कांग्रेस ने इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को लेकर सरकार पर निशाना साधा

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नई दिल्ली, 20 नवंबर (आईएएनएस)| कांग्रेस ने इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को लेकर सरकार पर फिर से निशाना साधा है। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि यह सरकारी ‘धनशोधन’ से कम नहीं है। कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया कि मोदी सरकार की इलेक्टोरल बॉन्ड योजना चंदे के जरिए बड़े व्यापारिक घरानों से हजारों करोड़ रुपये की राशि प्राप्त करने का एक तरीका है। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि 2018 से 6,128 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड जारी किए गए, जिसमें से बड़ा हिस्सा भाजपा को गया है। कांग्रेस ने कई राज्यों में विधानसभा चुनावों से पहले नियमों में परिवर्तन को लेकर प्रधानमंत्री पर निशाना साधा है। इसे लेकर आरोप है कि इससे भाजपा को फायदा पहुंचा है।

राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, “गोपनीयता’ व ‘साजिश’ ने अब खुद प्रधानमंत्री को कटघरे में खड़ा किया है, क्योंकि इलेक्टोरल बॉन्ड योजना की पूरी धोखाधड़ी तीन सिद्धांतों पर आधारित है -‘दाता’ को फंड के खुलासे की जरूरत नहीं है, राजनीतिक दल को दाता के नाम का खुलासा करने की जरूरत नहीं है और ‘दाता’ द्वारा राजनीतिक दल को दान दी जाने वाली राशि की कोई सीमा नहीं है।”

पार्टी ने आरोप लगाया है कि दस्तावेजों के अनुसार, सरकार ने इस मुद्दे पर भारतीय रिजर्व बैंक और चुनाव आयोग को दरकिनार कर दिया। सरकार कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए धन प्राप्त करना चाहती थी, जिसके लिए इलेक्टोरल बॉन्ड योजना शुरू की गई थी, लेकिन आर्थिक मामलों के सचिव एस. सी. गर्ग द्वारा इसे अस्वीकार कर दिया गया था।

राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तब इलेक्टोरल बॉन्ड योजना का उल्लंघन करने का निर्देश दिया और इसे मई 2018 के कर्नाटक चुनाव से पहले मंजूरी दे दी। वित्त मंत्रालय ने तदनुसार पीएमओ के 11 अप्रैल, 2018 के निर्देश को रिकॉर्ड किया और फाइल को फिर से प्रस्तुत किया। सचिव (आर्थिक मामलों) ने अब उलटफेर किया और प्रधानमंत्री के निर्देशों के मद्देनजर अपने रुख में बदलाव कर दिया। इलेक्टोरल बॉन्ड योजना के उल्लंघन पर उन्होंने कहा कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले ‘जरूरत’ के मद्देनजर बॉन्ड जारी किए जाते हैं। ‘जरूरत’ प्रधानमंत्री व भाजपा की थी।”

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने आरोप लगाया, “इस लिहाज से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका और जिम्मेदारी ज्यादा बड़ी बनती है। अगर भारत का प्रधानमंत्री व्यावसायिक घरानों से अपारदर्शी तरीके से इलेक्टोरल फंडिंग प्राप्त करेगा तो संविधान व कानून को कौन कायम रखेगा?

 

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