नई दिल्ली, 2 फरवरी (आईएएनएस)। केंद्र की ओर से पारित किए गए कृषि कानूनों को लेकर मंगलवार को विपक्ष के हंगामे के कारण बार-बार कार्यवाही स्थगित होने के बाद आखिरकार लोकसभा की कार्यवाही शाम 7 बजे तक, यानी दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई।
विपक्ष ने कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर सदन में जमकर नारेबाजी की। इसके चलते कई बार सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।
प्रमुख विपक्षी दलों के साथ-साथ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दो पूर्व सहयोगियों द्वारा किए गए हंगामे के बीच सदन में कुछ खास कामकाज नहीं हो पाया।
पिछले साल सितंबर में पारित किए गए तीन कृषि कानूनों का जिक्र करते हुए 10 से अधिक विपक्षी पार्टी के सदस्यों ने अध्यक्ष के आसन के पास जाकर नारेबाजी की। विपक्षी नेताओं ने काला कानून वापस लो के नारे लगाए।
भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार पर ब्रिटिश युग जैसा शासन चलाने का आरोप लगाते हुए, सदन में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने 26 नवंबर को दिल्ली की सीमाओं पर दो महीने से अधिक समय से चल रहे किसान आंदोलन को देखते हुए किसानों के मुद्दे पर बहस कराने का अनुरोध किया और पिछले साल पारित किए गए तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग की।
चौधरी ने कहा, पूरा देश देख रहा है कि किसान सरकार के खिलाफ किस तरह से आंदोलन कर रहे हैं। 170 से अधिक किसानों की मौत हो चुकी है। जिस तरह से किसानों पर अत्याचार हो रहे हैं, ऐसा लगता है कि हम अंग्रेजों के जमाने में चले गए हैं।
उन्होंने कहा, पहले किसानों के मुद्दे पर बहस सदन की प्राथमिकता होनी चाहिए।
चौधरी को कांग्रेस के अन्य सांसदों ने समर्थन दिया, जिसमें भाजपा के पूर्व सहयोगी शिरोमणि अकाली दल (शिअद) और शिवसेना के सदस्य भी शामिल रहे। उनके साथ ही द्रमुक, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) के सदस्यों को भी कानून वापसी की मांग के साथ हाथों में तख्तियां लिए देखा गया।
वाईएसआरसीपी और बहुजन समाज पार्टी के सदस्य भी अपनी सीटों से सरकार के खिलाफ नारे लगा रहे थे।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदस्यों से अपनी सीटों पर वापस जाने और सदन को चलने देने का आग्रह किया। उन्होंने मुद्दों को उठाने के लिए उन्हें पर्याप्त समय देने का आश्वासन भी दिया।
वहीं कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार सदन के भीतर और बाहर विपक्ष द्वारा उठाए गए सभी मुद्दों पर चर्चा करने के लिए तैयार है। तोमर ने सदन की कार्यवाही बाधित करने के लिए विपक्षी नेताओं की निंदा भी की।
तोमर ने कहा, यह सदन असाधारण परिस्थितियों में अपना बजट सत्र आयोजित कर रहा है। विपक्ष को सदन का कीमती समय बर्बाद नहीं करना चाहिए। सरकार विपक्ष द्वारा उठाए गए हर मुद्दे पर बहस के लिए तैयार है।
उधर, राज्यसभा में भी कृषि कानून वापस लिए जाने की मांग के साथ हंगामे के कारण कार्यवाही कई बार रोकनी पड़ी और उपराष्ट्रपति और सभापति वैंकेया नायडू ने विपक्ष को शांत करने की कोशिश की। अंत में राज्यसभा की कार्यवाही भी दिनभर के लिए स्थगित करनी पड़ी।
–आईएएनएस
एकेके/एसजीके
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