अगरतला, 15 मार्च (आईएएनएस)| त्रिपुरा में लोकसभा चुनाव में निगाहें जनजातीय पार्टियों पर टिकी हुई हैं क्योंकि इस पहाड़ी राज्य में मूल निवासी हमेशा खास भूमिका निभाते रहे हैं।
राज्य में लोकसभा की दो सीटें, पश्चिमी त्रिपुरा और पूर्वी त्रिपुरा हैं। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जनजातीय दल इंडीजेनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) में सीट बंटवारे पर वार्ताओं का दौर जारी है क्योंकि दोनों ही दल दोनों सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने के लिए अड़े हैं।
उधर, राज्य में सबसे पुरानी जनजातीय पार्टी इंडीजेनस नेशनलिस्ट पार्टी ऑफ त्रिपुरा (आईएनपीटी) और अन्य जनजातीय केंद्रित दलों के नेता इसी हफ्ते दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी व कांग्रेस के अन्य नेताओं से गठबंधन पर बात कर चुके हैं, हालांकि इन वार्ताओं का अभी कोई नतीजा नहीं निकला है।
भाजपा के दो वरिष्ठ नेताओं जिष्णु देव वर्मा और शिक्षा एवं कानून मंत्री रतन लाल नाथ ने मंगलवार रात को आईपीएफटी नेताओं से अगरतला में कई घंटे बात की लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला क्योंकि दोनों ही दल दोनों सीट पर अपने प्रत्याशी चाहते हैं।
इस बैठक में आईपीएफटी के दल का नेतृत्व करने वाले वन एवं जनजातीय कल्याण मंत्री मेवेर कुमार जामाती ने शुक्रवार को आईएएनएस से कहा कि वे अंतिम फैसला 16-17 मार्च को होने वाली पार्टी की कार्यकारी समिति की बैठक में लेंगे।
आईपीएफटी अध्यक्ष एवं राजस्व मंत्री नरेंद्र चंद्र देबबर्मा ने पहले आईएएनएस से कहा था कि उनकी पार्टी भाजपा नेताओं से कह रही है कि उसे पूर्वी त्रिपुरा से चुनाव लड़ने दिया जाए क्योंकि यह जनजातीय समुदाय के लिए आरक्षित है। उन्होंने कहा कि अगर भाजपा इस पर राजी नहीं हुई तो हम दोनों सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेंगे।
उधर, आईएनपीटी की केंद्रीय कार्यकारी समिति के चेयरमैन स्रोता रंजन खीसा ने आईएएनएस से कहा कि पार्टी के अध्यक्ष बिजय कुमार रंगखवाल के नेतृत्व में पार्टी का प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मिला और सीट बंटवारे पर बात की। हम पूर्वी त्रिपुरा की सीट चाहते हैं लेकिन कांग्रेस ने अभी अपना रुख साफ नहीं किया है।
नेशनल कांफ्रेंस ऑफ त्रिपुरा जैसी अन्य जनजातीय पार्टियां भी कांग्रेस, भाजपा व अन्य दलों से लगातार बैठकें कर रही हैं।
त्रिपुरा की कांग्रेस इकाई के उपाध्यक्ष तपस डे ने आईएएनएस से कहा कि पार्टी के केंद्र व राज्य के नेता नहीं चाहते कि गैरभाजपा-गैर वाममोर्चा मतों में कोई विभाजन हो।
टिकट के दावेदारों में आगे चल रहीं भाजपा महासचिव प्रतिमा भौमिक ने का कि वरिष्ठ नेता आईपीएफटी मुद्दे पर विचार कर रहे हैं।
पश्चिमी त्रिपुरा में मतदान 11 अप्रैल को होगा। पूर्वी त्रिपुरा सीट पर 18 अप्रैल को मत डाले जाएंगे।
त्रिपुरा में भाजपा और कांग्रेस, दोनों आदिवासियों के मतों को हासिल करने के लिए काफी हद तक आईएनटीपी और आईपीएफटी तथा अन्य जनजातीय दलों पर निर्भर रहती हैं। जबकि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) का जनजातीय व गैर जनजातीय, दोनों समुदायों में अच्छा आधार है।
राज्य की चालीस लाख की आबादी में एक तिहाई हिस्सा आदिवासी लोगों का है।
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