रायबरेली, 23 दिसंबर (आईएएनएस)| रायबरेली के सालोन निवासी किसान विजय बहादुर मौर्य एक दुखी किसान थे। उनकी खेती की जमीन में पास के नाले से पानी का रिसाव होता था, जिससे उनकी फसल लागत कीमत भी वसूल नहीं पाती थी। मौर्या ने करीब-करीब अपना हौसला त्याग दिया था और दूसरे शहर जाकर नौकरी तलाशने का मन बना लिया था।
हालांकि इसके बाद उन्होंने एक आखिरी बार कहीं और आठ बीघा जमीन लेकर खेती करने का निर्णय लिया। उन्होंने पारंपरिक खेती के बजाय गुलाब और ग्लाडियोली के पौधे लगाए।
मौर्या (50) ने कहा, “कुछ महीनों में ही फूलों के खिलने के साथ ही ‘मेरी किस्मत खिल गई’। मैंने फूलों को शुद्ध लाभ में बेचा और अच्छे पैसे कमाए। मैंने अन्यत्र जाने का विचार त्याग दिया और फूलों की खेती पर ध्यान केंद्रित करने का विचार किया।”
फूलों की खेती में लाभ देखते हुए क्षेत्र के करीब दो दर्जन किसानों ने इस रास्ते पर चलकर अपने व्यापार को बढ़ा रहे हैं।
विजय बहादुर मौर्य के बेटे ने कृषि में मास्टर की पढ़ाई पूरी कर ली है और वह अपने पिता का साथ दे रहे हैं। इस पर विजय ने कहा, “मेरा बेटा नई तकनीकों के बारे में जानकारी प्राप्त करता है और हम उसका प्रयोग किसानी में करते हैं। फूलों ने मुझे उसे पढ़ाने में मदद की और वह खुद फूलों की खेती में मेरी मदद कर रहा है।”
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