मध्यप्रदेश के गुना संसदीय क्षेत्र में इस बार का चुनाव पिछले चुनावों के मुकाबले ज्यादा एकतरफा हो चला है।
यहां कांग्रेस उम्मीदवार ज्योतिरादित्य सिंधिया का मुकाबला किसी और से नहीं बल्कि अपने ही सांसद प्रतिनिधि रहे के पी यादव से है, जो भाजपा के उम्मीदवार है। सिंधिया इस चुनाव में जीत का रिकार्ड बनाना चाह रहे है, यही कारण है कि, उनकी सक्रियता पिछले चुनावों के मुकाबले कहीं ज्यादा है और उनकी धर्मपत्नी प्रियदर्षिनी राजे सिंधिया पूरी तरह चुनाव की कमान संभाले हुए है।
गुना-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र को ग्वालियर के सिंधिया राजघराने का गढ़ माना जाता है, क्योंकि,अब तक हुए उपचुनाव सहित 20 चुनाव में सिंधिया राजघराने के प्रतिनिधियों को 14 बार जीत मिली। ज्योतिरादित्य की दादी विजयराजे सिंधिया छह बार, पिता माधवराव सिंधिया चार बार और स्वयं ज्योतिरादित्य सिंधिया चार बार जीते हैं। एक बार सिंधिया राजघराने के करीबी महेंद्र सिंह कालूखेड़ा जीते थे।
ज्योतिरादित्य सिंधिया का यह पांचवां चुनाव हैं। इससे पहले वे चार चुनाव में यहां से लगातार जीत दर्ज कर चुके है। सिंधिया ने अपने पिता माधवराव सिंधिया के निधन के बाद हुए वर्ष 2002 के उपचुनाव में लगभग सवा चार लाख वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी। वहीं 2004 मंे यह अंतर कम होकर 86 हजार ही रह गया था। उसके बाद के चुनाव में उन्होंने वर्ष 2009 में ढाई लाख और वर्ष 2014 में जीत का अंतर एक लाख 20 हजार रह गया था।
सिंधिया के चुनाव प्रचार अभियान के समन्वयक मनीष राजपूत का कहना है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया का गुना-शिवपुरी के मतदाताओं से पारिवारिक रिश्ता है, और वे यहां के लोगों के लिए नेता नहीं हैं। सामान्य मतदाताओं से लेकर आदिवासी समाज के लोगों और सिंधिया के बीच अपनापन है। यहां का मतदाता सिंधिया से अपनी बात पूरी बेवाकी से कहता है। एक तरफ जहां मतदाताओं में उनके प्रति सम्मान और आदर है, वहीं सिंधिया के लिए मतदाता परिवार का सदस्य है। इस तरह का रिश्ता कम नेताओं और उनके क्षेत्र के मतदाताओं के बीच नजर आता है।
एक तरफ सिंधिया जहां एक दिन में कई-कई गांव में पहुंचकर सभाएं करते हैं तो दूसरी ओर उनकी पत्नी प्रियदर्शिनी सिंधिया बीते एक माह से यहां डेरा डाले हुए है। प्रियदर्शिनी का सबसे ज्यादा संवाद महिलाओं से होता है। इतना ही नहीं, वे युवा मतदाताओं को टीका लगाकर अपना भाई कह रही हैं। प्रियदर्शिनी के प्रति महिलाओं में खासा आकर्षण है। इतना ही नहीं, विदेश में पढ़ाई कर रहे ज्योतिरादित्यके पुत्र महाआर्यमन सिंधिया ने भी क्षेत्रीय युवाओं को वीडियो संदेश भेजा है।
सिंधिया को पिछले चुनाव में इस संसदीय क्षेत्र के शिवपुरी, गुना व अशोकनगर विधानसभा क्षेत्रों में मिली हार को लेकर खासा मलाल है। यही कारण है कि उन्होंने मतदाताओं और कार्यकर्ताओं से कई बार यह सवाल किया कि क्या कारण है कि उन्हें इन तीन विधानसभा क्षेत्रों में पराजय मिली। भावनात्मक तौर पर भी सिंधिया ने अपनी बात कही। इसके अलावा सिंधिया ने बाजारों, चाट ठेलों से लेकर छोटी दुकानों तक पर पहुंचकर लोगों से संवाद किया।
स्थानीय राजनीतिक विश्लेषक रंजीत गुप्ता बताते हैं कि सिंधिया की जीत को लेकर किसी को संशय नहीं है। मगर इस बार उनकी और प्रियदर्शिनी की सक्रियता चर्चाओं में है। इसे भाजपा उम्मीदवार के लिए मददगार मोदी फैक्टर और जीत के अंतर को बढ़ाने की कोशिश के तौर पर भी देखा जा रहा है। सिंधिया के मुकाबले जो प्रत्याशी है, वह कभी सिंधिया का सांसद प्रतिनिधि हुआ करता था। बसपा का उम्मीदवार मैदान से हट चुका है। इस स्थिति में सिंधिया जीत का अंतर बढ़ाना चाहते हैं, इसी के चलते उनकी सक्रियता कहीं ज्यादा है।
अपनी सक्रियता के सवाल पर सिंधिया स्वयं कहते हैं कि चुनाव कोई भी हो, उसे वे हल्के में नहीं लेते। ऐसा ही इस चुनाव में है। लिहाजा, उनका प्रचार अभियान और लोगों से संपर्क जारी है। सिंधिया की सक्रियता पर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तंज कसा और कहा, “इस बार महाराजा को गुना, चंदेरी में गली-गली खाक छानना पड़ रही है। अकेले महाराजा ही नहीं, उनका परिवार भी घूम रहा है।”
सिंधिया को पार्टी ने राष्ट्रीय महासचिव बनाया है और उत्तर प्रदेश की 38 सीटों की जिम्मेदारी भी सौंपी। सिंधिया ने एक तरफ उत्तर प्रदेश मंे पार्टी के उम्मीदवार के लिए प्रचार किया तो शेष में से अधिकांश समय अपने संसदीय क्षेत्र को दिया।
यहां मतदान 12 मई को होने वाला है। कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दल अपनी ताकत झोंके हुए हैं। सभाओं का दौर जारी है।
This post was last modified on May 9, 2019 6:50 PM
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