नई दिल्ली, 30 अप्रैल (आईएएनएस)| एशियाई मुक्केबाजी चैंपियनशिप में दो बार की विश्व चैंपियन को हराकर कांस्य पदक जीतने वाली भारत की महिला मुक्केबाज निखत जरीन का दावा है कि 51 किग्रा भार वर्ग में वह अभी देश की श्रेष्ठ मुक्केबाज हैं और वह इसे साबित भी कर सकती हैं।
बैंकॉक में आयोजित एशियाई चैम्पियनश्पि के बाद भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (बीएफआई) ने मंगलवार को निखत सहित तमाम पदक विजेताओं को सम्मानित किया। इसी सम्मान समारोह से इतर निखत ने आईएएनएस से कहा, “कांस्य पदक भी ऐसे ही नहीं मिला। इसके लिए दो बार की विश्व चैंपियन को हराना पड़ा है। चोट के बाद यह मेरा पहला बड़ा टूर्नामेंट था और इसमें मेरे लिए पदक जीतना बहुत जरूरी था। अब आगे भी मेरे लिए पदक जीतना जरूरी है क्योंकि मुझे सबको दिखाना है कि 51 किग्रा में निखत सबसे मजबूत मुक्केबाज है।”
एशियाई चैम्पियनशिप में भारत ने 20 सदस्यीय दल बैंकॉक भेजा था और इनमें से 13 ने पदक हासिल किए। अमित पंघल और पूजा रानी ने स्वर्ण पदक जीते जबकि चार ने रजत और निखत सहित सात ने कांस्य पदक हासिल किए।
निखत ने कहा, “51 किग्रा में छह बार की विश्व चैम्पियन एमसी मैरीकॉम और पिंकी जांगड़ा भी है। मैं इस वर्ग में युवा मुक्केबाज हूं। एक युवा मुक्केबाज होने के नाते लोग यही सोचेंगे कि इसको अभी भविष्य के लिए रख सकते हैं। लेकिन मैं लोगों के इस सोच को बदलना चाहती हूं और इसके लिए मुझे अच्छे प्रदर्शन भी करने होंगे।”
निखत ने एशियाई मुक्केबाजी चैंपियनशिप के क्वार्टर फाइनल में दो बार की पूर्व विश्व चैम्पियन कजाकिस्तान की नज्म काजेबे को 5-0 से हराकर सेमीफाइनल में प्रवेश किया था।
उन्होंने इस टूर्नामेंट के बारे में कहा, ” यह एक बड़ा टूर्नामेंट था, जिसमें मैंने क्वार्टर फाइनल में दो बार की विश्व चैंपियन को हराया, तब जाकर मुझे कांस्य पदक मिला। क्वार्टर फाइनल के बाद सेमीफाइनल भी काफी कड़ा मुकाबला था। एक यह ऐसा बाउट था, जिसमें निर्णय किसी के भी पक्ष में जा सकता था। लेकिन दुर्भाग्यवश निर्णय मेरे प्रतिद्वंद्वी के पक्ष में रहा।”
पूर्व जूनियर विश्व चैम्पियन ने कहा, “लेकिन ठीक है कि कम से कम मैं खाली हाथ तो नहीं लौटी। इससे मेरा आत्मविश्वास काफी बढ़ा है। मैं इसी आत्मविश्वास के साथ मैं आगे भी बाउट करूंगी और इंडिया ओपन में भी पदक जीतूंगी तथा विश्व चैंपियनशिप के लिए होने वाली ट्रायल्स में हिस्सा लूंगी।”
22 साल की निखत ने पिछले साल बेलग्रेड मुक्केबाजी टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक हासिल किया था, लेकिन उससे पहले वह एक साल तक चोटिल रहीं थीं।
चोट के बारे में उन्होंने कहा, “2017 में मेरा कंधा चोटिल हो गया था और इससे उबरने में मुझे पूरे एक साल लग गए। 2018 में पूरी तरह से फिट नहीं थी, जिससे मैं किसी बड़े टूर्नामेंट में भाग नहीं ले पाई। लेकिन बेलग्रेड में स्वर्ण पदक जीतने के बाद मेरे कोच भी चाहने लगे कि मैं अपने सर्वश्रेष्ठ खेल में आऊं और फिर मैंने इस साल की शुरुआत स्वर्ण से की।”
राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों में न खेले जाने पर निखत ने निराशा जाहिर की।
उन्होंने कहा, “मुझे लगता कि अगर मैं इन टूर्नामेंटों में होती तो जरूर पदक जीत सकती थी। लेकिन जो भी होता है, अच्छे के लिए होता है। 51 किग्रा में पिछले साल किसी ने भी स्वर्ण पदक नहीं जीता, लेकिन मैं जीती थी। इसके बावजूद मुझे एशियाई खेलों के लिए चयन ट्रायल्स देने को मौका नहीं मिला।”
निखत ने कहा, “इससे मुझे बहुत दुख हुआ। लोगों को लगता है कि इस भार वर्ग के लिए मैं कमजोर हूं। इसी चीज को बदलने के लिए मैं पिछले साल कैम्प को छोड़कर अपने इंस्ट्टियूट चली गई थी और फिर राष्ट्रीय चैंपियनशिप के फाइनल में पिंकी से नजदीकी मुकाबले में हारी। पिंकी से इसलिए हारी क्योंकि पिंकी आक्रामक थी। इसके बाद मैंने भी आक्रामक खेलने का सोच लिया और फिर स्ट्रांजा में मैंने आक्रामक खेल से ही स्वर्ण जीता।”
अपने अगले लक्ष्य के बारे में निखत ने कहा, “अब मई में होने वाले इंडिया ओपन में मुझे अपना शत-प्रतिशत देना है क्योंकि इसमें शायद मैरी दी (मैरीकॉम) भी खेलेंगी। इसमें अंतर्राष्ट्रीय मुक्केबाज भी होंगे, जिससे काफी ज्यादा प्रतिस्पर्धा होगी। इस साल ओलंपिक क्वाालिफायर भी होने हैं, इसलिए मैं किसी टूर्नामेंट को हल्के में नहीं ले सकती और 51 किग्रा में खुद को साबित करना चाहती हूं।”
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