सस्ती फीस और पढ़ाई की बेहतर गुणवत्ता के कारण डॉक्टर बनने की चाहत रखने वाले छात्रों की पहली पसंद सरकारी मेडिकल कॉलेज होते हैं। मगर बात जब पढ़ाई पूरी करने के बाद सेवा देने की आती है, तो यही डॉक्टर इन अस्पतालों से किनारा करने लगते हैं। कुछ ऐसा ही मामला सामने आया झारखंड में। राज्य के सबसे बड़े अस्पताल राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (RIMS) में पढ़ाई करने वाले 5 डॉक्टरों ने झारखंड में सेवा देने के बजाए 15 -15 लाख रुपये का आर्थिक दंड भरना बेहतर समझा है। इन डॉक्टरों ने झारखंड सरकार की सेवा शर्त नियमावली के अनुसार एक साल की सेवा नहीं देने पर बतौर आर्थिक दंड के रूप में 15-15 लाख रुपये का भुगतान कर दिया। इनमें डॉ. मनमीत टोपनो, डॉ. प्रजीत मजूमदार, डॉ. रानी मनीषा, डॉ. मंजू लता तथा डॉ. वीएन रालते शामिल हैं।
राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (RIMS) में पीजी डिप्लोमा या डिग्री की पढ़ाई करने वाले छात्रों को राज्य सरकार के नियमों के तहत पढ़ाई पूरी करने के बाद झारखंड में न्यूनतम एक साल तक की सेवा देना अनिवार्य है। ऐसा नहीं करने पर आर्थिक दंड का प्रावधान है।
राज्य सरकार के नियमों के तहत पीजी डिप्लोमा या डिग्री में पढ़ाई करने के दौरान छात्रों को यह शपथ पत्र देना पड़ता है कि झारखंड में सेवा नहीं देने पर वे आर्थिक दंड का भुगतान करेंगे। इस दौरान उनसे मूल प्रमाणपत्र भी जमा कर लिया जाता है। स्वास्थ्य विभाग के एक पदाधिकारी ने इन डॉक्टरों द्वारा सेवा देने के बजाय आर्थिक दंड के भुगतान करने की पुष्टि की है। इसके साथ ही इन डॉक्टरों को मूल प्रमाणपत्र वापस करने का निर्देश दिया गया है।
सरकारी मेडिकल कॉलेजों की सस्ती फीस और पढ़ाई की बेहतर गुणवत्ता हर मेडिकल छात्र को पसंद आती है। लेकिन पढ़ाई पूरी करने के बाद वो अपनी आर्थिक दंड देकर अपनी जिम्मेदारियों से भाग जाते हैं। इसी लिए राज्य सरकार ने, सरकारी सेवा में डॉक्टर आ सकें इसी उद्देश्य को लेकर राज्य के मेडिकल कॉलेजों में पीजी की पढ़ाई पूरी करने वाले छात्रों को निर्धारित अवधि तक झारखंड में सेवा देना अनिवार्य कर रखा है। मगर डॉक्टर झारखंड में सेवा देने के बजाए आर्थिक दंड देने को ज्यादा पसंद कर रहे हैं।
वहीं डॉक्टरों के इस रवैये से राज्य की स्वास्थ्य सेवा पर बुरा असर पड़ रहा है। गौरतलब है कि झारखंड में डॉक्टरों की भारी कमी है। डॉक्टर सरकारी सेवा में आना नहीं चाहते। हाल ही में राज्य के तीनों नए मेडिकल कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति में भी बड़ी संख्या में पद रिक्त रह गए थे। राज्य सरकार विशेषज्ञ डॉक्टरों की भी नियुक्ति की प्रक्रिया बार-बार शुरू करती है, लेकिन अधिकांश पद रिक्त रह जाते हैं।
This post was last modified on October 7, 2019 4:35 PM
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