नई दिल्ली, 21 सितम्बर (आईएएनएस)। सुदर्शन न्यूज विवाद में केंद्र ने दोहराया है कि मौजूदा कोड की पृष्ठभूमि में प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए दिशानिर्देश देने के लिए सुप्रीम कोर्ट को कवायद करने की कोई जरूरत नहीं है। केंद्र ने कहा कि इसके बजाय उसे डिजिटल मीडिया के संदर्भ में मुद्दों पर अभ्यास शुरू करना चाहिए।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने एक हलफनामे में कहा कि अगर शीर्ष अदालत इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया के लिए दिशानिदेशरें को रखना आवश्यक समझती है, जिसकी आवश्यकता नहीं है, तो अदालत को डिजिटल मीडिया के साथ पहले अभ्यास शुरू करना चाहिए।
केंद्र ने शीर्ष अदालत को बताया कि डिजिटल मीडिया पूरी तरह से अनियंत्रित है।
हलफनामे में कहा गया है कि वेब-आधारित डिजिटल मीडिया पर पूरी तरह से कोई जांच-पड़ताल नहीं है और इससे न केवल हिंसा बल्कि जहरीली घृणा फैलती है। इसमें कहा गया है कि यह संस्थानों और व्यक्तियों की छवि को धूमिल करने में भी सक्षम है।
शीर्ष अदालत में सुदर्शन न्यूज विवाद के बाद इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को विनियमित करने की आवश्यकता से संबंधित एक सवाल पर सरकार की प्रतिक्रिया आई है। शीर्ष अदालत ने यूपीएससी जिहाद नामक सुदर्शन न्यूज चैनल के कार्यक्रम के पांच एपिसोड के प्रसारण पर रोक लगा दी थी।
हलफनामे में कहा गया है, अगर यह अदालत व्यापक मुद्दों से निपटने की इच्छा रखती है तो डिजिटल मीडिया के साथ शुरूआत करना बिल्कुल जरूरी होगा।
हलफनामे में आगे कहा गया है कि ब्रॉडकास्टर और प्रकाशक, जब उन्हें पता चला है कि वे निश्चित सामग्री के लिए रडार पर हैं, तो हो सकता है कि वे उसी चीज को प्रकाशित करने के लिए डिजिटल मीडिया का उपयोग करना शुरू कर दें, क्योंकि इसमें कोई नियम नहीं है।
–आईएएनएस
एकेके/जेएनएस
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