लोकसभा चुनाव 2019: SC का फैसला, एक की बजाए 5 बूथों पर EVM-वीवीपैट का होगा मिलान

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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को चुनाव आयोग को निर्देश दिया है कि वह आगामी लोकसभा चुनाव के दौरान होने वाली वीवीपैट पर्चियों के मिलान की संख्या को पहले के मुकाबले बढ़ा दे। ऐसे में, 23 मई को लोकसभा चुनाव के नतीजों में भी देरी हो सकती है।

ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एक लोकसभा सीट की सभी विधानसभा सीटों पर 5 बूथ की ईवीएम पर गिनती होगी। यानी 5 गुना ज्यादा वीवीपैट की गिनती होगी। यानी अगर एक लोकसभा सीट पर 6 विधानसभा हैं तो 30 वीवीपैट की गिनती होगी। इस मामले की सुनवाई प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने की। न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा, ‘एक निर्वाचन क्षेत्र से एक की बजाए 5 ईवीएम के चुनाव से इसकी प्रमाणिकता, चुनाव प्रक्रिया को लेकर विश्वास न केवल राजनीतिक पार्टियों को बल्कि गरीब लोगों के मन में भी सुनिश्चित हो जाएगा।’

पहले क्या थी व्यवस्था

पहले एक लोकसभा सीट की एक विधानसभा पर एक ही बूथ की वीवीपैट पर्चियों का मिलान किया जाता था। वहीं अब अदालत ने निर्देश दिए हैं कि हर लोकसभा सीट से 5 EVM मशीन की वीवीपैट पर्चियों का मिलान किया जाए।

क्या है विपक्ष की मांग

विपक्ष लगातार यह मांग कर रहा है कि आगामी लोकसभा चुनाव के दौरान वीवीपैट की 50 फीसदी पर्चियों का मिलान किया जाए। विपक्ष ने 50 फीसदी पर्चियों के मिलान का अनुरोध किया है जिसे मुख्य न्यायाधीश ने नहीं माना क्योंकि जमीनी स्तर पर इसके लिए पहले के मुकाबले ज्यादा मैनपावर चाहिए और यह ढांचागत कठिनाइयों के मद्देनजर संभव नहीं है।

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व में 21 विपक्षी पार्टियों ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की हुई है। उनका कहना है कि ऐसा करने से मतदाताओं के बीच वोटिंग मशीनों की गरिमा बनाई रखी जा सकेगी। गौरतलब है कि हाल के वर्षों में विपक्ष ने लगातार यह सवाल उठाया है कि EVM की विश्वसनीयता सवालों के घेरे में है।

इस मामले की शनिवार को उच्चतम न्यायालय में सुनवाई हुई थी। जिसमें विपक्ष ने कहा था कि लोकसभा चुनाव के नतीजों में उन्हें छह दिन की देरी मंजूर है लेकिन 50 फीसदी वीवीपैट पर्चियों का मिलान होना चाहिए। उनका कहना है कि चुनाव आयोग का दावा है कि 13.5 लाख ईवीएम मशीनों का इस्तेमाल चुनाव में होगा।

विपक्ष के किन नेताओं ने दायर की है याचिका

उच्चतम न्यायालय में तेलुगू देशम पार्टी के मुखिया चंद्रबाबू नायडू, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मुखिया शरद पवार, कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल, तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन, लोकतांत्रिक जनता दल के मुखिया शरद यादव, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, बहुजन समाज पार्टी के नेता सतीश चंद्र मिश्रा, डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन, आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और नेशनल कांग्रेस के फारूक अब्दुल्ला ने याचिका दाखिल कर रखी है।


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