श्रीनगर, 6 दिसम्बर (आईएएनएस)| जम्मू एवं कश्मीर प्रशासन नवगठित केंद्र शासित राज्य में परिसीमन प्रक्रिया शुरू करने के लिए एक आयोग का गठन दिसंबर अंत तक या अगले महीने में करने जा रही है।
भजपा की जम्मू-कश्मीर इकाई के महासचिव अशोक कौल ने आईएएनएस के साथ एक खास बातचीत में कहा कि विधानसभा चुनाव परिसीमन के बाद होगा।
उन्होंने कहा, “लेकिन प्रक्रिया में कुछ समय लगेगा।”
कौल ने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक, 2019 के संसद में पारित हो जाने के बाद उसे जम्मू-कश्मीर में भी लागू किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि जम्मू एवं कश्मीर में अवैध तरीके से रह रहे रोहिंग्या और बांग्लादेशियों पर यह कानून लागू होगा, लेकिन राज्य में निवासरत पश्चिम पाकिस्तान के शरणार्थियों और पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर के शरणार्थियों पर इसका असर नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि रोहिंग्या सिर्फ जम्मू क्षेत्र में नहीं रह रहे हैं, बल्कि कश्मीर में भी हैं। उन्होंने कहा, “कश्मीर में बस स्टैंटों पर दिखने वाले भिखारी वही लोग हैं।”
विभाजन के बाद से जम्मू में पश्चिमी पाकिस्तान के लगभग 50,000 परिवार रह रहे हैं।
अनुच्छेद 370 को निष्क्रिय किए जाने से पहले वे सिर्फ संसदीय चुनाव में हिस्सा ले सकते थे, जबकि राज्य विधानसभा चुनाव में हिस्सा लेने का अधिकार उन्हें नहीं था, क्योंकि उन्हें जम्मू-कश्मीर का स्थायी निवासी नहीं माना जाता था।
पश्चिम पाकिस्तान के शरणार्थियों की नागरिकता का मुद्दा भाजपा का एक चुनावी मुद्दा था और पार्टी ने सत्ता में आने पर उन्हें नागरिकता देने का वादा किया था।
भाजपा ने अनुच्छेद 370 समाप्त कर पश्चिम पाकिस्तान के शरणार्थियों को किए गए अपने चुनावी वादे को पूरा किया है, जो कि उनकी लंबे समय से लंबित मांग थी।
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