नई दिल्ली, 19 फरवरी (आईएएनएस)। नये कृषि कानूनों के विरोध में सड़कों पर उतरे किसानों की रहनुमाई करने वाले संगठनों नेता अपने आंदोलन को किसी भी सूरत में कमजोर होने नहीं देना चाहते हैं। इसलिए, उनकी रणनीति में लगातार बदलाव हो रहा है।
दिल्ली की सीमाओं पर करीब तीन महीने से डेरा डाले किसानों के नेता बीते एक पखवाड़े से किसान महापंचायतों के जरिए अपने पक्ष में किसानों का समर्थन हासिल करने में जुटे थे। इस दौरान राष्ट्रीय राजधानी के बॉर्डर स्थित धरना स्थलों पर प्रदर्शनकारियों की संख्या घटती चली गई। लिहाजा, अब यूनियनों के नेता किसानों से महापंचायत छोड़ दिल्ली-बॉर्डर लौटने की अपील कर रहे हैं।
हरियाणा में भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने शुक्रवार को कहा आज पंचायतों का जो दौर शुरू हो गया है उसकी पंजाब और हरियाणा में कोई जरूरत नहीं है।
उन्होंने एक वीडियो संदेश में कहा, सभी भाइयों से मेरा अनुरोध है कि हरियाणा और पंजाब में वे कोई महापंचायत नहीं रखें और ज्यादा ध्यान धरना पर दें। एक सिस्टम बनाएं कि हर गांव से एक खास संख्या में लोग धरना स्थल पर स्थाई तौर पर रहेंगे।
गुरनाम सिंह ने किसानों से हर गांव व मुहल्ले में संगठन बनाकर आंदोलन को लंबे समय तक चलाने की योजना बनाने की अपील की और आंदोलनकारियों को आने वाले दिनों में फसल कटाई के दौरान परस्पर सहयोग से खेती-किसानी का काम चलाने की सलाह दी।
किसान आंदोलन में पंजाब के 32 किसान यूनियन शामिल हैं। यूनियनों के नेताओं ने बताया कि उन्होंने एक बैठक करके पंजाब में कोई किसान महापंचायत आयोजित नहीं करने का फैसला लिया है और पूरी ताकत किसान आंदोलन को चलाने में झोंकने की रणनीति बनाई है।
पंजाब का संगठन किसान बचाओ मोर्चा के नेता कृपा सिंह ने आईएएनएस को बताया कि सभी संगठनों का ध्यान इस बात पर है कि दिल्ली बॉर्डर पर ज्यादा से ज्यादा संख्या में प्रदर्शनकारी जुटे रहें, इसलिए महापंचायतों में शामिल न होकर बॉर्डर पहुंचने की अपील की गई है।
पंजाब के ही एक और किसान संगठन भारतीय किसान यूनियन (लाखोवाल) के जनरल सेकेट्ररी हरिंदर सिंह लाखोवाल ने बताया कि जिन प्रदेशों में किसानों के बीच नये कृषि कानूनों से होने वाले नुकसान को लेकर जागरूकता फैलाने की जरूरत हैं, वहां अगर महापंचायत व जनसभा का आयोजन किया जाता है उसे करने में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन पंजाब के किसान तो पहले से ही अपने हकों को लेकर जागरूक हैं, इसलिए वहां ऐसी पंचायतों की जरूरत नहीं है।
हरिंदर सिंह ने कहा कि, शनिवार को पंजाब के सभी 32 किसान संगठनों की बैठक होगी, जिसमें आंदोलन को लंबे समय तक चलाने को लेकर रणनीति पर विचार-विमर्श किया जाएगा। अब तो धरना स्थल पर लोग आएंगे वे कुछ दिनों तक स्थाई रूप से बने रहेंगे।
–आईएएनएस
पीएमजे/एएनएम
नवीन शिक्षण पद्धतियों, अत्याधुनिक उद्यम व कौशल पाठ्यक्रम के माध्यम से, संस्थान ने अनगिनत छात्रों…
इतिहासकार प्रोफ़ेसर इम्तियाज़ अहमद ने बिहार के इतिहास पर रौशनी डालते हुए बताया कि बिहार…
अब आवेदन की तारीख 15 जुलाई से 19 जुलाई तक बढ़ा दी गई है।
पूरे दिल्ली-NCR में सर्विस शुरु करने वाला पहला ऑपरेटर बना
KBC 14 Play Along 23 September, Kaun Banega Crorepati 14, Episode 36: प्रसिद्ध डिजाइनर्स चार्ल्स…
राहुल द्रविड़ की अगुवाई में टीम इंडिया ने 1-0 से 2007 में सीरीज़ अपने नाम…