नई दिल्ली, 9 दिसम्बर (आईएएनएस)| केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को भारत को धर्म के आधार पर विभाजित करने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि उस समय उठाए गए इस कदम की वजह से अब सरकार को नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 लाना पड़ा। मंत्री ने नागरिकता कानून 1955 में संशोधन के लिए पेश किए गए विधेयक पर हो रही बहस के दौरान यह टिप्पणी की।
शाह ने कहा, “अगर भारत को आजादी मिलने के बाद कांग्रेस ने धर्म के आधार पर देश का विभाजन नहीं किया होता तो नागरिकता संशोधन विधेयक लाने की जरूरत नहीं पड़ती।”
मंत्री ने कांग्रेस पर आजादी के बाद धर्म के आधार पर देश को विभाजित करने का आरोप लगाया।
जम्मू-कश्मीर पर विपक्ष द्वारा उठाई गई एक विशेष आपत्ति पर शाह ने आरोप लगाया कि आप कश्मीर को भारत का हिस्सा नहीं मानते हैं।
विधेयक की वैधानिकता पर एक घंटे की बहस हुई, जिसमें जांचा-परखा गया कि इसपर चर्चा हो सकती है या नहीं। निचले सदन में विधेयक के पक्षम में 293, जबकि विपक्ष में 82 मत पड़े।
विधेयक के बारे में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने विपक्षी नेताओं के आरोपों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, “मैं विश्वास दिलाता हूं कि विधेयक भारतीय संविधान के किसी भी अनुच्छेद का उल्लंघन नहीं करता है और किसी भी नागरिक को उनके अधिकारों से वंचित नहीं किया जाएगा।”
शाह ने कहा, “प्रत्येक नागरिक को उचित वर्गीकरण के आधार पर विधेयक में जगह दी गई है।”
उन्होंने कहा कि विधेयक पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में उत्पीड़न से भाग रहे हिंदुओं, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्धों को भारतीय राष्ट्रीयता प्रदान करना चाहता है।
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