मेरा सम्मान हो या ना हो, कोच का होना चाहिए : अमित पंघल (आईएएनएस साक्षात्कार)

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नई दिल्ली, 25 सितंबर (आईएएनएस)| विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में रजत पदक जीतकर इतिहास रचने वाले भारतीय खिलाड़ी अमित पंघल ने कहा है कि उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि पदक जीतने के बाद उन्हें इतना सम्मान मिलेगा। उन्होंने साथ ही कहा कि यहां तक पहुंचने में उनके पूर्व कोच अनिल धनकड़ का काफी योगदान रहा है और, “वे मुझसे भी ज्यादा सम्मान के हकदार हैं।”

पिछले साल एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले पंघल ने इस साल अप्रैल में 52 किलोग्राम भारवर्ग के ओलंपिक कांस्य पदक विजेता हु जिंगुआन को हराकर एशियाई चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता था और अब वह विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में रजत पदक जीतने वाले पहले भारतीय पुरुष मुक्केबाज बने हैं।

पंघल ने आईएएनएस से साक्षात्कार में कहा, “अगर मुझे पुरस्कार नहीं मिलता है तो इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। मैं अपने देश के लिए पहले भी पदक जीतता आया हूं और आगे भी जीतता रहूंगा, लेकिन मेरे कोच को अगर सम्मान दिया जाए तो मुझे बहुत खुशी होगी।”

उन्होंने कहा, “जब मैंने 2008 में मुक्केबाजी शुरू की थी, तभी से अनिल सर मेरा मार्गदर्शन करते आ रहे हैं। अब भी अगर मुझे किसी तरह की कोई परेशानी होती है तो अनिल सर ही मेरा मार्गदर्शन करते हैं।”

पंघल के निजी कोच अनिल का नाम ‘नियमों’ का हवाला देकर लगातार दूसरे साल द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए नहीं भेजा गया था।

भारतीय मुक्केबाज ने कहा, “अगर शुरुआती दिनों में कोच मेरी मदद नहीं करते तो मैं आज यहां नहीं होता। अगर उन्हें पुरस्कार मिलता है तो मुझे सबसे ज्यादा खुशी होगी। मुझे नहीं पता कि मैं किस सम्मान का हकदार हूं, लेकिन मेरे कोच मुझसे भी बड़े सम्मान के हकदार हैं।”

पंघल ने 48 किलोग्राम भारवर्ग में पिछले साल एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता था। लेकिन ओलंपिक में 48 किलोग्राम भारवर्ग नहीं होने के कारण उन्होंने 52 किलोग्राम भारवर्ग में उतरने का फैसला किया जो एक ओलंपिक भारवर्ग है।

उन्होंने कहा कि विश्व चैंपियनशिप में इतिहास रचने के बाद अब उनका लक्ष्य टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करना है। चीन में अगले साल की शुरुआत में एशिया/ओसेनिया जोन होनी है, जो ओलंपिक क्वालीफायर्स है।

विश्व पदक विजेता पंघल ने कहा, “ओलंपिक में खेलना किसी भी खिलाड़ी का सपना होता है और मेरा भी यही लक्ष्य है, लेकिन उससे पहले जो क्वालीफाइंग राउंड होंगे, उसमें मेरा लक्ष्य पहले ही राउंड में अपने लिए और अपने देश के लिए ओलंपिक कोटा हासिल करना है।”

विश्व चैंपियनशिप में पदक जीतने वाले भारतीय मुक्केबाजों को एशिया/ओसनिया ओलंपिक क्वालीफायर्स के लिए ट्रायल्स नहीं देना होगा।

पंघल को अब अगले महीने चीन के वुहान में होने वाले सैन्य विश्व खेलों में हिस्सा लेना हैं और उन्होंने इसे लेकर कहा, “वहां ऐसे मुक्केबाज हैं, जो ज्यादातर सेना में हैं। उनके खिलाफ खेलना अलग ही तरह का अनुभव होगा और ये अनुभव ओलंपिक क्वालीफायर में काम आएगा।”

 

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