झारखंड में महिला किसानों की उपज के लिए उपलब्ध हुआ बाजार

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रांची, 19 मई (आईएएनएस)। कोरोना संक्रमण काल में उत्पादकों के सामने सबसे बड़ी समस्या बाजार की है। ऐसे में झारखंड ग्रामीण विकास विभाग की ‘जोहार परियोजना’ किसानों की उपज को बाजार एवं खुदरा, थोक विक्रेता तथा आम लोगों को ताजी सब्जियां एवं फल उपलब्ध करवा रहा है। इससे विशेष कर महिला किसानों को काफी फायदा हो रहा है।

राज्य में गठित 3244 उत्पादक समूहों के अंतर्गत हजारों किसानों को कृषि संबंधी कार्य एवं बाजार उपलब्ध करने में सहयोग किया जा रहा है, जिससे लॉकडाउन में किसानों की आय सुनिश्चित हो सके एवं मौसमी उत्पादों को बाजार से जोड़ा जा सके।

ग्रामीण विकास विभाग के एक अधिकारी बताते हैं कि इस दौर में बाजार बंद होने के कारण किसानों को अपनी उपज की बिक्री की चिंता है, तो वहीं शहरी इलाकों में सब्जियों की कमी को लेकर दिक्कत हो रही थी। जोहार परियोजना ने बड़े सब्जी विक्रेताओं से सीधा संपर्क कर और जिला प्रशासन से विशेष अनुमति लेकर 335 उत्पादक समूहों से जुड़े किसानों के उपज को सीधा बाजार से जोड़ने का कार्य किया। इससे किसानों को उत्पादों की अच्छी कीमत मिल सकी।

उन्होंने बताया कि विभिन्न जिलों के 9 उत्पादक कम्पनियों के जरिए अबतक 1000 मीट्रिक टन सब्जियों एवं फलों की बिक्री कर 90 लाख का कारोबार किया गया है।

रामगढ़ के गोला प्रखण्ड में बरियातू उत्पादक समूह से जुड़ी नुनिबला देवी बताती है, “उत्पादक समूह के माध्यम से 10 पैकेट तरबूज का बीज लगाए थे, अब बंदी में बाजार तो बंद है और गांव के व्यापारी 5-7 रुपये दाम लगता, लेकिन हम समूह की दीदियों ने राजरप्पा किसान उत्पादक कंपनी द्वारा 8-10 रुपये मे अपने उपज को बेचे हैं, जिसके लिए हमें कहीं जाने की जरूरत भी नहीं पड़ी।”

वहीं, रांची के सरहुल आजीविका किसान उत्पादक कंपनी की बोर्ड ऑफ डायरेक्टर शशी बाला बताती है कि जोहार परियोजना से जुड़कर हम किसानों को बहुत फायदा है। आज हम इस उत्पादक कंपनी के जरिए हजारों किसानों को लाभ पहुंचा पा रहे है। लॉकडाउन के दौरान बंपर उत्पाद केला की बिक्री स्थानीय स्तर पर 3 रुपये किलो हो पा रही थी वहीं हमें उत्पादक कंपनी के जरिए थोक में बाहर उत्पाद भेजा और हमें प्रति किलो 8 रुपये प्राप्त हुए। उत्पादक कंपनी से जुड़कर हमारी आय तो बढ़ रही है।”

जोहार परियोजना के प्रोजेक्ट डायरेक्टर बिपिन्न बिहारी आईएएनएस को बताते हैं, “लॉकडाउन के दौरान हमने उत्पादक कंपनी के किसानों के उत्पादों के लिए झारखंड समेत अन्य राज्यों में भी बिहार ओड़िसा एवं पश्चिम बंगाल में भी बाजार उपलब्ध कराये गए है।”

उन्होंने दावा करते हुए कहा, “कई संस्थागत रिटेलर के कल आ रहे है , जिनके जरिए उत्पादक कंपनी को आने वाले दिनो में और अच्छी आय होगी।”

ग्रामीण विकास विभाग के विशेष सचिव राजीव कुमार ने बताया कि जोहार परियोजना के अंतर्गत सब्जी एवं फल के लिए तो हम जोहर परियोजना एवं राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के जरिए बाजार उपलब्ध करा ही रहे हैं।

उन्होंने आईएएनएस से कहा, ” हम झारखंड के वैसे ग्रामीण जो मछली पालन, अंडा उत्पादन एवं वनोपज से जुड़े कार्य कर रहे है उनको भी बाजार उपलब्ध करा रहे हैं, जिससे किसी को भी लॉकडाउन में उत्पादों के खराब होने से आर्थिक दिक्कत न झेलना पड़े।”

विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित जोहार परियोजना का क्रियान्वयन ग्रामीण विकास विभाग अंतर्गत झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाईटी के द्वारा झारखंड में किया जा रहा है।

पूरी प्रक्रिया में सोशल डिस्टेंसिंग एवं अन्य नियमों का पालन किया जा रहा है।

महिला किसान अपने खेतों में कृषि कार्य के दौरान मास्क का उपयोग एवं सोशल सोशल डिस्टेंसिंग का पूरी तरह से पालन करती है।

–आईएएनएस

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