नई दिल्ली, 4 अप्रैल (आईएएनएस)| आंध्र प्रदेश में जहां विदेश से लौटे लोगों की पहचान करना एक बड़ी चुनौती बन गई है, वहीं जम्मू-कश्मीर, बिहार, अरुणाचल प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के कई जिले व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) और चिकित्सा सुविधाओं के अभाव से जूझ रहे हैं। ये खुलासे प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग द्वारा ‘कोविड-19 राष्ट्रीय तैयारी सर्वेक्षण 2020’ में हुए हैं। सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के खतरे के बारे में लोगों की जागरूकता काफी अधिक है। सर्वेक्षण में कहा गया है, “उत्तरदाताओं में से कुल 92 प्रतिशत लोगों को इस खतरे के बारे में पता है और 75 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे कोविड-19 के खतरे से निपटने के लिए सावधानी बरत रहे हैं।”
इसमें कुछ जिलों में जागरूकता पैदा करने की जरूरत के बारे में कहा गया है।
सर्वेक्षण में कहा गया है, “69 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने यह माना है कि लोग कोविड-19 लॉकडाउन में शांतिपूर्ण और व्यवस्थित तरीके से अपना रहे हैं, जबकि 31 प्रतिशत लोगों ने कहा कि लोग भयभीत हैं।”
सर्वेक्षण में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि 50 प्रतिशत अधिकारियों ने माना कि जिलों और उप-जिला अस्पतालों में पर्याप्त आइसोलेशन बेड की उपलब्धता है, वहीं 28 प्रतिशत अधिकारियों ने इस बात पर असहमति जताई।
यह सर्वेक्षण 25 मार्च से 30 मार्च, 2020 तक आयोजित किया गया था। जिसे आजादी के बाद भारत में पैदा हुए सबसे बड़े स्वास्थ्य संकट का सामना करने के दौरान शासन की चुनौतियों के बारे में विहंगम ²ष्टि प्राप्त करने के लिए किया गया था। सर्वेक्षण में स्थानीय, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर महामारी से लड़ने में लाखों भारतीयों द्वारा किए गए योगदान को भी मान्यता दी गई है।
उत्तरदाताओं ने इस बात पर मजबूती से अपनी राय दर्शाई कि उन तक सराकारी मशीनरी पहुंच रही है। वहीं 95 फीसदी अधिकारियों को लेकर उन्होंने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी।
80 प्रतिशत जिला कलेक्टरों और अधिकारियों ने सहमति व्यक्त की कि भारत सरकार ने कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए पर्याप्त कदम उठाए हैं, जबकि 85 प्रतिशत ने राज्य सरकारों द्वारा पर्याप्त कदम उठाए जाने की बात कही।
सर्वेक्षण में कहा गया है, “देश में 92 प्रतिशत जिला कलेक्टरों और अधिकारियों ने माना कि आवश्यक सेवाओं और वस्तुओं की उपलब्धता को बड़े पैमाने पर देखा गया। आवश्यक सेवाओं और वस्तुओं की उपलब्धता में कोई व्यवधान नहीं आया।”
91 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने माना कि कोविड-19 संक्रमण की श्रंखला को तोड़ने के लिए सामाजिक दूरियां अपनाकर घर पर रहने की जनता कर्फ्यू की प्रधानमंत्री की अपील बहुत प्रभावी थी।
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