नई दिल्ली, 25 मई (आईएएनएस)| हर उम्र में लोगों को पोषणा की जरूरत होती है और जब शरीर को पर्याप्त पोषण नहीं मिलता, तो उसमें तमाम तरह के विकार आने लगते हैं, जो शारीरिक व मानसिक परेशानियों का कारण बनते हैं। पोषक तत्वों से न सिर्फ हमारा शरीर मजबूत होता है, बल्कि इससे बीमारियों से लड़ने की क्षमता विकसित होती है। इसके लिए जरूरी है कि इस बात का आकलन किया जाए कि सही और पर्याप्त भोजन ले रहे हैं या नहीं।
नेशनल सेंटर फार बायोटेक्नॉलॉजी इंफोर्मेशन (एनसीबीआई) के आंकड़ों के मुताबिक, पोषण की कमी का खामियाजा सबसे अधिक बच्चे भुगतते हैं, क्योंकि अपर्याप्त पोषण के कारण विकासशील देशों में पांच साल से कम उम्र के बच्चों में से 45 फीसदी की मौत हो जाती है।
एक आम आदमी के लिए इस बात का आकलन काफी कठिन होता है कि उसे क्या खाना है और कितना खाना है। ऐसे कई साधन हैं, जिनके माध्यम से कोई भी यह जान सकता है कि उसे कब, क्या और कितना खाना है।
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, पोषण की कमी के कारण शरीर कमजोर होता है और इस कारण बीमारियों का हमला होता है और ऐसे में दुनियाभर में हर साल करीब 60 लाख बच्चों की मौत हो जाती है।
क्लिनिकल न्यूट्रीनिस्ट, डाइटिशियन और ‘हील योर बॉडी’ के संस्थापक रजत त्रेहन का कहना है कि आपको अपने शरीर की जरूरतों को पूरा करने के लिए दैनिक आधार पर कुछ तय चीजें खानी होंगी।
त्रेहन ने कहा, “प्रोटीन हमारे प्रतिरोधी तंत्र को मजबूत रखते हैं। दुग्ध उत्पादों और अंडों में प्रोटीन होता है। इन्हें अपने भोजन में हर हाल में शामिल करना चाहिए। बीमारी फैलाने वाले कारकों से बचने के लिए विटामिन सी, ई और बेटा-कारोटीन की हमें जरूरत होती है और इसी कारण इन्हें अपने भोजन में शामिल करना जरूरी है।”
उन्होंने कहा, “एंटीआक्सीडेंट्स एक तरह के माइक्रोन्यूट्रीएंट्स होते हैं और ये हमारे शरीर की रक्षा करते हैं। वे खाद्य पदार्थो को विशेष रूप से ऑक्सीकरण और खराब होने से रोकते हैं।”
त्रेहन के मुताबिक, इनके अलावा कुछ अन्य खाद्य पदार्थ भी हैं, जिनका सेवन नियमित तौर पर करना चाहिए।
उन्होंने कहा, “हर व्यक्ति को रोजाना 4-5 लीटर पानी पीना चाहए। ऊर्जा के लिए किलोजूल (विशेष रूप से काबोर्हाइड्रेट), जैतून के तेल, मछली, नट्स, एवोकैडो और फैटी एसिड युक्त भोजन लेना चाहिए। वसा में घुलनशील और पानी में घुलनशील विटामिन, आवश्यक खनिज जैसे लोहा, कैल्शियम, और जस्ता, पौधों से प्राप्त फाइटोकेमिकल्स (वे हृदय रोगों, मधुमेह, कैंसर, गठिया, और ऑस्टियोपोरोसिस से सुरक्षा प्रदान करते हैं) और फल, सब्जियों का एक विविध आहार समावेशी अनाज, फलियां, और दुबला मांस अनिवार्य है।”
त्रेहन कहते हैं कि जब हम जीवन के विभिन्न चरणों (शिशु से युवाओं को गर्भावस्था से लेकर रजोनिवृत्ति तक) में जाते हैं तो हमारे शरीर की पोषण संबंधी आवश्यकताएं बदल जाती हैं।
उन्होंने कहा, “हमारे आहार में उम्र और अवस्था की परवाह किए बिना बहुत सारे पोषण-सघन खाद्य पदार्थ शामिल होने चाहिए। एनसीबीआई के अनुसार, जिन लोगों का आहार अलग-अलग होता है, उनकी प्रतिरक्षा क्षमता संतुलित आहार लेने वाले लोगों से 5 से 10 प्रतिशत तक कमजोर होती है। इसके अलावा, व्यायाम करना कभी न भूलें। सक्रिय होना चाहिए और सप्ताह में 5 दिन कम से कम 30 मिनट व्यायाम करना चाहिए।”
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