जंगल और झीलों के पुर्नजीवन के लिए शोधित जल का इस्तेमाल

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नई दिल्ली, 24 अक्टूबर (आईएएनएस)। दिल्ली सरकार में जल मंत्री और दिल्ली जल बोर्ड के अध्यक्ष सत्येंद्र जैन ने शनिवार को 90 एमजीडी कोंडली सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, 45 एमजीडी यमुना विहार सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट और कल्याणपुरी में 70 एमजीडी एसपीएस का निरीक्षण किया।

सत्येंद्र जैन ने कहा, “हमारा मुख्य ध्यान उपचारित पानी के इस्तेमाल पर होगा। इसके अलावा मैं दिल्ली जल बोर्ड के निर्मित ऐसे स्थानों का निरीक्षण करूंगा, जहां पर जल का शोधन होता है और दूसरी जगहों पर भेजा जाता है। उपचारित पानी बहुत ही महत्वपूर्ण संसाधन है, जो लंबे समय से उपेक्षित है। इसलिए मैं भरोसा दिलाता हूं कि, दिल्ली जल बोर्ड पानी के शोधन और उसके पुन उपयोग को बढ़ाने में कोई कमी नहीं छोड़ेगा। उपचारित पानी के इस्तेमाल से पीने योग्य पानी की उपलब्धता को लेकर दिक्कत कम होगी।”

मंत्री सत्येंद्र जैन ने अधिकारियों को नई तकनीक-प्रक्रिया का इस्तेमाल कर क्षमता बढ़ाने और भू-जल और झीलों के पुर्नजीवन के लिए उपचारित पानी का पुन इस्तेमाल करने के निर्देश दिए हैं।

दिल्ली सरकार के मुताबिक कल्याणपुरी एसपीएस में 20 एमजीडी पानी का अतिरिक्त दोहन किया जाएगा और कोंडली (जिसकी क्षमता 90 एमजीडी है, लेकिन 70 एमजीडी पर चल रहा है) को भेजा जाएगा। इससे गाजीपुर नाले का 20 एमजीडी भार घट जाएगा। अभी 20 एमजीडी गंदा पानी यमुना में बह जाता है। इससे यमुना नदी के प्रदूषण को कम करने में मदद मिलेगी।

इसी तरह यमुना विहार सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) की क्षमता 45 एमजीडी है, लेकिन अभी 35 से 37 एमजीडी ही यहां पर शोधित हो रहा है। यह शोधित जल अभी यमुना नदी में प्रवाहित किया जाता है, लेकिन अब गढ़ीमांडू के जंगल में इसका इस्तेमाल कर जल स्तर बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं।

अंत में कोंडली से ट्रीटेड पानी का इस्तेमाल संजय झील के पुनर्जीवन और पास की ग्रीन बेल्ट वा अन्य वाटरबॉडी के 50 एकड़ क्षेत्र में किया जाएगा।

निरीक्षण के दौरान सत्येंद्र जैन ने ये निर्देश दिए कि उपचारित पानी का इस्तेमाल भू-जल को रिचार्ज करने और झीलों के कायाकल्प के लिए किया जाए। सभी निष्क्रिय पड़े ईएंडएम उपकरणों, बायोगैस संयत्रों को तत्काल चालू किया जाए।

सत्येंद्र जैन ने कहा, “एसटीपी के पास मौजूद अनुपचारित अपशिष्ट जल का दोहन कर उपचारित किया जाए, मौजूदा ढ़ांचे का 100 फीसदी इस्तेमाल सुनिश्चित किया जाए। नगर निगम क्षेत्र के सीवेज का पानी बिना शोधित किए स्ट्रोम ड्रेन (बारिश के पानी की नालियां) में न बहाया जाए।”

–आईएएनएस

जीसीबी/एएनएम

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