Happy Independence Day 2020: इस 15 अगस्त भारत अपना 74वा स्वतंत्रता दिवस मनाएगा। आज ही के दिन अगस्त 1947 को हमारा देश ब्रिटिश शासन से पूरी तरह आज़ाद हुआ था। इस दिन को हम सभी भारतवासी बहुत ही उत्साह और गौरव के साथ मनाते हैं। आज़ादी मिलने के बाद हर वर्ष हम इस दिन को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाते हैं।
इस दिन सभी सरकारी कार्यालय जैसे बैंक, पोस्ट ऑफिस आदि में अवकाश होता है। इसके साथ ही सभी स्कूल और ऑफिस में तिरंगा फहराया जाता है। हर एक स्वतंत्र राष्ट्र का अपना एक ध्वज होता है। भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को इसके वर्तमान स्वरूप में 22 जुलाई 1947 को आयोजित भारतीय संविधान सभा की बैठक के दौरान अपनाया गया था।
भारत सरकार की आधिकारिक वेबसाइट knowindia.gov.in के अनुसार, इसे 15 अगस्त 1947 और 26 जनवरी 1950 के बीच भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया और इसके बाद भारतीय गणतंत्र ने इसे अपनाया। भारत में “तिरंगे” का अर्थ भारतीय राष्ट्रीय ध्वज है।
तिरंगा झंडे में सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद ओर नीचे गहरे हरे रंग की पट्टी और ये तीनों समानुपात में हैं। ध्वज की चौड़ाई का अनुपात इसकी लंबाई के साथ 2 और 3 का है। सफेद पट्टी के मध्य में गहरे नीले रंग का एक चक्र है। यह चक्र अशोक की राजधानी के सारनाथ के शेर के स्तंभ पर बना हुआ है। इसका व्यास लगभग सफेद पट्टी की चौड़ाई के बराबर होता है और इसमें 24 तीलियां है।
अब तक हमारा राष्ट्रीय ध्वज कई रंग रूप बदल चुका है।भारतीय राष्ट्रीय ध्वज यानि तिरंगे झंडे का विकास आज के इस रूप में पहुंचने के लिए अनेक दौरों में से गुजरा। एक रूप से यह राष्ट्र में राजनैतिक विकास को दर्शाता है। हमारे राष्ट्रीय ध्वज के विकास में कुछ ऐतिहासिक पड़ाव इस प्रकार हैं-
सबसे पहला राष्ट्रीय ध्वज
देश का प्रथम राष्ट्रीय ध्वज 7 अगस्त 1906 को पारसी बागान चौक (ग्रीन पार्क) कलकत्ता में फहराया गया था। इस ध्वज को लाल, पीले और हरे रंग की क्षैतिज पट्टियों से बनाया गया था।
दूसरा राष्ट्रीय ध्वज
भारत का दूसरा ध्वज को पेरिस में मैडम कामा और 1907 में उनके साथ निर्वासित किए गए कुछ क्रांतिकारियों द्वारा फहराया गया था। हालांकि इस तथ्यों को लेकर मतभेद भी है। यह भी पहले ध्वज के समान था सिवाय इसके कि इसमें सबसे ऊपरी की पट्टी पर केवल एक कमल था किंतु सात तारे सप्तऋषि को दर्शाते हैं। इस झंडे को बर्लिन में हुए समाजवादी सम्मेलन में भी प्रदर्शित किया गया था।
तीसरा ध्वज साल 1917 में आया। डॉ. एनी बीसेंट और लोकमान्य तिलक ने घरेलू शासन आंदोलन के दौरान इसे फहराया। इस ध्वज में 5 लाल और 4 हरी क्षैतिज पट्टियां थी। इसमें एक के बाद एक और सप्तऋषि के अभिविन्यास में इस पर बने सात सितारे थे। ध्वज के बाई और ऊपरी किनारे पर (खंभे की ओर) यूनियन जैक था। एक कोने में सफेद अर्धचंद्र और सितारा भी था।
चौथा राष्ट्रीय ध्वज
साल 1921 इस झंडे को दो रंगों से बनाया गया था। लाल और हरा रंग जो दो प्रमुख समुदायों अर्थात हिन्दू और मुस्लिम का प्रतिनिधित्व करता है। गांधी जी ने सुझाव दिया कि भारत के शेष समुदाय का प्रतिनिधित्व करने के लिए इसमें एक सफेद पट्टी और राष्ट्र की प्रगति का संकेत देने के लिए एक चरखा मौजूद होना चाहिए।
पांचवां राष्ट्रीय ध्वज
साल 1931में तिरंगे को हमारे राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया गया। यह ध्वज जो वर्तमान स्वरूप का पूर्वज है, केसरिया, सफेद और मध्य में गांधी जी के चलते हुए चरखे के साथ पहले से मौजूद था। यह स्पष्ट रूप से बताया गया इसका कोई साम्प्रदायिक महत्व नहीं था और इसकी व्याख्या इस प्रकार की जानी थी।
छठवां राष्ट्रीय ध्वज
22 जुलाई साल 1947 को संविधान सभा ने इसे मुक्त भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया। देश को आजादी मिलने के बाद इसके रंग और उनका महत्व बना रहा। इस झंडे में चरखे के स्थान पर सम्राट अशोक के धर्म चक्र को दिखाया गया। इस प्रकार कांग्रेस पार्टी का तिरंगा ध्वज अंतत: स्वतंत्र भारत का तिरंगा ध्वज बना।
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