Abul Kalam Azad Birthday: जामिया के शिक्षकों ने कहा, अबुल कलाम आजाद के रहते बना देश का पहला आईआईटी

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भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती के अवसर पर जामिया मिलिया इस्लामिया ने राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया। जामिया के एजुकेशन स्टडीज विभाग ने मौलाना आजाद के योगदान पर बुधवार को ऑनलाइन पैनल चर्चा का आयोजन किया। इसमें विभाग के सभी प्रोग्राम के अध्यापकों और छात्रों ने हिस्सा लिया।

इस दौरान जामिया के शिक्षकों ने कहा, अबुल कलाम आजाद के शिक्षा मंत्री रहते देश में पहला आईआईटी, आईआईएससी, स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड एग्रीकल्चर और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की स्थापना हुई थी। इस योगदान के सम्मान में उनके जन्म दिवस को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता है।

एजुकेशन स्टडीज विभाग के प्रमुख प्रो. एजाज मसीह ने कहा, मौलाना आजाद न सिर्फ एक बेहतरीन वक्ता थे, बल्कि एक महान विचारक और विद्वान भी थे। वह हिंदू-मुस्लिम एकता के बड़े समर्थक थे और वह राष्ट्र को धर्म से ऊपर मानते थे।

जामिया के उर्दू विभाग के एसिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. खालिद मुबश्शिर ने पैनल चर्चा के मुख्य अतिथि के तौर पर मौलाना आजाद के योगदान पर प्रकाश डालते हुए कहा, मौलाना आजाद चाहते थे कि अल्पसंख्यक समुदायों के बीच असुरक्षा की भावना दूर की जाए। वह साझा संस्कृति के प्रबल समर्थक थे और आधुनिकता और परंपरा के बीच संतुलन बनाना चाहते थे। वह प्रेस की आजादी में यकीन रखते थे और मानते थे कि शिक्षा को रोजी कमाने की तुलना में व्यक्तित्व विकास पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए।

एजुकेशनल स्टडीज विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. एम जावेद हुसैन ने मौलाना आजाद के शैक्षिक विचारों और स्वतंत्र भारत में शिक्षा की राष्ट्रीय प्रणाली विकसित करने में उनके योगदान के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि एक धार्मिक परिवार और धर्मशास्त्र में प्रशिक्षित होने के बावजूद, मौलाना आजाद अपने शैक्षिक विचारों को लेकर बहुत ही उदार थे। वह परंपरा और आधुनिकता के सर्वश्रेष्ठ संवाद का प्रतिनिधित्व करते थे।

उन्होंने आजाद के उस पांच सूत्रीय कार्यक्रम का भी जिक्र किया जिसमें मुफ्त और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा, वयस्कों की सामाजिक शिक्षा, गुणवत्तापूर्ण माध्यमिक और उच्च शिक्षा सुविधाओं का विस्तार करना, तकनीकी और वैज्ञानिक शिक्षा पर खास जोर देना और समुदाय के सांस्कृतिक जीवन को समृद्ध बनाना शामिल है। उन्होंने धर्म और शिक्षा, संस्कृति और शिक्षा, परंपरा और आधुनिकता में सामंजस्य बनाने के बारे में मौलाना आजाद के विचारों को भी समझाया।

इसी विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. सज्जाद अहमद ने मौलाना आजाद के दार्शनिक विचारों और मदरसों का आधुनिकीकरण करने की प्रक्रिया शुरू करने के उनके प्रयासों के बारे में बताया।

डिपार्टमेंट ऑफ एजुकेशनल स्टडीज की ही प्रोफेसर हरजीत कौर भाटिया ने मौलाना आजाद के योगदान पर एक वीडियो दिखाया।

इसी विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. हरप्रीत कौर जस ने मौलाना के संसद में दिए गए कुछ भाषणों को पेश करते हुए छात्रों से कहा कि उन्हें देश के पहले शिक्षा मंत्री के उदार विचारों से परिचित होना चाहिए।

–आईएएनएस

 

This post was last modified on November 11, 2020 7:13 PM

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