कालेश्वरम गोदावरी लिफ्ट सिंचाई परियोजना का उद्घाटन गुरुवार को

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हैदराबाद, 19 जून (आईएएनएस)| तेलंगाना में निर्मित कालेश्वरम गोदावरी लिफ्ट सिंचाई परियोजना का उद्धघाटन शुक्रवार को करीमनगर में तीन राज्यों (तेलंगाना, महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश) के मुख्यमंत्री करेंगे। तेलंगाना सरकार ने इसे दुनिया की सबसे बड़ी लिफ्ट सिंचाई परियोजना करार दिया है। यहां जारी एक आधिकरिक बयान में कहा गया है कि कालेश्वरम गोदावरी लिफ्ट सिंचाई परियोजना इंजीनियरिंग का एक ऐसा बेमिसाल नूमना है, जो राज्य में पानी की समस्या का दीर्घकालिक समाधान पेश करेगी। इस परियोजना का उद्घाटन तेलंगाना, आंध्रप्रदेश और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री क्रमश: के. चंद्रशेखर राव, जगनमोहन रेड्डी और देवेंद्र फडणवीस शुक्रवार को करेंगे।

 

बयान में कहा गया है कि इस सिंचाई परियोजना से तेलंगाना के 13 जिलों की 37 लाख एकड़ जमीन सिंचित की जा सकेगी। साथ ही राज्य का पेयजल संकट भी दूर हो सकेगा। महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश के कई जिलों को भी इसका लाभ मिलेगा।

यह परियोजना मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्च र लिमिटेड (एमईआईएल) और भेल के सहयोग से 82,000 करोड़ रुपये की लागत से महज तीन साल में तैयार हुई है।

एमईआईएल के निदेशक श्रीनिवास रेड्डी के मुताबिक, “तेलंगाना में गोदावरी सहित कई नदियों के होने के बावजूद लोगों को इसके जल का लाभ नहीं मिला पाता था, क्योंकि तेलंगाना गोदावरी से करीब 650 मीटर ऊपर स्थित है।”

उन्होंने कहा, “इस कारण तेलंगाना के किसान लगातार सूखे की वजह से आत्महत्या की राह चुनते थे। इसलिए गोदावरी नदी के पानी को लिफ्ट करने की योजना बनी। इसके लिए सतह से 330 मीटर नीचे 139 मेगावाट की क्षमता वाला दुनिया का सबसे बड़ा पंपिंग स्टेशन बनाया गया। इसके जरिए गोदावरी के पानी को पंप के उपयोग से प्रतिदिन 13 टीएमसी पानी को दुनिया की सबसे लंबी 14.09 किलोमीटर लंबी सुरंग के जरिए मेडिगड्डा बैराज पहुंचाया जाएगा।”

रेड्डी ने आगे कहा, “यहां से नहरों के जरिए इसे विभिन्न सूखाग्रस्त इलाकों और शहरों को पानी भेजा जाएगा। इस परियोजना के तहत 13 जिलों में 145 टीएमसी क्षमता वाले 20 जलाशयों की खुदाई की गई है। इन्हें सुरंगों के नेटवर्क से जोड़ा गया है।”

उल्लेखनीय है कि यह मुख्यमंत्री केसीआर का ड्रीम प्रोजेक्ट है। उनका दावा है कि कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई परियोजना के बाद तेलंगाना देश की एक बड़ी आर्थिक शक्ति बन जाएगा।

बयान में कहा गया है कि परियोजन के आरंभ होने से राज्य के किसान दो फसलों को बोने में सक्षम होंगे, साथ ही इससे पर्यटन और मछली उत्पादन को भी बढ़ावा मिलेगा।

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