Manipur Foundation Day 2021: आज ही के दिन मणिपुर राज्य की हुई थी स्थापना, पढ़ें पूरा इतिहास

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Manipur Foundation Day 2021: 21 जनवरी की तारीख इतिहास में बहुत सी घटनाओं के साथ दर्ज है। भारत के संघीय इतिहास (Federal history) में इस दिन का महत्व इसलिए भी है क्योंकि इस दिन मणिपुर (Manipur), मेघालय (Meghalaya) और त्रिपुरा (Tripura) के रूप में तीन राज्यों का उदय हुआ। पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर (Manipur), मेघालय (Meghalaya) और त्रिपुरा (Tripura) को अलग राज्य बने आज पूरे 49 बरस हो गए हैं।

पूर्वोत्तर क्षेत्र (पुनर्गठन) अधिनियम 1971 के तहत मणिपुर, मेघालय और त्रिपुरा को 21 जनवरी 1972 को अलग राज्य का दर्जा दिया गया था।त्रिपुरा और मणिपुर की पूर्व रियासतों को वर्ष 1949 में भारत में मिलाया गया और 21 जनवरी 1972 तक पूर्ण राज्य का दर्जा न मिलने तक यह केंद्र शासित प्रदेश के तौर पर जाने जाते थे। मेघालय को 2 अप्रैल 1970 को स्वायत्त राज्य का दर्जा प्रदान किया गया और असम से अलग होने के बाद 21 जनवरी 1972 में पूर्ण राज्य बना।

मणिपुर का इतिहास- History of manipur

मणिपुर का इतिहास बहुत दिलचस्प है। सन् 1891 में पहले एंग्लो-मणिपुरी युद्ध के बाद यह राज्य ब्रिटिश शासन के अधीन आया। इस युद्ध में कई वीरों ने अपनी जान कुर्बान की। अंग्रेजों नेे इंफाल पर कब्जा कर लेने के बाद युवराज टेकेंद्रजीत और जनरल थांगल को फांसी की सजा दी थी। 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश राज खत्म होने से कुछ दिन पहले ही मणिपुर के राजा ने 11 अगस्त को भारत का शासन स्वीकार कर लिया था, पर राज्य में अंदरुनी संप्रभुता हासिल कर ली थी। मणिपुर स्टेट कान्सटीट्यूशन एक्ट 1947 लागू हुआ, जिससे राज्य को अपना अलग संविधान मिला। मणिपुर में कई लोग भारत में विलय चाहते थे। मणिपुर इंडिया कांग्रेस भी बनी। भारत सरकार ने अलग संविधान को मान्यता नहीं दी।

आखिर, महाराजा पर दबाव बना और उन्होंने 21 सितंबर 1949 को भारत सरकार के साथ मर्जर एग्रीमेंट साइन किया। यह एग्रीमेंट 15 अक्टूबर को लागू हुआ। कई सालों तक केंद्र का सीधा शासन यहां रहा, लेकिन 1972 में मणिपुर को भारत में अलग राज्य का दर्जा मिला। मणिपुर को हमेशा से मितेलिपक, कंगलेपक और मैत्रबक जैसे नामों से जाना जाता रहा। इन नामों के अलावा इस राज्य को बीस अन्य नामों से भी जाना जाता रहा है।

मणिपुर के बारे में

बिना किसी हिचकिचाहट के कहा जा सकता है कि मणिपुर धरती का स्वर्ग है। मणिपुर का शाब्दिक अर्थ भी ‘मणि की धरती’ या ‘रत्नों की भूमि’ है। मणिपुर में प्रकृति की सुंदरता और भव्यता भरपूर है। हिरणों की दुर्लभ प्रजाति संगाई और सिरोइ के पहाड़ों पर उगने वाली ‘सिरोय लिलि’ यहां पाई जाती है। सेंट क्लेर ग्रिमवुड ने मणिपुर का ‘दुनिया की सबसे खूबसूरत जगहों से भी सुंदर जगह’ के तौर पर वर्णन किया था। स्वर्गीय पंडित जवाहर लाल नेहरु ने ‘भारत का रत्न’ कह कर बिलकुल उपयुक्त तरीके से इस स्थान के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की थी। मणिपुर के उत्तर में नागालैंड, दक्षिण में मिज़ोरम पूर्व में अपर म्यांमार और पश्चिम में असम का कछार जिला है।

मणिपुर में नौ जिले शामिल हैं: बिश्नुपुर, चंदेल, चुराचांदपुर, इंफाल ईस्ट, इंफाल वेस्ट, सेनापति, तामेंगलांग, थोबल ओर उखरुल।

समाज और संस्कृति

मणिपुर के समाज की खासियत उसकी सादगी और समानता के मूल्य हैं। यहां के लोग सहयोगी और स्नेही हैं। महिलाओं का समाज में बहुत उंचा दर्जा है। बुजुर्गों को यहां बहुत सम्मान और आदर दिया जाता है। यहां के लोग आर्थिक रुप से एक तरह से समान ही हैं। यहां के लोगों को हर तरह के खेल से प्यार है और दुनिया को पोलो का खेल भी इस राज्य से ही मिला है। यूं तो यहां के लोगों का धर्म हिंदू है पर यहां लोग भारतीय जाति व्यवस्था से बंटे नहीं हैं।

इसके बजाय यहां समाज मेइतीए बामनो यानि भारतीय मूल के ब्राम्हणों, पंगन यानि भारतीय मूल के मुस्लिमों और लोइस यानि बर्मा और भारत के युद्ध के कैदियों के वंशजों में बंटा है। मणिपुरी लोग कभी कभार ही अपने पारिवारिक समूह में ब्याह करते हैं और आज भी सलाई यानि मूल दस कबीलों में शादी नहीं करते। यहां का समाज पास-पड़ोस में ही व्यवस्थित रहता है जिसे लैकाई कहते हैं। परिवार की छोटी से छोटी रस्म से लेकर सभी त्यौहार और अंतिम संस्कार तक में लैकाई की गतिविधियां केंद्र में रहती हैैं। किसी भी मणिपुरी व्यक्ति के लिए लैकाई की स्वीकृति सबसे अधिक महत्वपूर्ण है।

This post was last modified on January 21, 2021 10:51 AM

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