येचुरी ने कहा कि करोड़ों ऐसे शोषित लोग हैं, जो कुपोषण की वजह से शारीरिक रूप से कमजोर हैं। ऐसा वर्ग शिकार ज्यादा होता है, क्योंकि सामाजिक व्यवस्था इंसान के बीच भेद करती है।
येचुरी ने यहां मजदूर दिवस पर अपने संबोधन के दौरान कोरोना के खिलाफ चल रही इस लड़ाई में वर्गभेद की तरफ भी इशारा किया। उन्होंने कहा, “22 मार्च को जनता कर्फ्यू से लेकर अब हम छठे हफ्ते में पहुंचे हैं। कई सारे लोग मर चुके हैं। यह संख्या बढ़ रही है। आज कोविड-19 महामारी के चलते बाकी सभी बीमारियों का इलाज नहीं हो पा रहा है। तीन लाख से ज्यादा शुगर के मरीज हैं और एक लाख से ज्यादा कैंसर के मरीजों का उपचार नहीं हो पा रहा है। इसके अलावा तीन लाख से ज्यादा बच्चों को टीके लगने में परेशानी हो रही है। गर्भवती महिलाएं जो देश का ‘भविष्य’ पैदा कर रही हैं, उन्हें भी उचित इलाज नहीं मिल रहा है।”
येचुरी ने कहा, “कहा जा रहा है कि यह वायरस चीन से फैला। अपने देश मे केरल में पहला केस आया था। अब क्या यह कहेंगे कि केरल की वजह से वायरस भारत में फैला।”
तब्लीगियों के मसले पर येचुरी ने सवाल किया कि उन्हें आखिर आने की अनुमति किसने दी?
वामपंथी नेता ने कहा, “दिसंबर से जो समय मिला था, उसी समय से स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारने की जरूरत थी। बड़े पूंजीवादी देशों ने भी निजी अस्पतालों का राष्ट्रीयकरण कर दिया। आज सुरक्षा के लिए स्वास्थ्यकर्मियों को पीपीई किट मिलने में भी समस्या आ रही है। देश में एक लाख में सिर्फ 60 की टेस्टिंग हो रही है। भारत में पूरी दुनिया में सबसे कम टेस्टिंग हो रही है।”
–आईएएनएस
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