रांची। झारखंड राज्य गठन के बाद से ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन (आजसू) की जारी दोस्ती में इस विधानसभा चुनाव में दरार पड़ गई है। स्थिति यहां तक पहुंच गई है कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुआ के सामने ही आजसू ने अपना उम्मीदवार उतार दिया है।
बीजेपी सत्ता में रही हो या सत्ता से बाहर, आजसू ने कभी भी उसका साथ नहीं छोड़ा था, परंतु इस चुनाव में सीटों पर अबतक बात नहीं बन पाई है। सूत्रों का कहना है कि भाजपा 12 सीटें देने को राजी है, परंतु आजसू 19 सीटों पर अड़ी हुई है।
वैसे सोमवार देर शाम आजसू द्वारा 12 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी करने के बाद मंगलवार सुबह दोनों दलों के प्रवक्ता एक-दूसरे से मिले हैं और एकराह पर चलने की फिर से कोशिशें प्रारंभ हुई हैं।
आजसू प्रमुख सुदेश महतो ने भी मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत में अलग राह चलने की घोषणा तो नहीं की, परंतु उन्होंने यह भी संकेत दिया कि अकेले भी चलने को आजसू तैयार है।
महतो ने कहा कि अभी सीटों को लेकर बातचीत चल रही है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि आजसू ने जिन सीटों की मांग की थी, बीजेपी ने अपनी पहली सूची में उन सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार दिए थे। इसके बाद आजसू के पास प्रत्याशियों की घोषणा के अलावा और कोई चारा ही नहीं था। उन्होंने कहा कि सीटों की बात टेबल पर होनी चाहिए।
उन्होंने कहा, “मैंने अपनी बात उनके (भाजपा) सामने रख दी है, उनके जवाब का इंतजार कर रहा हूं।”
उल्लेखनीय है कि पिछले विधनसभा चुनाव में बीजेपी 72, आजसू आठ और लोजपा ने एक सीट पर चुनाव लड़े थे। बीजेपी ने 37 सीटों पर जीत दर्ज की, और आजसू ने पांच सीटें जीती थी। लोजपा अपनी सीट हार गई थी। राज्य में बीजेपी और आजसू गठबंधन की सरकार बनी। इसके बाद झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) के छह विधायकों को तोड़कर भाजपा ने अपनी संख्या बढ़ा ली।
इस विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अपनी पहली सूची में 52 प्रत्याशियों की घोषणा की थी, जिसमें चक्रधरपुर से प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुआ, सिमरिया से किसुन कुमार दास, मांडु से जेपी पटेल और सिंदरी से इंद्रजीत महतो को प्रत्याशी बनाया गया था। इसके बाद आजसू ने सोमवार को जारी 12 प्रत्याशियों की पहली सूची में इन चारों सीटों पर भी प्रत्याशी उतार दिए।
सूत्रों का कहना है कि आजसू जिन सीटों पर 2014 में दूसरे स्थान पर थी या जीत दर्ज की थी, उन्हीं सीटों पर उसने दावेदारी की, लेकिन बातचीत के बाद भी कोई हल नहीं निकला। भाजपा ने भी ऐसी सीटों पर अन्य पार्टियों से आए नेताओं को टिकट दे दिया, जिनपर आजसू की दावेदारी थी। जिसके कारण बात बिगड़ गई।
उल्लेखनीय है कि झारखंड में हुए पहले चुनाव में भाजपा 63 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और आजसू 40 ने सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। कई सीटों पर दोस्ताना संघर्ष था।
राज्य में 30 नवंबर से 20 दिसंबर तक पांच चरणों में चुनाव होगा। मतगणना 23 दिसंबर को होगी।
This post was last modified on November 12, 2019 10:45 PM
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