तिरुवनंतपुरम, 26 नवंबर (आईएएनएस)| केरल में यहां सोमवार को पहला सीसा-विषाक्तता अनुसंधान और उपचार केंद्र का उद्घाटन किया गया, क्योंकि लोग अधिक मात्रा में पारंपरिक दवाएं लेते हैं, जिसमें माना जाता है कि भारी मात्रा में धातुएं होती हैं।
सीसा इसके अलावा कॉस्मेटिक्स और पेंट में भी होता है और इसके संपर्क से स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
केरल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (केआईएमएस) में स्थापित, नई सीसा शोध प्रयोगशाला देश में सीसा परियोजनाओं (एनआरसीएलपीआई) के लिए राष्ट्रीय रेफरल सेंटर का 51वां केंद्र है।
इस केंद्र का उद्घाटन वेंकटेश थुप्पिल ने किया, जो लेड मैन ऑफ इंडिया के नाम से प्रसिद्ध हैं।
केआईएमएस के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक एम. आई. साहादुल्ला ने कहा कि यह केंद्र सभी उम्र समूहों के रक्त में सीरा का स्तर (बीएलएल) निर्धारित करने के लिए आधुनिक तकनीकों से लैस है और उंगलियों के पोर से रक्त का सैंपल लेने के पांच मिनट के अंदर ही नतीजे उपलब्ध हो जाते हैं।
जिन बच्चों के रक्त में सीसा का स्तर 5यूजी/डीएल से अधिक होता है, उनमें कॉगनिटिव प्रणालियों की परेशानी के अलावा कम आईक्यू की संभावना हो सकती है।
बीएएल की नियमित निगरानी तंत्रिका तंत्र की अपूरणीय क्षति को रोक सकती है।
बुजुर्गो में हड्डी और किडनी को नुकसान मुख्यत: सीसा से संपर्क का नतीजा होता है।
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