Maha Navami Puja 2019: नवरात्रि (Navratri) के नौवें और अंतिम दिन मां दुर्गा के सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) स्वरूप की पूजा की जाती है। इस दिन को नवमी या महानवमी (Maha Navami) भी कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि देवी दुर्गा का यह स्वरूप सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करने वाला है। कहते हैं कि सिद्धिदात्री की आराधना करने से सभी प्रकार के ज्ञान आसानी से मिल जाते हैं। साथ ही उनकी पूजा-उपासना करने वालों को कभी किसी तरह का कष्ट नहीं होता है।
नवमी (Navami) के दिन कन्या पूजन (Kanya Pujan) को मंगलकारी और कल्याणकारी माना गया है। कन्याओं की आयु दो वर्ष से ऊपर और 10 वर्ष तक होनी चाहिए और इनकी संख्या कम से कम 9 तो होनी ही चाहिए। यदि 9 से ज्यादा कन्या भोज पर आ रही है तो कोई आपत्ति नहीं है।
इस बार नवमी या महानवमी 7 अक्टूबर को है जबकि उसके अगले दिन यानी कि 8 अक्टूबर को बुराई पर अच्छाई के विजय का पर्व विजयदशमी (Vijayadashmi) या दशहरा (Dussehra) मनाया जाएगा। नवमी के शुरू होने की तिथि 6 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 54 मिनट है। वहीं 7 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 38 मिनट पर नवमी की तिथि समाप्त हो जाएगी।
अमृत काल मुहूर्त- सुबह 10 बजकर 24 मिनट से 12 बजकर 10 मिनट तक (7 अक्टूबर 2019)
अभिजित मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 32 मिनट तक (7 अक्टूबर)
हिंदू मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव ने सिद्धिदात्री की कृपा से ही सभी सिद्धियां हासिल की थी। मां की कृपा से ही शिवजी का आधा शरीर देवी का हुआ था। इसी कारण शिव ‘अर्द्धनारीश्वर’ नाम से प्रसिद्ध हुए। मार्कण्डेय पुराण के अनुसार अणिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, महिमा, ईशित्व और वाशित्व ये आठ सिद्धियां हैं। मान्यता है कि अगर भक्त सच्चे मन से मां सिद्धिदात्री की पूजा करें तो ये सभी सिद्धियां मिल सकती हैं।
मां सिद्धिदात्री का स्वरूप अत्यंत सौम्य और आकर्षक होता है। मां सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं। इनका वाहन सिंह है। ये कमल पुष्प पर भी आसीन होती हैं। इनकी दाहिनी ओर के ऊपर वाले हाथ में गदा और नीचे वाले हाथ में चक्र विद्यमान है। बांई ओर के ऊपर वाले हाथ में कमलपुष्प और नीचे वाले हाथ में शंख विद्यमान है।
मां सिद्धिदात्री को लाल और पीला रंग पसंद है। उनका मनपसंद भोग नारियल, खीर, नैवेद्य और पंचामृत है।
सिद्धगंधर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना यदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायनी॥
कंचनाभा शखचक्रगदापद्मधरा मुकुटोज्वलो।
स्मेरमुखी शिवपत्नी सिद्धिदात्री नमोअस्तुते॥
पटाम्बर परिधानां नानालंकारं भूषिता।
नलिस्थितां नलनार्क्षी सिद्धीदात्री नमोअस्तुते॥
परमानंदमयी देवी परब्रह्म परमात्मा।
परमशक्ति, परमभक्ति, सिद्धिदात्री नमोअस्तुते॥
विश्वकर्ती, विश्वभती, विश्वहर्ती, विश्वप्रीता।
विश्व वार्चिता विश्वातीता सिद्धिदात्री नमोअस्तुते॥
भुक्तिमुक्तिकारिणी भक्तकष्टनिवारिणी।
भव सागर तारिणी सिद्धिदात्री नमोअस्तुते॥
धर्मार्थकाम प्रदायिनी महामोह विनाशिनी।
मोक्षदायिनी सिद्धीदायिनी सिद्धिदात्री नमोअस्तुते॥
This post was last modified on October 7, 2019 10:46 AM
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