बातें…..

-करुणानिधि महज 14 वर्ष के थे जब उन्होंने राजनीति में कदम रखा।

-करुणानिधि एक ऐसे नेता रहे जिन्होंने हर चुनाव में अपनी सीट न हारने का रिकॉर्ड दर्ज किया है। वो जिस भी सीट से भी चुनाव लड़े हमेशा जीत हासिल की। साल 2016 के चुनाव में उन्होंने पूरे राज्य में सबसे ज़्यादा अंतर से जीत दर्ज़ की थी।

-उनके माता-पिता ने उनका नाम दक्षिणामूर्ति रखा था, लेकिन बाद में इसे बदलकर  करुणानिधि कर दिया गया क्योंकि यह एक शुद्ध तमिल नाम है।

-करुणानिधि 15 अगस्त 1974 को राष्ट्रीय ध्वज फहराने वाले भारत के पहले मुख्यमंत्री बने। इससे पहले, केवल राज्यपालों ने गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर झंडा फहराया था।

-साल 1969 में डीएमके के संस्थापक सीएन अन्नादुरै के निधन के बाद करुणानिधि पहली बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बने थे।

– करुणानिधि  ने समीक्षकों द्वारा प्रशंसित फिल्म ‘पराशक्ति’ की पटकथा लिखी थी, जिससे शिवाजी गणेशन ने अपनी शुरुआत की। यह फिल्म अपने डायलॉग्स के लिए जानी गई और तमिल सिनेमा में इसने अपनी एक अलग छाप छोड़ी।

-DMK प्रमुख ने 14 साल की उम्र में समाचार पत्र ‘मुरासोली’ की स्थापना की। करुणानिधि ने कई किताबें भी लिखीं। इनमें उनकी आत्मकथा नेन्जुक्कू नीति (दिल के लिए इंसाफ) भी शामिल है। वो कुछ वक़्त के लिए पार्टी के मुखपत्र के संपादक भी रहे।

-करुणानिधि को उनके पत्रों, कविताओं, पटकथाओं, फिल्मों, संवादों, मंच-नाटकों, उपन्यासों और लेखों के माध्यम से तमिल साहित्य में उनके योगदान के लिए उनके अनुयायियों द्वारा कला के एक विद्वान ‘कालगणर’ के रूप में जाना जाता था।

-1947 में, करुणानिधि ने एमजी रामचंद्रन की पहली फिल्म ‘राजकुमारी’ के लिए पटकथा और संवाद लिखे, जो बाद में उनके कट्टर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी बन गए और  AIADMK की स्थापना की।

-1937 में दक्षिण भारत में हिंदी विरोध पर मुखर होते हुए करुणानिधि ने ‘हिंदी-हटाओ आंदोलन’ किया।

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