रांची, 2 दिसम्बर (आईएएनएस)| ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) के अध्यक्ष सुदेश महतो झारखंड में सत्ताधारी और विपक्षी दोनों दलों की पहली पसंद बन गए हैं।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और आजसू दोनों 2019 का विधानसभा चुनाव अलग-अलग लड़ रहे हैं, लेकिन दोनों ही दलों ने औपचारिक रूप से एक-दूसरे से अलग होने की घोषणा नहीं की है। भाजपा और आजसू ने 2014 का चुनाव एक साथ लड़ा था। भाजपा और आजसू ने क्रमश: 72 और आठ सीटों पर चुनाव लड़ा था और क्रमश: 37 व पांच सीटें जीती थीं।
आजसू सरकार में एक बड़ी भूमिका निभाना चाहती थी, लेकिन झारखंड विकास मोर्चा-प्रजातांत्रिक (जेवीएम-पी) के छह विधायकों को शामिल करने के बाद भाजपा ने पार्टी के तेवर नरम कर दिए।
आठ जेवीएम-पी विधायकों में से छह के भाजपा में आने के बाद पार्टी की ताकत बढ़ गई और उसने अपने बल पर बहुमत हासिल कर लिया।
आजसू के अध्यक्ष सुदेश महतो ने पिछले पांच वर्षों में अपने ही सत्तारूढ़ गठबंधन के खिलाफ कई बार आवाज उठाई। महतो के करीबी सूत्रों का कहना है कि पार्टी अध्यक्ष को मुख्यमंत्री रघुबर दास द्वारा अधिवास नीति बनाने, भूमि अधिनियम और अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों को संशोधित करने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर कभी भी विश्वास में नहीं लिया गया।
महतो और रघुबर दास के बीच का व्यक्तिगत समीकरण पिछले पांच वर्षों के दौरान बिगड़ गया।
आजसू अध्यक्ष ने गठबंधन के मुद्दों पर चर्चा करते हुए कहा था कि “केवल गठबंधन ही नहीं, बल्कि मतदान का एजेंडा महत्वपूर्ण है। हम चाहते हैं कि आम एजेंडा के साथ मिलकर चुनाव लड़ें, ताकि हमें अपनी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन पर न बैठना पड़े।”
अकेले चुनाव लड़ने का फैसला करने के बाद वह सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी दलों, दोनों की पहली पसंद बन गए हैं।
जनमत सर्वेक्षणों से संकेत मिलता है कि झारखंड में त्रिशंकु जनादेश देखने को मिल सकता है और इस तरह से सरकार बनाने के लिए सुदेश महतो की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने झारखंड चुनाव प्रचार के दौरान आजसू को यह कहकर लुभाने की कोशिश की है कि ‘भाजपा को बहुमत मिलने पर भी आजसू सरकार का हिस्सा होगी।’
आजसू भी भाजपा और अन्य दलों के असंतुष्ट नेताओं का ठिकाना बन गया है। भाजपा के दो विधायक राधा कृष्ण किशोर और ताला मरांडी आजसू में शामिल हो गए और उन्हें चुनाव लड़ने के लिए टिकट भी मिला है। किशोर भाजपा के मुख्य सचेतक थे और मरांडी भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष थे।
कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप बलमुचु और झामुमो के पूर्व विधायक अकील अख्तर भी आजसू में शामिल हुए हैं। पार्टी में विभिन्न दलों के 20 से अधिक नेता शामिल हुए हैं।
आजसू ने 2014 में आठ सीटों पर लड़ाई लड़ी थी और 2019 में पार्टी ने 22 से अधिक सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं।
महतो ने कहा कि आजसू ने सरकार में बने रहने के बावजूद विपक्ष की भूमिका निभाई थी।
यह पूछे जाने पर कि वह चुनाव के बाद किसका समर्थन करेंगे, महतो ने आईएएनएस को बताया, “ये काल्पनिक प्रश्न हैं। हम पिछले चुनावों की तुलना में बेहतर करेंगे।”
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