जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों के खिलाफ पीएसए दुर्भाग्यपूर्ण : अल्ताफ (लीड-1)

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श्रीनगर, 8 फरवरी (आईएएनएस)| पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के नेता व पूर्व मंत्री अल्ताफ बुखारी ने शनिवार को कहा कि पूर्व मुख्यमंत्रियों -महबूबा मुफ्ती व उमर अब्दुल्ला- पर सार्वजनिक सुरक्षा अधिनिनय (पीएसए) लगाना ‘अलोकतांत्रिक’ है। बुखारी ने मुख्यमंत्रियों की हिरासत को खत्म करने की मांग की।

बुखारी ने आईएएनएस से कहा, “लोकतंत्र में पीएसए के तहत राजनीतिक प्रतिनिधियों को हिरासत में रखने की कोई जगह नहीं है।”

बुखारी ने जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक प्रक्रिया की बहाली के लिए सभी राजनीतिक दलों के लिए निष्पक्ष व समान अवसर की मांग की।

बुखारी ने यहां जारी एक बयान में कहा कि जम्मू-कश्मीर में और उसके बाहर मुख्यधारा के नेताओं और कार्यकर्ताओं को सलाखों के पीछे डालने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होता, बल्कि इससे देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था पर सवालिया निशान लग जाता है।

बुखारी ने कहा, “न सिर्फ राजनीतिक मुख्यधारा का शीर्ष नेतृत्व सलाखों के पीछे है, बल्कि हजार से ज्यादा कार्यकर्ता भी हिरासत में हैं, जिन्होंने जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक प्रक्रिया को मजबूत करने के लिए बलिदान दिया है। जल्द से जल्द सभी को रिहा करने से न केवल उनके परिवारों को बहुत ज्यादा सुकून देगा। यह निर्विवाद रूप से जम्मू-कश्मीर की रूकी हुई लोकतांत्रिक प्रक्रिया को भी जीवन देगा।”

उन्होंने कहा कि मुख्यधारा के राजनीतिक नेताओं के खिलाफ पीएसए का इस्तेमाल सही नहीं है और इसे बिना देरी के रद्द किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, “पीएसए के तहत पूर्व मुख्यमंत्रियों और अन्य मुख्यधारा के नेताओं पर मामला दर्ज करना राजनीतिक प्रक्रिया को बहाल करने को नुकसान पहुंचाता है। यह कार्रवाई राजनीतिक कार्यकर्ताओं को हतोत्साहित करती है।”

पूर्व जम्मू-कश्मीर राज्य के तीन मुख्यमंत्रियों को अनुच्छेद 370 के 5 अगस्त को रद्द किए जाने के बाद से हिरासत में रखा गया है।

बुखारी पहले कश्मीरी नेता हैं, जिन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा है कि यह अनुच्छेद 370 से आगे बढ़ने का समय है और राजनीतिक उद्देश्यों के लिए काम करने का समय है।

बीते महीने बुखारी के नेतृत्व में राजनेताओं के एक समूह ने उपराज्यपाल जी.सी. मुर्मू से मुलाकात की और केंद्र शासित प्रदेश में राजनीतिक गतिविधियों के बहाली के लिए उपायों का एक ज्ञापन प्रस्तुत किया। उन्होंने निवासियों के स्थायी निवास के अधिकारों के बहाली की मांग की।

समूह ने अनुच्छेद 370 के रद्द होने के बाद हिरासत में लिए गए सभी लोगों की रिहाई की मांग की, जिसमें तीन मुख्यमंत्री भी शामिल हैं।

 

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