देश में लोकसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। तमाम राजनीतिक दल 2019 के इस सियासी महासमर के लिए अपनी रणनीति को अमलीजामा पहनाने में जुटे हुए हैं। विरोधियों को मात देने के लिए शतरंज की बिसात बिछाई जा रही है। विपक्षी खेमे के चक्रव्यूह को भेदने के लिए सभी दल या तो अपने-अपने ‘अर्जुन’ की तलाश कर चुके हैं या करने में लगे हैं। केंद्र की सत्ता पर काबिज बीजेपी ने पिछले दो दिनों में 200 से ज्यादा प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है।
बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा को पार्टी ने ओडिशा की पुरी लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पुरी सीट से चुनाव लड़ने की अटकलें पर भी विराम लग गया है। पुरी से टिकट मिलने के बाद संबित पात्रा ने अपने ट्विटर अकाउंट से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के प्रति आभार व्यक्त किया है।
उन्होंने लिखा, ‘मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और सभी सीईसी सदस्यों का मेरे जैसे एक अदने कार्यकर्ता को भगवान जगन्नाथ की भूमि से टिकट देकर भरोसा जताने के लिए धन्यवाद देता हूं। जय जगन्नाथ।’
संबित पात्रा की पहली पहचान बीजेपी के एक तेज तर्रार प्रवक्ता की है। संबित अक्सर टीवी डिबेट में अपने वाक्-कौशल से बीजेपी और मोदी सरकार को डिफेंड करते और विपक्ष के नेताओं को घेरते देखे जाते हैं। वैसे तो संबित पात्रा पेशे से सर्जन रह चुके हैं। लेकिन आपको बता दें कि झारखंड (तत्कालीन बिहार) के धनबाद में जन्मे और पले-बढ़े संबित अपनी जड़ें ओडिशा में तलाशते हैं।
संबित पात्रा की प्रारंभिक और माध्यमिक पढ़ाई-लिखाई धनबाद से हुई। उन्होंने 1997 में ओडिशा के संबलपुर से वीएसएस मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल से एमबीबीएस किया था। फिर 2002 में कटक के उत्कल यूनिवर्सिटी में एससीबी मेडिकल कॉलेज से मास्टर ऑफ सर्जरी किया था। इसके बाद 2003 में यूपीएससी कंबाइंड मेडिकल सर्विसेज परीक्षा पास की और दिल्ली के हिंदू राव अस्पताल में मेडिकल ऑफिसर नियुक्त हुए थे। 2006 में संबित ने ‘स्वराज’ नामक एक एनजीओ बनाया, जो छत्तीसगढ़ और ओडिशा के दलितों और आदिवासियों के बीच स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे मुद्दों पर काम करती थी। देखा जाए तो संबित पात्रा का सियासी सफर काफी दिलचस्प रहा है।
संबित पात्रा 2011 में बीजेपी में शामिल हुए और दिल्ली इकाई के प्रवक्ता चुने गए। फिर वह केंद्रीय मंत्री विजय गोयल और डॉ. हर्ष वर्धन के भी खास हो गए। संबित पात्रा ने 2012 में दिल्ली के कश्मीरी गेट से निगम पार्षद (MCD ) का चुनाव लड़ा था। मगर हार गए। तब संबित को सिर्फ 2900 वोट हासिल हुए थे और वह करीब 1400 वोटों से यह चुनाव हार गए थे। मज़े की बात ये है कि संबित पात्रा को हराने वाले कांग्रेसी उम्मीदवार हर्ष शर्मा भी अब बीजेपी में हैं।
खैर, 2014 में मोदी सरकार आने के बाद संबित का कद बढ़ा और वह बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता बन गए। टीवी चैनलों पर लगातार पार्टी की प्रवक्ताई का सुफल भी संबित को मिला, जब 2017 में उन्हें पब्लिक सेक्टर की मशहूर कंपनी ONGC के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में जगह मिली। इसके लिए वह लगातार विपक्षी दलों के निशाने पर भी रहे।
संबित पात्रा का विवादों से भी नाता रहा है। एक टीवी डिबेट में पीएम नरेंद्र मोदी को ‘देश का बाप’ बताए जाने पर उनकी आलोचना होती रही है। इसके अलावा मीडिया चैनलों पर उनकी बहस के अलग-अलग वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते रहे हैं। आपको बता दें कि संबित पात्रा का नाम उनके डॉक्टरी के दिनों में भी एक विवाद से जुड़ा है।
दरअसल, संबित पात्रा पर ये आरोप है कि उनकी देख-रेख में हुए एक ऑपरेशन के बाद 81 वर्षीय महिला मरीज की मौत हो गयी थी। 2013 में एनकेएस अस्पताल में हुए इस ऑपरेशन के बाद कथित लापरवाही के लिए संबित पात्रा और उनके एक साथी डॉक्टर के खिलाफ दिल्ली मेडिकल काउंसिल में शिकायत दर्ज हुई थी। परिषद की वेबसाइट के अनुसार, 1 अगस्त 2014 को दर्ज यह शिकायत अभी तक “विचाराधीन” है।
बहरहाल, चुनाव को देखते हुए बीजेपी को उम्मीद है कि इस बार ओडिशा के नतीजे दिल्ली की सत्ता का रास्ता आसान कर सकते हैं। इसलिए पार्टी ने ओडिशा की सबसे अहम सीट पर संबित पात्रा को मैदान में उतार दिया है। अब देखना ये है कि संबित चुनावी राजनीति में सफलता की पहली सीढ़ी चढ़ पाते हैं या नहीं।
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This post was last modified on March 23, 2019 1:17 PM
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