नई दिल्ली, 25 नवंबर (आईएएनएस)। भारत ने अंतर-एजेंसी प्रयासों में समन्वय संबंधी बाधाओं को दूर कर और रणनीतियों को लागू कर 2008 के 26/11 के मुंबई हमलों के बाद से बड़े पैमाने पर आतंकी हमले को रोकने में सफलता हासिल की है।
एजेंसियों के बीच गोपनीय डेटा साझा करने के लिए तंत्र की कमी; अंतर-एजेंसी समन्वय के संबंध में संघीय मार्गदर्शन की कमी; आदेश की श्रृंखला के संबंध में संघीय, राज्य और स्थानीय उत्तरदाताओं के बीच स्पष्टता की कमी और विभिन्न एजेंसी संरचनाएं अंतर-एजेंसी समन्वय के लिए आमतौर पर बताई गई बाधाओं में से कुछ थीं। 26/11 के हमलों के बाद, भारत सरकार ने इन मुद्दों को तेजी से और बड़े पैमाने पर हल किया।
पिछले दशक में पूरे भारत में बैक-टू-बैक आतंकी हमलों ने उजागर किया कि आपातकालीन तैयारी और प्रतिक्रिया को कवर करने के लिए कानून प्रवर्तन निकायों और सरकार की अन्य एजेंसियों के बीच संचार और समन्वय की कमी थी। मुंबई हमलों के बाद आतंकवाद-रोधी तंत्र में एक सुधार हुआ है।
इंटेलीजेंस क्षमता
राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जोखिम कम करने के लिए समय पर खफिया सूचना बहुत कुछ कर सकती है। 26/11 के मुंबई हमलों के बाद, खुफिया विभाग पर विफल होने का और अन्य एजेंसियों को खुफिया सूचना कम्युनिकेट करने की क्षमता की कमी का आरोप लगाया था।
रिसर्च एंड एनालिसिसि विंग (रॉ) के पूर्व प्रमुख ए.एस. दुलत ने आईएएनएस को बताया कि तब कोई खुफिया विफलता नहीं थी। उन्होंने कहा, खुफिया सूचना मिली थी और उसे उस समय सही सुरक्षा प्रतिष्ठान को भेज दिया गया था।
अब, भारत सरकार ने बहु-एजेंसी समन्वय केंद्रों (एमएसीसी) और सहायक बहु-एजेंसी समन्वय केंद्रों (एसएमएसीसी) के सु²ढ़ीकरण के साथ खुफिया सूचना एकत्रीकरण तंत्र में सुधार किया है और अंतर-एजेंसी समन्वय बढ़ाया है।
तटीय सुरक्षा मजबूत की गई
मुंबई हमलों के बाद समुद्री सुरक्षा उजागर हुई, सरकार ने तटीय सुरक्षा तंत्र को मजबूत किया है। भारतीय नौसेना अब 12 नॉटिकल मील से परे क्षेत्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार है। इसमें भारतीय तटरक्षक द्वारा सहायता प्रदान की जाएगी, जो पांच और 12 नॉटिकल मील के बीच की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है। सरकार ने समुद्री पुलिस की भी स्थापना की है जो अब तट से पांच नॉटिकल मील तक सुरक्षा सुनिश्चित करती है।
सोशल मीडिया
पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन अपनी विचारधारा फैलाने और भर्तियां करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करते रहे हैं। इसका असर कश्मीर में देखा जा सकता है। अब, भारत के सुरक्षा प्रतिष्ठानों ने प्रभावी काउंटर-नैरेटिव तैयार किए हैं और ऐसे माहौल का निर्माण किया है जो कट्टरता की ओर नहीं ले जाता है। सरकार अब ²ढ़ता से और समझदारी से कट्टरता से निपट रही है।
क्षमताओं में सुधार
सरकार ने देश भर में स्थानीय आतंकवाद रोधी इकाइयों की क्षमताओं में भी सुधार किया है। किसी भी आतंकी हमले का पहला जवाब स्थानीय पुलिस देती है। सरकार ने पुलिस तंत्र में कई सुधार किए हैं और आतंकवादियों को पकड़ने के लिए नवीनतम हथियारों और उपकरणों के साथ भी पुलिसकर्मियों को सुसज्जित किया है।
उस समय आतंकवाद रोधी इकाई नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (एनएसजी ) को 26/11 हमले के दौरान एयरक्राफ्ट के लिए हवाईअड्डे पर आठ घंटे तक इंतजार करना पड़ा था। लेकिन अब चीजें बदल गई हैं।
एनएसजी के पूर्व महानिदेशक जे.के. दत्त ने आईएएनएस को बताया, उस समय महानिदेशक के रूप में, मेरे पास एक विमान की मांग करने का अधिकार नहीं था। मैं केवल एक अपहरण के मामले में ऐसा कर सकता था। अब नियम बदल गए हैं। अब महानिदेशक के पास भारत में पंजीकृत किसी भी ऑपरेटर से जन सुरक्षा और जन सेवा के हित में ऐसी मांग करने का अधिकार है।
बल की क्षमताओं को बढ़ाने के बारे में, दत्त ने कहा कि हमें नए उपकरण मिले हैं। हमें नए वाहन मिले हैं। ये सभी आतंकवाद-रोधी अभियानों के दौरान बहुत योगदान देते हैं।
इसके अलावा, सरकार ने संवेदनशील स्थानों पर एनएसजी की तैनाती भी बढ़ा दी है। एनएसजी संयुक्त अभ्यास के माध्यम से स्थानीय पुलिस की क्षमता निर्माण में भी शामिल है।
निर्णय लेना
सरकार ने संकट के समय में तेजी से निर्णय लेने के लिए एक तंत्र भी स्थापित किया है। इसका बेहतरीन उदाहरण फरवरी 2019 में जम्मू-कश्मीर में पुलवामा हमले के बाद भारत द्वारा पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकवादी शिविरों पर हमला करना है।
–आईएएनएस
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