पत्रकार रामचंद्र छत्रपति मर्डर केस: CBI कोर्ट ने राम रहीम को पाया दोषी, जानें पूरी कहानी

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नई दिल्ली। रेप मामले में सजा काट रहे डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम को पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड का दोषी करार दिया गया। पंचकूला की स्पेशल CBI कोर्ट ने राम रहीम सहित 4 लोगों को दोषी पाया। इस मामले में अब सजा 17 जनवरी को सुनाई जाएगी। गौरतलब है कि पत्रकार रामचंद्र छत्रपति को 24 अक्टूबर 2002 को गोली मारी गई थी और 21 नवंबर को अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई थी।

आपको बता दें कि छत्रपति ने सिरसा के डेरा मुख्यालय में ‘साध्वियों’ के यौन उत्पीड़न का भंडाफोड़ किया था और 24 अक्तूबर 2002 को उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हरियाणा के उस छोटे से अखबार ‘पूरा सच’ के संपादक थे जिसने डेरा सच्चा सौदा में हुए रेप मामले और प्रबंधन समिति के सदस्य रणजीत सिंह की हत्या की खबर को प्रमुखता से छापा था। 16 साल पुराने इस मामले में डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम के साथ कुलदीप और निर्मल को आरोपी बनाया गया था।

मई 2002 में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत सिंह पर उनकी एक साध्वी के यौन शोषण का आरोप लगाने से पहले भी रामचंद्र डेरा के घोटालों के बारे में प्रमुखता से खबर लिखते रहे थे। 13 मई 2002 को साध्वी ने एक गुमनाम पत्र तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भेजा था। इसकी एक प्रति पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को भी भेजी गई।

30 मई 2002 को छपी थी खबर

इसके बाद 30 मई 2002 को पूरा सच नामक अखबार में साध्वी से रेप मामले को प्रकाशित किया गया। इसके बाद 10 जुलाई 2002 को डेरा सच्चा सौदा की प्रबंधन समिति के सदस्य रहे रणजीत सिंह की हत्या हो गई। डेरे को शक था कि कुरुक्षेत्र के गांव खानपुर कोलियां के रहने वाले रणजीत ने अपनी ही बहन से वह पत्र प्रधानमंत्री को लिखवाया है।

रामचंद्र के खिलाफ फर्जी केस

रणजीत के बाद रामचंद्र को भी रास्ते से हटाने की कोशिश की गई। उन्हें काफी धमकियां दी गईं। जब इससे बात नहीं बनी तो उनके खिलाफ एससी-एसटी ऐक्ट के तहत केस भी दर्ज कराए गए। डेरा के ही दो अनुयायियों ने शिकायत दर्ज करवाई थी जिसमें कहा गया था कि रामचंद्र ने उन्हें जातिसूचक अपशब्द कहे। हालांकि बाद में कोर्ट ने पाया शिकायत में घटना के जिस दिन की चर्चा है उस दिन वह अपने परिवार के साथ पंजाब गए हुए थे, इसलिए याचिका खारिज कर दी गई।

24 अक्टूबर 2002 को हुआ था हमला

इसके बाद भी रामचंद्र को जान से मारने की कई बार धमकियां दी गईं। फिर वही हुआ जिसका डर था और आखिरकार 24 अक्टूबर 2002 को सिरसा के सांध्य दैनिक ‘पूरा सच’ के संपादक रामचंद्र छत्रपति पर कातिलाना हमला किया गया। छत्रपति को घर के बाहर बुलाकर पांच गोलियां मारी गईं।

रामचंद्र के घर के पास पुलिस पिकेट थी जिसने गोली मारकर भाग रहे एक आरोपी को पकड़ लिया और उसी की निशानदेही पर दूसरा आरोपी पकड़ा गया। यही नहीं जिस रिवॉल्वर से गोली चलाई गई थी वह सिरसा के मैनेजर के नाम से थी। 25 अक्टूबर 2002 को घटना के विरोध में सिरसा शहर बंद रहा और घटना के 28 दिन बाद 21 नवंबर 2002 को रामचंद्र छत्रपति की दिल्ली के अपोलो अस्पताल में मौत हो गई थी।

सीबीआई जांच की मांग

संपादक रामचंद्र के बेटे अंशुल ने मीडिया को बताया था कि उनके पिता अस्पताल में 28 दिन तक जिंदा रहे और उन्होंने साफ कहा था कि उन पर हमला राम रहीम के इशारे पर हुआ था। बावजूद इसके पुलिस ने राम रहीम का नाम एफआईआर में नहीं लिखा था। मैजिस्ट्रेट ने भी बयान दर्ज नहीं किया। इसके बाद दिसंबर 2002 को छत्रपति परिवार ने पुलिस जांच से असंतुष्ट होकर मुख्यमंत्री से मामले की जांच सीबीआई से करवाए जाने की मांग की। परिवार का आरोप था कि मर्डर के मुख्य आरोपी और साजिशकर्ता को पुलिस बचा रही है। जनवरी 2003 में पत्रकार छत्रपति के बेटे अंशुल छत्रपति ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर छत्रपति प्रकरण की सीबीआई जांच करवाए जाने की मांग की। याचिका में डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह पर हत्या किए जाने का आरोप लगाया गया।

हत्या की जांच सीबीआई को सौंपी गयी

हाई कोर्ट ने पत्रकार छत्रपति व रणजीत हत्या मामलों की सुनवाई इकट्ठी करते हुए 10 नवंबर 2003 को सीबीआई को एफआईआर दर्ज कर जांच के आदेश जारी किए। दिसंबर 2003 में सीबीआई ने छत्रपति व रणजीत हत्याकांड में जांच शुरू कर दी। दिसंबर 2003 में डेरा के लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सीबीआई जांच पर रोक लगाने की मांग की। सुप्रीम कोर्ट ने उक्त याचिका पर जांच को स्टे कर दिया।

नवंबर 2004 में दूसरे पक्ष की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने डेरा की याचिका को खारिज कर दिया और सीबीआई जांच जारी रखने के आदेश दिए। सीबीआई ने फिर से उक्त मामलों में जांच शुरू कर डेरा प्रमुख सहित कई अन्य लोगों को आरोपी बनाया। जांच के बौखलाए डेरा के लोगों ने सीबीआई के अधिकारियों के खिलाफ चंडीगढ़ में हजारों की संख्या में इकट्ठे होकर प्रदर्शन किया। सीबीआई ने 2007 में चार्जशीट दाखिल कर दी थी और इसमें डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह राम रहीम को हत्या की साजिश रचने का आरोपी माना था। मृत पत्रकार के बेटे ने उन दो शिष्याओं की तारीफ भी की थी जो ‘धमकियां’ मिलने के बावजूद डेरा प्रमुख के खिलाफ गवाही पर कायम रहीं।


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This post was last modified on January 11, 2019 12:45 PM

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