नई दिल्ली, 28 जनवरी (आईएएनएस)। देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर 2 महीने से ज्यादा समय से चल रहे किसान आंदोलन की धार मंद पड़ गई है। 26 जनवरी को किसान ट्रैक्टर गणतंत्र परेड के दौरान हुई हिंसा के बाद प्रशासन सख्त हो गया है। लाल किला आईटीओ और राष्ट्रीय राजधानी के अन्य हिस्सों में हुड़दंग मचाने, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और पुलिसकर्मियों पर हमला करने वालों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं, जिसके बाद आंदोलन की रहनुमाई करने वाले नेता भी सकते में हैं। कई प्रमुख नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।
किसान गणतंत्र परेड के दौरान हुई हिंसा को लेकर किसान नेता भी दुखी हैं। भारतीय किसान यूनियन के जनरल सेक्रेटरी और पंजाब के किसान नेता परमिंदर सिंह पाल माजरा ने कहा लाल किला में जो हुड़दंग मचाया गया उसके लिए हम सभी लोग दुखी हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग इसमें शामिल थे, वो किसानों के हितैषी नहीं हैं। हमारा आंदोलन शांतिपूर्ण था और आगे भी रहेगा लेकिन कुछ उपद्रवियों ने उस में घुसकर आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश की। इससे दुखी होकर हमने फिलहाल आंदोलन तेज करने के सभी कार्यक्रमों को रोक दिया है। लेकिन सरकार की कार्रवाई के बावजूद ये आंदोलन टूटेगा नहीं, किसान अपनी मांगों को लेकर आंदोलन करते रहेंगे।
किसान आंदोलन गुरुवार को 64वें दिन जारी है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाएगी, तब तक उनका आंदोलन चलता रहेगा।
हालांकि संयुक्त किसान मोर्चा ने एक फरवरी के लिए निर्धारित संसद मार्च को स्थगित करने का फैसला लिया है। मोर्चा के नेता डॉ दर्शन पाल ने बुधवार की बैठक के बाद कहा कि 30 जनवरी को गांधीजी के शहादत दिवस पर, शांति और अहिंसा पर जोर देने के लिए, पूरे देश में एक दिन का उपवास रखा जाएगा।
संयुक्त किसान मोर्चा ने एक बयान में कहा कि पिछले 7 महीनों से चल रहे शांतिपूर्ण आंदोलन को बदनाम करने की साजिश अब जनता के सामने उजागर हो चुकी है। कुछ व्यक्तियों और संगठनों (मुख्य तौर पर दीप सिद्धु और सतनाम सिंह पन्नू की अगुवाई में किसान मजदूर संघर्ष कमेटी) के सहारे, सरकार ने इस आंदोलन को हिंसक बनाया। मोर्चा के नेता ने कहा कि हम फिर से स्पष्ट करते हैं कि हम लाल किले और दिल्ली के अन्य हिस्सों में हुई हिंसक कार्रवाइयों से हमारा कोई संबंध नहीं है। हम उन गतिविधियों की कड़ी निंदा करते हैं।
यूनियनों के नेताओं ने कहा कि किसानों की परेड मुख्य रूप से शांतिपूर्ण और तय मार्ग पर करने की सहमति बनी थी। हम राष्ट्रीय प्रतीकों के अपमान की कड़ी निंदा करते हैं, लेकिन किसानों के आंदोलन को हिंसक के रूप में चित्रित नहीं किया जा सकता, क्योंकि हिंसा कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा की गई थी, जो हमारे साथ जुड़े नहीं हैं। सभी सीमाओं पर किसान शांतिपूर्ण तरीके से अपनी-अपनी परेड पूरी कर अपने मूल स्थान पर पहुंच गए थे।
–आईएएनएस
पीएमजे-एसकेपी
नवीन शिक्षण पद्धतियों, अत्याधुनिक उद्यम व कौशल पाठ्यक्रम के माध्यम से, संस्थान ने अनगिनत छात्रों…
इतिहासकार प्रोफ़ेसर इम्तियाज़ अहमद ने बिहार के इतिहास पर रौशनी डालते हुए बताया कि बिहार…
अब आवेदन की तारीख 15 जुलाई से 19 जुलाई तक बढ़ा दी गई है।
पूरे दिल्ली-NCR में सर्विस शुरु करने वाला पहला ऑपरेटर बना
KBC 14 Play Along 23 September, Kaun Banega Crorepati 14, Episode 36: प्रसिद्ध डिजाइनर्स चार्ल्स…
राहुल द्रविड़ की अगुवाई में टीम इंडिया ने 1-0 से 2007 में सीरीज़ अपने नाम…