नई दिल्ली, 26 फरवरी (आईएएनएस)| उत्तर पूर्वी दिल्ली जिले में तीन दिन से मची तबाही की तह तक पहुंचने की कोशिश में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल और अपराध शाखा (क्राइम ब्रांच) की टीमें जुट गई हैं। यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोवाल के मंगलवार आधी रात इलाके में पहुंचने के बाद उठाया गया है। डोवाल काफी देर तक जिला पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) वेद प्रकाश सूर्य के दफ्तर में आला पुलिस अफसरों की ‘क्लास’ भी लेते रहे। एनएसए ने हालातों से निपट पाने में पूरी तरह नाकाम रही दिल्ली पुलिस को कुछ ‘मंत्र’ भी दिए।
दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने बुधवार सुबह आईएएनएस से विशेष बातचीत में पहचान उजागर न करने की शर्त पर बताया, “एनएसए डोवाल रात करीब ग्यारह बजे उत्तर पूर्वी जिले में पहुंचे। उन्होंने सबसे पहले यही पूछा कि, हालात आखिर इतने बिगड़ने की नौबत कैसे आई? डोवाल के इस सवाल पर पुलिस निरुत्तर थी। वजह, पुलिस के पास वाकई कोई जबाब नहीं था। क्योंकि जबाब देते ही पुलिस फंस जाती। लिहाजा पुलिस अफसरों ने ‘हां’ ‘हूं’ ‘न सर’ ‘यस सर’ ‘ओके सर’ जैसे छोटे-छोटे शब्दों का इस्तेमाल करके मुसीबत टालने की असफल कोशिश की।”
मंगलवार को देर रात एनएसए के साथ हुई बैठक के बाद छन-छनकर बाहर आ रहीं खबरों के मुताबिक, “डोवाल ने पूरी बैठक में पुलिस का मनोबल तोड़ने जैसी कोई बात नहीं की। बातचीत और हिदायतों से उनका मकसद यही लगा कि वो पुलिस का मनोबल बढ़ाने और जल्दी से जल्दी हालातों पर काबू पाने के उपायों को अमल में लाने के इरादे से ही हुकूमत की ओर से आधी रात को सीलमपुर इलाके में भेजे गए हैं। करीब एक घंटे चली बैठक में एनएसए डोवाल का जोर यह जानने पर ज्यादा था कि आखिर अफवाहें ज्यादा फैल रही हैं या फिर वाकई हालात भी गंभीर हैं?”
कुल जमा अगर दिल्ली पुलिस के ही उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो घुमा-फिराकर ही सही मगर उत्तर पूर्वी जिला पुलिस ने मान लिया कि हालात बेकाबू हुए थे। अफवाहों ने हालात बिगाड़ने में आग में घी सा काम कर दिया। यह पता चलते ही एनएसए डोवाल ने दो टूक पुलिस को जो कुछ समझाया उसका लब्बोलुआब यही था कि, ‘जो हुआ उससे आगे बढ़ो। अब सख्ती से पेश आओ, ताकि हिंसा पर उतारु लोगों को न अफवाह फैलाना का मौका मिले न ही कोई और जघन्य घटना या हिंसा हो पाए।’
डोवाल और पुलिस अफसरों के बीच हुई बैठक से निकल आ रही खबरों के मुताबिक, ‘पुलिस ने इशारा कर दिया था, चूंकि जिला और थाना पुलिस कानून-व्यवस्था बनाए रखने से जूझ रही है। लिहाजा जल्दी से जल्दी मौके से सबूत इकट्ठे कर जांच को जल्दी से जल्दी पूरा करने के लिए स्पेशल सेल और क्राइम ब्रांच की टीमें लगा दी गई हैं, ताकि सबूत नष्ट न हो जाएं।’
मामला चूंकि बेहद संवेदनशील है इसलिए डोवाल से मिली सलाह और सख्त निर्देशों पर दिल्ली पुलिस का कोई भी आला-अफसर खुलकर बोलने को राजी नहीं है। हां इतना तय है कि, आधी रात को केंद्र की हुकूमत ने डोवाल को यूं ही उत्तर पूर्वी जिले में पुलिस की ‘क्लास’ लेने के लिए नहीं भेजा था। डोवाल ने पुलिस को यह बार-बार चेताया कि, ‘पीछे क्या हुआ भूलो, आगे आरोपियों को दबोचने और कोई नई घटना न घटे, यह पुलिस सुनिश्चित कर ले।’
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