नई दिल्ली, 4 मार्च (आईएएनएस)| पुलवामा जैसे आत्मघाती हमले को रोकने और जम्मू एवं कश्मीर में आतंकरोधी अभियानों के दौरान हताहत होने से बचने के लिए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने अपनी रणनीति को बदल कर ‘रुको, देखो और सयम लो’ कर दी है और नई मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी कर दी है।
पुलवामा हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे।
जम्मू एवं कश्मीर में तैनात 55,000 से अधिक सीआरपीएफ जवानों को सलाह दी गई है कि आवासीय इलाकों में आतंकरोधी अभियान के दौरान जल्दबाजी न करें।
नई सलाह रविवार को तब जारी की गई, जब 48 घंटे चली मुठभेड़ में एक निरीक्षक सहित सीआरपीएफ के तीन जवान शहीद हो गए थे। यह कुपवाड़ा जिले के हंदवारा इलाके में बाबागुंड गांव में मुठभेड़ एक मार्च को शुरू हुई थी।
सीआरपीएफ के एक अधिकारी ने आईएएनएस से कहा, “जम्मू एवं कश्मीर में तैनात प्रत्येक सीआरपीएफ जवान को स्पष्ट निर्देश है कि आतंकरोधी अभियान के दौरान ‘रुको, देखो और समय लो’। यह नया नहीं है। यह हमारे एसओपी का एक हिस्सा है, जिसे हमारे तीन जवानों के शहीद होने के बाद सुधारा गया है।”
अधिकारी ने कहा कि मुठभेड़ के बाद तलाशी अभियान शुरू करने से पहले सुरक्षाकर्मी यदि थोड़े समय के लिए रुक गए होते, तो वे शहीद होने से बच गए होते। उन्होंने कहा, “हम समय-समय पर अपनी रणनीति बदलते हैं और एसओपी में सुधार करते हैं।”
पुलवामा हमले के बाद सीआरपीएफ के महानिदेशक आर.आर. भटनागर ने पिछले महीने एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा था कि सीआरपीएफ कुछ रणनीति बना रहा है, लेकिन उन्होंने विवरण देने से इंकार कर दिया था।
सीआरपीएफ अपने 3.5 लाख के बल की सुरक्षा बढ़ाने के लिए ‘यातायात नियंत्रण’ और ‘काफिला चलने के समय’ जैसी चीजें पहले दुरुस्त कर चुका है।
इन सब घटनाक्रमों से परिचित एक अन्य अधिकारी ने कहा कि सीआरपीएफ ने विस्फोटक हमलों से निपटने की रणनीति में भी सुधार किया है।
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