जम्मू एवं कश्मीर में राष्ट्रपति शासन के विस्तार को लोकसभा में मंजूरी (लीड-1)

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नई दिल्ली, 28 जून (आईएएनएस)| जम्मू एवं कश्मीर में 3 जुलाई से छह महीने के लिए राष्ट्रपति शासन का विस्तार करने की लोकसभा ने शुक्रवार को अनुमति दे दी। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि केंद्र तैयार है, चुनाव आयोग जब चाहे राज्य में विधानसभा चुनाव कराने का फैसला ले सकता है।

राज्य में दिसंबर से राष्ट्रपति शासन लागू है। इससे पहले, जून 2018 से राज्यपाल शासन लागू था।

शाह ने कहा कि राज्य में विधानसभा चुनाव हाल के लोकसभा चुनाव के साथ-साथ नहीं कराया गया, क्योंकि सभी की सुरक्षा सुनिश्चित करना संभव नहीं था।

उन्होंने कहा कि चुनाव में जिन उम्मीदवारों के भाग लेने की उम्मीद थी, उन सभी की सुरक्षा सुनिश्चित करना संभव नहीं था।

शाह ने लोकसभा को संबोधित करते हुए कहा, “जब भी चुनाव आयोग राज्य में चुनाव करवाना चाहेगा, मतदान होग और केंद्र इसमें दखल नहीं देगा। पहले चुनाव आयोग को कांग्रेस काबू करती थी, लेकिन हम ऐसा नहीं करेंगे।”

जम्मू एवं कश्मीर में राष्ट्रपति शासन बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा लाए गए एक वैधानिक प्रस्ताव पर बहस के दौरान जवाब देते हुए शाह ने विपक्षी कांग्रेस पर निशाना साधा।

उन्होंने कहा कि पिछले एक साल में राज्य में विधानसभा चुनाव नहीं कराने को लेकर कांग्रेस सरकार पर सवाल खड़ा कर रही है, लेकिन सबसे पुरानी पार्टी ने 93 बार चुनी हुई सरकार को राज्य से हटा दिया था।

धारा 370 को लेकर भी शाह ने कांग्रेस पर निशाना साधा।

उन्होंने कहा कि यदि आज जम्मू एवं कश्मीर को विशेष अधिकार देने वाला प्रावधान मौजूद है, तो सिर्फ भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के कारण।

शाह ने कहा कि धारा 370 एक अस्थायी प्रावधान था। उन्होंने कहा, “विभाजित सभी रियासतों में से धारा 370 केवल जम्मू एवं कश्मीर पर लागू होती है, जिसे नेहरू द्वारा नियंत्रित किया जा रहा था, जबकि बाकी सरदार (वल्लभभाई) पटेल की देखरेख में थे।”

शाह ने शुक्रवार को 3 जुलाई से छह महीने के लिए जम्मू एवं कश्मीर में राष्ट्रपति शासन का विस्तार करने को लेकर लोकसभा में एक वैधानिक प्रस्ताव पेश किया।

प्रस्ताव पेश करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य में विधानसभा चुनाव साल के अंत तक होगा।

शाह ने कहा कि चुनाव आयोग ने विधानसभा चुनाव स्थगित करने के लिए सहमति व्यक्त की है और इन्हें आगामी अमरनाथ यात्रा के बाद आयोजित किया जाएगा।

उन्होंने कहा, “इस समय जम्मू एवं कश्मीर में चुनाव कराना संभव नहीं है। चुनाव आयोग ने फैसला किया है कि साल के अंत तक राज्य में चुनाव कराए जाएंगे।”

जम्मू एवं कश्मीर में चुनाव नहीं कराने के लिए कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की आलोचना की।

जम्मू एवं कश्मीर की स्थिति के लिए नेहरू को दोषी ठहराते हुए, शाह ने कहा कि उनकी सरकार को कांग्रेस से लोकतंत्र पर सबक लेने की जरूरत नहीं है।

उन्होंने कहा कि राज्य में जब कांग्रेस सत्ता में थी तब सभी चुनाव लोकतंत्र के नाम पर एक ‘मजाक’ थे।

अतीत की बात करते हुए शाह ने कहा, “1953 में, जब एक देश में दो प्रधानमंत्रियों वाली बात के खिलाफ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विरोध करने के लिए कश्मीर गए थे, तो उन्हें जेल में डाल दिया गया था।”

शाह ने पूछा, “उनकी हत्या की जांच नहीं की गई, क्यों? क्या वह एक वरिष्ठ विपक्षी नेता नहीं थे, बंगाल के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री नहीं थे?”

पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के अस्तित्व के लिए नेहरू को दोषी ठहराते हुए, शाह ने कहा, “उस वक्त संघर्ष विराम की घोषणा किसने की थी? वह नेहरू थे, जिन्होंने यह किया और उस भाग (पीओके) को पाकिस्तान को दे दिया।”

शाह ने कहा, “आप हम पर आरोप लगाते हैं कि हम लोगों को विश्वास में लेकर नहीं चलते हैं, लेकिन नेहरू ने तब के गृहमंत्री को विश्वास में लिए बिना यह कदम उठाया। हमें इतिहास मत सिखाएं।”

उन्होंने कहा कि कश्मीर में एक समय ऐसा भी था, जब भारत का नाम वहां नहीं था। भारतीय स्टेट बैंक के निशान पर भारतीय शब्द को कपड़े से ढक दिया जाता था।

शाह ने कहा कि लोग कहते हैं कि जम्मू एवं कश्मीर में डर का माहौल है।

शाह ने कहा, “जो लोग भारत के खिलाफ खड़े हैं उनके दिल में डर होना बेहद जरूरी है। हम जम्मू एवं कश्मीर के आम नागरिकों के खिलाफ नहीं हैं।”

गृहमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने राज्य में पिछले सालों में बहुत काम किया है।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान राज्य में आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है। शाह ने कहा कि राज्य में आतंक के खिलाफ कार्रवाई जारी रहेगी।

 

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