जन्मदिन विशेष: उर्दू की मशहूर और विवादित लेखिका इस्मत चुग़ताई, जिनकी एक कहानी पर चला था मुकदमा

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उर्दू साहित्य की मशहूर और विवादित लेखिका इस्मत चुग़ताई का जन्म 21 अगस्त 1915 को बदायूँ, उत्तर प्रदेश में हुआ था। वे दस भाई बहन थे, जिनमें इस्मत का नौवां नंबर था। छह भाई और चार बहनें। उनके पिता सरकारी महकमे में थे। आज उनकी 108वीं जन्मतिथि है।

लिखने-पढ़ने का माहौल घर से ही मिला। उनके बड़े भाई मिर्जा अजीम बेग चुग़ताई उर्दू के बड़े लेखको में से थे। छोटी उम्र में ही उन्होंने चेखव, ओ’हेनरी से लेकर तोलस्तॉय और प्रेमचंद तक सभी लेखकों को पढ़ डाला। बाद में कॉलेज के दिनों में उन्होंने शेक्सपीयर से लेकर इब्सन और बर्नाड शॉ तक सबको पढ़ डाला था।

आइये जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ बातें….

–  आधुनिक उर्दू अफसानागोई के चार आधार स्तंभ माने जाते हैं, जिनमें मंटो, कृशन चंदर, राजिंदर सिंह बेदी और चौथा नाम इस्मत चुगताई का आता है।

–  उनके बड़े भाई मिर्जा अजीम बेग चुग़ताई उर्दू के बड़े लेखक थे, जिस वजह से उन्हें अफसाने पड़ने का मौका मिला। उनका पश्चिम में लिखे गए अफसानों से गहरा जुड़ाव रहा

–  इस्मत चुगताई बीए और बीएड करने वाली पहली भारतीय मुस्लिम महिला थीं।

–  उन्हें उर्दू साहित्य की सबसे विवादस्पद लेखिका माना जाता है। साल 1942 में जब उनकी कहानी ‘लिहाफ’ प्रकाशित हुई तो साहित्य-जगत में बवाल मच गया। समलैंगिक रिश्ते पर लिखी गयी इस कहानी को लोगों ने अश्लील करार दिया। यहाँ तक कि उन पर लाहौर कोर्ट में मुकदमा भी चला।

–  उनकी रचनाओं का बेबाकपन इतना था कि सआदत हसन मंटों ने भी एक बार उनके लिए कहा था कि अगर वे औरत होते तो इस्मत होते या फिर इस्मत मर्द होती तो मंटों होती।

–  इस्मत चुगताई ने फिल्मों में भी हाथ आजमाया और कुल 13 फिल्मों से जुड़ी रहीं। गरम हवा’ उन्हीं की कहानी थी। इस फिल्म की कहानी के लिए उन्हें कैफी आजमी के साथ बेस्ट स्टोरी के फिल्मफेयर पुरस्कार से नवाजा गया।

–  इस्मत चुगताई की कहानी संग्रह में चोटें, छुई-मुई, एक बात, कलियाँ, एक रात, दो हाथ दोज़खी, शैतान और उपन्यास में टेढ़ी लकीर, जिद्दी, एक कतरा-ए-खून, दिल की दुनिया, मासूमा, बहरूप नगर, सौदाई, जंगली कबूतर, अजीब आदमी, बाँदी और आत्मकथा ‘कागजी है पैरहन’ शामिल हैं।

–   इस्मत चुगताई को गालिब अवार्ड, साहित्य अकादमी पुरस्कार, इक़बाल सम्मान, मखदूम अवार्ड, और नेहरू अवार्ड से सम्मानित किया गया।

–  24 अक्तूबर, 1991 को उनका मुंबई मे निधन हो गया। उनके वसीयत के अनुसार उनका दाह संस्कार किया गया, जिसका उनके रिश्तेदारों ने विरोध किया था।

This post was last modified on August 21, 2019 9:46 AM

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