कोरोना के समय मदर्स डे : ड्यूटी को तो आगे रखना ही पड़ेगा

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नई दिल्ली, 10 मई (आईएएनएस)। मदर्स डे के मौके पर जहां भारत में अधिकांश माताओं को अपने परिवार के साथ समय बिताने का सौभाग्य मिला है, वहीं कुछ मां ऐसी भी हैं, जिन्होंने कोरोनावायरस महामारी के समय अपने कर्तव्यों का पालन करने को तवज्जो दी है।

ओडिशा के मयूरभंज जिले में पुलिस सब-इंस्पेक्टर (एसआई) ममता मिश्रा आठ महीने की गर्भवती हैं, मगर उन्होंने इस महत्वपूर्ण समय में घर पर आराम करने के बजाए अपने कर्तव्य को महत्व दिया है। उन्होंने ऐसी नायाब मिसाल पेश की है, जिसने सभी का ध्यान उनकी और पुलिस प्रशासन की ओर आकर्षित किया है।

ओडिशा राज्य के पुलिस महानिदेशक ने पिछले महीने अप्रैल में ट्वीट किया, गर्भावस्था के आठवें महीने में यह बहादुर काम करने पर जोर दे रहीं हैं। उनके स्वास्थ्य को देखते हुए उन्हें बेटनोटी पुलिस स्टेशन में ड्यूटी दी जाती है, न कि सड़क या चौकियों पर। उनके लिए मेरा अभिनंदन।

कोविड-19 के खिलाफ इस लड़ाई में अकेली ममता मिश्रा ही नहीं हैं, बल्कि देशभर में ऐसी महिलाओं की ममता की कई कहानियां हैं।

राष्ट्रीय राजधानी में ग्रेसिया रैना फाउंडेशन ने दिल्ली पुलिस के साथ मिलकर मदर्स डे के अवसर पर डीसीपी साउथ ऑफिस कॉम्प्लेक्स में उनके योगदान के लिए एक आयोजन किया।

संयुक्त पुलिस आयुक्त देवेश श्रीवास्तव ने 20 पुलिसकर्मियों को सम्मानित किया, जो अपने व्यक्तिगत जीवन की जिम्मेदारियों को संतुलित करते हुए अपने कर्तव्यों को निभाने में एक कदम आगे निकल आई हैं। चाहे वह कोविड-19 के दौरान मास्क सिलाई हो, या अन्य किसी भी तरह की सहायता, महिलाएं अपने घरों से बाहर निकलकर जरूरतमंदों की मदद से पीछे नहीं हट रहीं हैं।

दक्षिणी दिल्ली पुलिस ने एक बयान में कहा, मानवीय मदद ही नहीं, इन महिलाओं ने नियमित पुलिसिंग ड्यूटी में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। जांच कौशल, कानून व्यवस्था के दौरान नेतृत्व, दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान ड्यूटी और कोविड-19 बंद के दौरान ड्यूटी को निभाना, हर जगह।

पिछले अप्रैल में तबलीगी जमात के सदस्यों के एक समूह को कोरोना संक्रमण के बाद लोक नायक अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जिसमें महिला डॉक्टरों के साथ कथित तौर पर दुर्व्यवहार की खबरें सामने आई थी। मगर इससे अन्य महिला डॉक्टरों का हौसला नहीं टूटा, जिनमें से कई मां भी हैं और उन पर भी कई प्रकार की जिम्मेदारी है। वह हर समय मुसीबत के समय में रोगियों की सेवा के लिए तत्पर हैं। रविवार का दिन मातृत्व का जश्न मनाने वाला दिन है, मगर इस दौरान भी काफी मां ऐसी हैं, जो अपने कर्तव्यों को कहीं अधिक महत्व दे रही हैं। कहीं न कहीं यह भी उनके मातृत्व को दी दर्शा रहा है।

भारत भर में हजारों नसिर्ंग स्टाफ की कहानी भी अलग नहीं है। उनमें से कई मां हैं। नर्सें स्वास्थ्य प्रोटोकॉल को निभाते हुए खुशी-खुशी कोरोना मरीज को ठीक कर उन्हें उनके घर वापस भेजना पसंद कर रहीं हैं, क्योंकि यह समय संकट का है।

–आईएएनएस

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