नई दिल्ली, 30 सितम्बर (आईएएनएस)। दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को कट्टरपंथी सिखों के खालिस्तान मूवमेंट को बढ़ावा देने की साजिश में शामिल होने के आरोप में ट्विटर के खिलाफ कार्रवाई की मांग वाली जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।
न्यायाधीश हिमा कोहली और सुब्रमण्यम प्रसाद की डिवीजन बेंच ने इस आधार पर याचिका को खारिज कर दिया कि याचिकाकर्ता संगीता गुप्ता ने केंद्र सरकार को प्रतिनिधित्व नहीं दिया था और इसके बजाय सीधे अदालत का दरवाजा खटखटाया था।
अदालत ने कहा, “सिर्फ इसलिए क्योंकि आप इसे सार्वजनिक हित में बताते हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि आप पहले सरकार से संपर्क नहीं करें।”
जब याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि संसद के एक सदस्य ने इस मुद्दे को उठाया था, तो अदालत ने सवाल किया, “क्या आप भद्रजनों के वकील हैं? आपके द्वारा संबंधित प्राधिकारी को पहले प्रतिनिधित्व दिए बिना हम इस गौर नहीं करेंगे।”
याचिका में कहा गया कि ट्विटर पर कुछ ‘प्रमोटेड हैंडल’ एक अलग खालिस्तान के एजेंडे को बढ़ावा देने के लिए इस्तेमाल किए गए।
याचिकाकर्ता ने एनआईए जांच की भी मांग की क्योंकि खालिस्तान के मकसद को बढ़ावा देने वाले कई यूजर भारत के बाहर रहते हैं।
–आईएएनएस
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