नई दिल्ली, 4 अक्टूबर (आईएएनएस)। बाजार में मिलने वाले पॉलिशदार चावल के मुकाबले कोदो सेहत के लिए ज्यादा गुणकारी है। कोदो एक प्रकार का मोटा अनाज है ओर मोटे अनाजों में सूक्ष्म पोषक तत्वों के साथ-साथ फाइबर यानी रेशे ज्यादा होते हैं, लिहाजा तंदुरुस्ती के लिए खाने में मोटे अनाज को शामिल करना लाजिमी है।
लोकल फूड के लिए हमेशा वोकल रहने वाले जाने-माने पाक कला विशेषज्ञ संजीव कपूर कहते हैं कि पॉलिशदार अनाज के बजाय कोदो, रागी, ज्वार जैसे मोटे अनाज सेहत के लिए ज्यादा गुणकारी हैं, इसलिए पंचसितारा होटलों के खान-पान के मेन्यू में भी मिलेट्स को शामिल किया जाने लगा है।
टाटा सम्पन्न में ऑनबोर्ड शेफ संजीव कपूर ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि लोकल फूड न सिर्फ सेहत के लिए फायदेमंद है बल्कि जायके में भी लाजवाब है, इसलिए पंचसितारा होटलों के मेन्यू में क्षेत्र विशेष के लोकल फूड को भी शामिल किया जाता है क्योंकि उसकी मांग होती है। उन्होंने कहा, ”हमने टाटा संपन्न के साथ एक खिचड़ी लांच की थी जिसमें हमने इसमें दाल-चावल के साथ-साथ बहुत सारे मिलेट्स और मसाले शामिल किए और उसकी खूब मांग है।”
घर के खाने को महत्वपूर्ण बताने वाले संजीव कपूर कहते हैं कि पीजा, बर्गर व अन्य कांटिनेंटल फूड भी घर मे बने तो बेहतर है।
खाने में मोटे अनाजों के प्रति लोगों की बढ़ती दिलचस्पी निस्संदेह सेहत के लिए फायदेमंद है क्योंकि वैज्ञानिक बताते हैं कि इनमें ढेर सारे सूक्ष्मपोषक तत्व पाये जाते हैं। हालांकि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के तहत पाने वाले राष्ट्रीय पोषण संस्थान (एनआईएन) के वैज्ञानिक कहते हैं कि खाने में मोटे अनाजों को एक सीमित मात्रा में ही शामिल किया जाना चाहिए।
हैदराबाद स्थित एनआईएन के वैज्ञानिक और न्यूट्रीशन इन्फोरमेशन एंड कन्यूनिकेशन डिवीजन के प्रमुख डॉ. सुब्बारव एम. गवरावारपु ने कहा कि मार्केट में जैसा चल रहा है कि बाकी सब अनाज को छोड़कर सिर्फ मोटा अनाज खाइए, वह ठीक नहीं है क्योंकि खाने में विविधता जरूरी है। उन्होंने कहा, ”एनआईएन का कहना है कि एक दिन के खाने में एक व्यक्ति के लिए अगर 2,000 कैलोरी की जरूरत है तो उसमें करीब 270 ग्राम अनाज होना चाहिए। इसमें 40 से 50 फीसदी या 120 से 130 तक मोटा अनाज लेना अच्छा है। बाकी बचपन से जो अनाज खाते आ रहे हैं उनको शामिल करना चाहिए।”
डॉ. सुब्बाराव ने कहा कि मोटे अनाज में सूक्ष्मपोषक तत्व और फाइबर पाये जाते हैं इसलिए खाने में इनको शामिल करना लाभकारी है मगर, अन्य सभी खाद्य पदार्थों को छोड़कर सिर्फ मोटे अनाज खाने की बात करना ठीक नहीं है।
बीते महीने सितंबर को पोषण माह के रूप में मनाया गया। पोषण माह के आखिर में लोकल फूड के महत्व पर एक खास कार्यक्रम ‘स्थानीय आहारम सम्पन्न पोषणम’ में खान-पान के विशेषज्ञों ने देश के विभिन्न प्रांतों में उगाई जाने वाली मौसमी फसलों के सेवन को ज्यादा गुणकारी बताया। एनआईएन और टाटा संपन्न की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रीशन की निदेशक डॉ. आर. हेमलता ने कहा कि स्थानीय खाद्य पदार्थों के लिए खुल कर बात करने की जरूरत है।
–आईएएनएस
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