क्या राहुल गांधी सोशल मीडिया की लड़ाई जीत रहे हैं?

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 नई दिल्ली, 4 फरवरी (आईएएनएस)| भारतीय राजनीति में प्राय: उनका ‘पप्पू’ कह कर मजाक उड़ाया जाता है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी छवि बदलने की पुरजोर कोशिश में जुटे हैं और अपने 84.1 लाख फॉलोअरों के लिए व्यंग्य से भरे ट्वीट्स के माध्यम से वह एक हाजिर जवाब नेता के रूप में उभरे हैं।

 जो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को आगामी चुनावों में कुछ नुकसान पहुंचा सकते हैं, क्योंकि पिछले विधानसभा चुनावों में भी उनके ट्विट्स ने उनके विरोधियों को नुकसान पहुंचाया था।

सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना में कम फॉलोअर होने के बावजूद अंतरिम बजट के दौरान राहुल गांधी के ट्वीट्स ज्यादा रिट्विट्स किए गए। 31 जनवरी से तीन फरवरी के बीच की चार दिनों की अवधि के ट्विटर के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है।

राहुल गांधी के जिस ट्वीट को 12,000 बार से ज्यादा रिट्विट किया गया, उसमें उन्होंने लिखा है, “आपकी पांच सालों की अक्षमता और अहंकार ने हमारे किसानों के जीवन को नष्ट कर दिया है। उन्हें प्रतिदिन 17 रुपये देना उनका और उनके काम का अपमान है।”

यह ट्विट हैशआखिरीजुमलाबजट के साथ टैग कर किया गया था, जिसमें अंतरिम बजट में दो एकड़ तक की जमीन रखनेवाले सभी किसानों को 6,000 रुपये सालाना की मदद देने की घोषणा की गई थी।

राहुल गांधी के ट्वीट के जवाब में भाजपा की तरफ से ट्विट किया गया, “जैसा कि अपेक्षित था, आपने बजट की एक बात नहीं समझी।” इस ट्वीट को 9,000 बार रिट्वीट किया गया।

राहुल गांधी के ट्वीट की तुलना में, मोदी के अंतरिम बजट के दिन की गई ट्वीट को 7,000 से ज्यादा बार रिट्विट किया गया। मोदी के माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफार्म पर 4.54 करोड़ फॉलोअर्स हैं।

नाम नहीं छापने की शर्त पर एक कांग्रेसी नेता ने आईएएनएस को बताया कि राहुल गांधी के पोस्ट्स सोशल मीडिया पर अधिक लोकप्रिय हो रहे हैं, क्योंकि मुख्यधारा की मीडिया ‘मोदी-समर्थक’ और कांग्रेस अध्यक्ष विरोधी है।

सूत्र ने कहा, “जैसा कि ट्विट्स के कंटेट को अक्सर तुरंत वाट्स एप पर साझा किया जाता है, जिसकी ग्रामीण इलाकों में व्यापक पहुंच है। ऐसे में राहुल के मैसेजेज का ज्यादा से ज्यादा रीट्वीट होना बेहद पुरानी पार्टी के लिए अच्छी खबर है।”

कांग्रेस की सोशल मीडिया और डिजिटल कम्यूनिकेशंस प्रमुख दिव्या स्पंदना के मुताबिक, “विभिन्न सोशल मीडिया से जुड़ाव को नापना बेहतर पैरामीटर है, बजाए फॉलोअरो की संख्या को देखने के।”

सोशल मीडिया विशेषज्ञ अनूप मिश्रा का हालांकि कहना है कि रिट्वीट की ज्यादा संख्या से यह पता नहीं चल सकता है कि वह व्यक्ति ‘अधिक प्रभावशाल’ है।

मिश्रा ने आईएएनएस से कहा, “इससे संकेत मिलता है कि लोगों की रुचि उस खास विषय में है, जिसे वे रिट्वीट कर रहे हैं।”

अब प्रियंका गांधी वाड्रा (जिन्हें हाल में ही पूर्वी उप्र का प्रभारी नियुक्त किया गया है) भी सोशल मीडिया पर आनेवाली हैं। ऐसे में भाजपा को सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर भाई-बहन की जोड़ी से लड़ने के लिए पूरी ताकत झोंक देनी होगी।

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